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*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 13 अप्रैल 2024*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - पंचमी दोपहर 12:04 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*नक्षत्र - मृगशिरा रात्रि 12:49 अप्रैल 14 तक तत्पश्चात आर्द्रा*
*योग शोभन रात्रि 12:34 अप्रैल 14 तक तत्पश्चात अतिगण्ड*
*राहु काल - सुबह 09:31 से सुबह 11:05 तक*
*सूर्योदय - 06:23*
*सूर्यास्त - 06:55*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:51 से 05:37 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:14 से दोपहर 01:04 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:14 अप्रैल 14 से रात्रि 01:01 अप्रैल 14 तक*
* व्रत पर्व विवरण- मेष संक्रांति, स्कंद षष्ठी, वैशाखी*
*विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*


*🌹 चैत्र नवरात्रि 🌹*

*🌹 धर्म शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि की पंचमी तिथि को स्कंदमाता की पूजा की जाती है । स्कंदमाता भक्तों को सुख-शांति प्रदान करनेा वाली हैं । देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कन्द की माता होने के कारण मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जानते हैं ।*

*पंचमी तिथि यानी नवरात्रि के पांचवे दिन माता दुर्गा को केले का भोग लगाएं व गरीबों को केले का दान करें । इससे आपके परिवार में सुख-शांति रहेगी ।*

*🌹 आर्थिक परेशानी हो तो... 🌹*

*🌹 स्कंद पुराण में लिखा है चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी (13 अप्रैल 2024 , शनिवार) को लक्ष्मी माता के 12 मंत्र बोलकर, शांत बैठकर मानसिक पूजा करे और उनको नमन करें तो उसको भगवती लक्ष्मी प्राप्त होती है, घर में लक्ष्मी स्थायी हो जाती हैं । उसके घर से आर्थिक समस्याएँ धीरे धीरे किनारा करती हैं । बारह मंत्र इस प्रकार हैं –*

*🌹ॐ ऐश्‍वर्यै नम:*
*🌹ॐ कमलायै नम:*
*🌹ॐ लक्ष्मयै नम:*
*🌹ॐ चलायै नम:*
*🌹ॐ भुत्यै नम:*
*🌹ॐ हरिप्रियायै नम:*
*🌹ॐ पद्मायै नम:*
*🌹ॐ पद्माल्यायै नम:*
*🌹ॐ संपत्यै नम:*
*🌹ॐ ऊच्चयै नम:*
*🌹ॐ श्रीयै नम:*
*🌹ॐ पद्मधारिन्यै नम:*

*सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्ति प्रदायिनि । मंत्रपूर्ते सदा देवि महालक्ष्मी नमोस्तुते*
*द्वादश एतानि नामानि लक्ष्मी संपूज्यय पठेत । स्थिरा लक्ष्मीर्भवेतस्य पुत्रदाराबिभिस:*
*उसके घर में लक्ष्मी स्थिर हो जाती है । जो इन बारह नामों को इन दिनों में पठन करें ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*

*दिनांक - 14 अप्रैल 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - षष्ठी सुबह 11:43 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*नक्षत्र - आर्द्रा रात्रि 01:35 अप्रैल 15 तक तत्पश्चात पुनर्वसु*
*योग- अतिगण्ड रात्रि 11:33 तक तत्पश्चात सुकर्मा*
*राहु काल - शाम 05:21 से शाम 06:56 तक*
*सूर्योदय - 06:22*
*सूर्यास्त - 06:56*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:50 से 05:36 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:14 से दोपहर 01:04 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:16 अप्रैल 15 से रात्रि 01:01 अप्रैल 15 तक*
* व्रत पर्व विवरण- डॉ. अम्बेडकर जयंती, रविवारी सप्तमी सुबह 11:44 से 15 अप्रैल सूर्योदय तक*
*विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 चैत्र नवरात्रि 🌹*


*🌹 नवरात्रि के षष्ठी तिथि पर आदिशक्ति दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा करने का विधान है । महर्षि कात्यायनी की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था । इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं । नवरात्रि के छठे दिन इनकी पूजा और आराधना होती है। माता कात्यायनी की उपासना से आज्ञा चक्र जाग्रृति की सिद्धियां साधक को स्वयंमेव प्राप्त हो जाती हैं । वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौलिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है तथा उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं ।*

*🌹 नवरात्र की षष्ठी तिथि यानी छठे दिन माता दुर्गा को शहद का भोग लगाएं । इससे धन लाभ होने के योग बनते हैं ।*

*🔹 रविवार विशेष🔹*

*🔹 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

*🔹 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*

*🔹 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*

*🔹 रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।*

*🔹 रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*

*🔹 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।*

*🔹 रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।*

*🔹 रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*

*दिनांक - 15 अप्रैल 2024*
*दिन - सोमवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - सप्तमी दोपहर 12:11 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*नक्षत्र - पुनर्वसु रात्रि 03:05 अप्रैल 16 तक तत्पश्चात पुष्य*
*योग- सुकर्मा रात्रि 11:09 तक तत्पश्चात धृति*
*राहु काल - सुबह 07:55 से 09:30 तक*
*सूर्योदय - 06:21*
*सूर्यास्त - 06:56*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:50 से 05:36 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:13 से दोपहर 01:04 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:15 अप्रैल 16 से रात्रि 01:01 अप्रैल 16 तक*
* व्रत पर्व विवरण- चैत्री नवरात्रि की सप्तमी तिथि के दिन देवी पार्वती की कालरात्रि स्वरूप की पूजा की जाती है। यदि नवरात्रि में 9 दिन व्रत उपवास न रख सके तो सप्तमी अष्टमी व नवमी तिथि को उपवास अवश्य करें।*
*विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता। अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*


*🌹 चैत्र नवरात्रि 🌹*

*🌹 महाशक्ति मां दुर्गा का सातवां स्वरूप हैं कालरात्रि । नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है । मां कालरात्रि की आराधना के समय भक्त को अपने मन को भानु चक्र ( ललाट अर्थात सिर के मध्य ) पर स्थित करना चाहिए । इस आराधना के फलस्वरूप भानु चक्र की शक्तियां जागृत होती हैं । मां कालरात्रि की भक्ति से हमारे मन का हर प्रकार का भय नष्ट होता है । जीवन की हर समस्या को पल भर में हल करने की शक्ति प्राप्त होती है । शत्रुओं का नाश करने वाली मां कालरात्रि अपने भक्तों को हर परिस्थिति में विजय दिलाती हैं ।*

*🌹 नवरात्रि की सप्तमी तिथि यानी सातवें दिन माता दुर्गा को गुड़ का भोग लगाएं । इससे हर मनोकामना पूरी हो सकती है ।*



*🔹 सोमवार विशेष 🔹*

*🔸कार्यों में सफलता-प्राप्ति हेतु*

*🔸जो व्यक्ति बार-बार प्रयत्नों के बावजूद सफलता प्राप्त न कर पा रहा हो अथवा सफलता-प्राप्ति के प्रति पूर्णतया निराश हो चुका हो, उसे प्रत्येक सोमवार को पीपल वृक्ष के नीचे सायंकाल के समय एक दीपक जला के उस वृक्ष की ५ परिक्रमा करनी चाहिए । इस प्रयोग को कुछ ही दिनों तक सम्पन्न करनेवाले को उसके कार्यों में धीरे-धीरे सफलता प्राप्त होने लगती है ।*
*ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२१ से*

*🔸सोमवार को बाल कटवाने से शिवभक्ति की हानि होती है ।*

*🔸सोमवार को तथा दोपहर के बाद बिल्वपत्र न तोड़ें ।*

*🔹बुरे व विकारी सपनों से बचाव🔹*

*रात्रि को सोने से पूर्व 21 बार 'ॐ अर्यमायै नमः' मंत्र का जप करने से तथा तकिये पर अपनी माँ का नाम लिखने से (स्याही-पेन से नहीं, केवल उँगली से) व्यक्ति बुरे एवं विकारी सपनों से बच जाता है ।*

*🔹आरती में कपूर का उपयोग क्यों ?🔹*

*🔸सनातन संस्कृति में पुरातन काल से आरती में कपूर जलाने की परम्परा है । आरती के बाद आरती के ऊपर हाथ घुमाकर अपनी आँखों पर लगाते हैं, जिससे दृष्टी -इन्द्रिय सक्रिय हो जाती है । पूज्य बापूजी के सत्संग -वचनामृत में आता है : “आरती करते हैं तो कपूर जलाते हैं । कपूर वातावरण को शुद्ध करता है, पवित्र वातावरण की आभा पैदा करता है । घर में देव-दोष है, पितृ -दोष हैं, वास्तु -दोष हैं, भूत -पिशाच का दोष है या किसीको बुरे सपने आते हैं तो कपूर की ऊर्जा उन दोषों को नष्ट कर देती है ।*

*🔸बोलते हैं कि संध्या होती है तो दैत्य-राक्षस हमला करते हैं इसलिए शंख , घंट बजाना चाहिए, कपूर जलाना चाहिए, आरती-पूजा करनी चाहिए अर्थात संध्या के समय और सुबह के समय वातावरण में विशिष्ट एवं विभिन्न प्रकार के जीवाणु होते हैं जो श्वासोच्छवास के द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश करके हमारी जीवनरक्षक जीवनरक्षक कोशिकाओं से लड़ते हैं । तो देव-असुर संग्राम होता है, देव माने सात्त्विक कण और असुर माने तामसी कण । कपूर की सुगंधि से हानिकारक जीवाणु एवं विषाण रूपी राक्षस भाग जाते हैं ।*


*🔸वातावरण में जो अशुद्ध आभा है इससे तामसी अथवा निगुरे लोग जरा-जरा बात में खिन्न होते हैं, पीड़ित होते हैं लेकिन कपूर और आरती का उपयोग करनेवालों के घरों में ऐसे कीटाणुओं का, ऐसो हलकी आभा का प्रभाव नहीं टिक सकता है ।*

*🔸अत: घर में कभी-कभी कपूर जलाना चाहिए, गूगल का धूप करना चाहिए । कभी-कभी कपूर की १ – २ छोटी-छोटी गोली मसल के घर में छिटक देनी चाहिए । उसकी हवा से ऋणायान बनते हैं, जो हितकारी हैं । वर्तमान के माहौल में घर में दीया जलाना अथवा कपूर की कभी-कभी आरती कर लेना अच्छा है ।*
*ऋषि प्रसाद – जुलाई २०२१ से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 17 अप्रैल 2024*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - नवमी दोपहर 03:14 तक तत्पश्चात दशमी*
*नक्षत्र - अश्लेषा पूर्ण रात्रि तक*
*योग- शूल रात्रि 11:51 तक तत्पश्चात गण्ड*
*राहु काल - दोपहर 12:38 से दोपहर 02:13 तक*
*सूर्योदय - 06:20*
*सूर्यास्त - 06:57*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:48 से 05:34 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - कोई नही*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:15 अप्रैल 18 से रात्रि 01:00 अप्रैल 18 तक*
* व्रत पर्व विवरण- राम नवमी, स्वामी नारायण जयंती*
*विशेष - नवमी को लौकी खाना गौमांस के समान त्याज्य है। दशमी को कलम्बी शाक खाना त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 श्री राम नवमी - 17 अप्रैल 2024 🌹*

*🔸नवरात्रि पारण कब करें ? 🔸*

*🔸 शंका होगी कि 'नवमी को नवरात्रि का व्रत खोलना, पारायण करना है फिर यह रामनवमी उपवास कैसे शुरू करें ?"*

*🔸तो नवमी को नवरात्रि का उपवास मानसिक रूप से खोल के थोड़ा-सा फलाहार जैसा प्रसाद ले लिया फिर 'आज रामनवमी का व्रत रख रहा हूँ' ऐसा संकल्प करके व्रत कर लिया । उपवास दशमी को खोलना है ।*

*🔹त्रेता युग में इसी दिन भगवान श्री रामजी का जन्म हुआ था । इसलिए भारत सहित अन्य देशों में भी हिंदू धर्म को मानने वाले इस पर्व को बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से हर इच्छा पूरी हो सकती है ।*

*🔸श्रीराम नवमी की सुबह किसी राम मंदिर में जाकर अथवा अपने घर में ही गुरुदेव के तस्वीरे सामने बैठ के राम रक्षा स्त्रोत का 11 बार पाठ करें । हर समस्याओं का समाधान हो जाएगा ।*

*🔹दक्षिणावर्ती शंख में दूध व केसर डालकर श्रीरामजी की मूर्ति का अभिषेक करें । इससे धन लाभ हो सकता है ।*

*🔹इस दिन बंदरों को चना, केले व अन्य फल खिलाएं । इससे आपकी हर मनोकामना पुरी हो सकती है ।*

*🔹श्रीराम नवमी की शाम को तुलसी के सामने गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाऐं । इससे घर में सुख-शांति रहेगी ।*

*🔹इस दिन भगवान श्रीरामजी को विभिन्न अनाजों का भोग लगाएँ और बाद में इसे गरीबों में बांट दें । इससे घर में कभी अन्न की कमी नहीं होगी ।*

*🔹इस दिन भगवान श्रीरामजी के साथ माता सीता की भी पूजा करें । इससे दांपत्य जीवन सुखी रहता है ।*

*🔹भगवान श्रीरामजी के मंदिर के शिखर पर ध्वजा यानी झंडा लगवाएं । इससे आपको मान-सम्मान व प्रसिद्धि मिलेगी ।*


*🌹 श्रीमद्देवीभागवत महापुराण में कुछ ऐसे ही उपायों के बारे में बताया है, जिसे नवरात्रि में नवमी या अष्टमी को अपनाकर आप भी सुख, समृद्धि और शांति पा सकते हैं । साथ ही बुरी नजर से लेकर कलह जैसी बाकी समस्याओं को भी दूर कर सकते हैं ।*

*🔹समृद्धि के लिए🔹*

*🔸माता के मंदिर में जाकर मूर्ति के सामने एक पान के पत्ते पर केसर में इत्र व घी मिलाकर स्वस्तिक बनाएं । अब उस पर कलावा लपेटकर एक सुपारी रखें ।*

*🔹पैसों की तंगी के लिए🔹*

*🔸नवमी तिथि या अष्टमी तिथि को माता का ध्यान कर घर के मंदिर में गाय के गोबर के उपले पर पान, लौंग, कर्पूर, व इलायची गूगल के साथ ही कुछ मीठा डालकर माता को धुनी (हवन) दें ।*

*🔹रुकावटें दूर करने के लिए🔹*

*🔸माता के मंदिर में पान बीड़ा चढ़ाएं, इस पान में कत्था, गुलकंद, सौंफ, खोपरे का बूरा और सुमन कतरी के साथ ही लौंग का जोड़ा रखें । सुपारी व चूना न डालें ।*

*🔹बुरी नजर के लिए🔹*

*🔸माता के मंदिर में पान रखकर नजर लगे व्यक्ति को पान में गुलाब की 7 पंखुड़ियां रखकर खिलाएं । नजर दोष दूर होगा ।*

*🔹आकर्षण शक्ति बढ़ाने के लिए🔹*

*🔸पान के पत्ते की जड़ को माता भुनेश्वरी का ध्यान करते हुए घिसकर तिलक लगाएं ऐसा करने से आपकी आकर्षण शक्ति बढ़ने लगेगी ।*

*🔹पति पत्नी में अनबन हो तो🔹*

*🔸नवमी की रात चंदन और केसर पाउडर मिलाकर पान के पत्ते पर रखें । फिर दुर्गा माताजी की फोटो के सामने बैठ कर चंडी स्तोत्र का पाठ करें । रोजाना इस पाउडर का तिलक लगाएं ।*

*🔹काम धंधे में सफलता एवं राज योग के लिए🔹*

*🔸अगर काम धंधा करते हैं और सफलता नहीं मिलती हो या विघ्न आते हों तो शुक्ल पक्ष की अष्टमी को बेल के कोमल - कोमल पत्तों पर लाल चन्दन लगा कर माँ जगदम्बा को मंत्र (ॐ ह्रीं नमः । ॐ श्रीं नमः ।।) बोलते हुए अर्पण करें । थोड़ी देर बैठ कर प्रार्थना और जप करने से राज योग बनता है, काम धंधे में सफलता मिलती है ।*
*- देवी भागवत (भगवान वेद व्यासजी)*

@Hindupanchang
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 18 अप्रैल 2024*
*दिन - गुरुवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - दशमी शाम 05:31 तक तत्पश्चात एकादशी*
*नक्षत्र - अश्लेषा सुबह 07:57 तक तत्पश्चात मघा*
*योग- गण्ड रात्रि 12:44 अप्रैल 19 तक तत्पश्चात वृद्धि*
*राहु काल - दोपहर 02:13 से दोपहर 03:47 तक*
*सूर्योदय - 06:19*
*सूर्यास्त - 06:57*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:48 से 05:33 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:13 से 01:03 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:15 अप्रैल 19 से रात्रि 01:00 अप्रैल 19 तक*
*विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है । एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 एकादशी 18 अप्रैल शाम 05:31 से 19 अप्रैल रात्रि 08:04 बजे तक है ।*

*🔸व्रत उपवास 19 अप्रैल 2024 शुक्रवार को रखा जायेगा ।*

*🔹18 एवं 19 अप्रैल दोनों दिन चावल खाना और खिलाना निषेध है ।*

*🌹 सदगृहस्थों के आठ लक्षण 🌹*

*🌹 सदगृहस्थों के लक्षण बताते हुए महर्षि अत्रि कहते हैं कि अनसूया, शौच, मंगल, अनायास, अस्पृहा, दम, दान तथा दया – ये आठ श्रेष्ठ विप्रों तथा सदगृहस्थों के लक्षण हैं । यहाँ इनका संक्षिप्त परिचय दिया जा रहा हैः*

*🌹अनसूयाः जो गुणवानों के गुणों का खंडन नहीं करता, स्वल्प गुण रखने वालों की भी प्रशंसा करता है और दूसरों के दोषों को देखकर उनका परिहास नहीं करता – यह भाव अनसूया कहलाता है ।*

*🌹 शौचः अभक्ष्य-भक्षण का परित्याग, निंदित व्यक्तियों का संसर्ग न करना तथा आचार – (शौचाचार-सदाचार) विचार का परिपालन – यह शौच कहलाता है)*

*🌹 मंगलः श्रेष्ठ व्यक्तियों तथा शास्त्रमर्यादित प्रशंसनीय आचरण का नित्य व्यवहार, अप्रशस्त (निंदनीय) आचरण का परित्याग – इसे धर्म के तत्त्व को जानने वाले महर्षियों द्वारा ʹमंगलʹ नाम से कहा गया है ।*

*🌹 अनायासः जिस शुभ अथवा अशुभ कर्म के द्वारा शरीर पीड़ित होता हो, ऐसे व्यवहार को बहुत अधिक न करना अथवा सहज भाव से आसानीपूर्वक किया जा सके उसे करने का भाव ʹअनायासʹ कहलाता है ।*

*🌹 अस्पृहाः स्वयं अपने-आप प्राप्त हुए पदार्थ में सदा संतुष्ट रहना और दूसरे की स्त्री की अभिलाषा नहीं रखना – यह भाव ʹअस्पृहाʹ कहलाता है ।*

*🌹 दमः जो दूसरे के द्वारा उत्पन्न बाह्य (शारीरिक) अथवा आध्यात्मिक दुःख या कष्ट के प्रतिकारस्वरूप उस पर न तो कोई कोप करता है और न उसे मारने की चेष्टा करता है अर्थात् कियी भी प्रकार से न तो स्वयं उद्वेग की स्थिति में होता है और न दूसरे को उद्वेलित करता है, उसका यह समता में स्थित रहने का भाव ʹदमʹ कहलाता है ।*

*🌹 दानः ʹप्रत्येक दिन दान देना कर्तव्य हैʹ - यह समझकर अपने स्वल्प में भी अंतरात्मा से प्रसन्न होकर प्रयत्नपूर्वक यत्किंचित देना ʹदानʹ कहलाता है ।*

*🌹 दयाः दूसरे में, अपने बंधुवर्ग में, मित्र में, शत्रु में, तथा द्वेष करने वाले में अर्थात् सम्पूर्ण चराचर संसार में एवं सभी प्राणियों में अपने समान ही सुख-दुःख की प्रतीति करना और सबमें आत्मभाव-परमात्मभाव समझकर सबको अपने ही समान समझकर प्रीति का व्यवहार करना – ऐसा भाव ʹदयाʹ कहलाता है । महर्षि अत्रि कहते हैं, इन लक्षणों से युक्त शुद्ध सदगृहस्थ अपने उत्तम धर्माचरण से श्रेष्ठ स्थान को प्राप्त कर लेता है, पुनः उसका जन्म नहीं होता और वह मुक्त हो जाता हैः*

*यश्चैतैर्लक्षणैर्युक्तो गृहस्थोઽपि भवेद् द्विजः।*
*स गच्छति परं स्थानं जायते नेह वै पुनः।।*
*(अत्रि संहिताः 2.42)*
@Hindupanchang
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 19 अप्रैल 2024*

*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - एकादशी रात्रि 08:04 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*नक्षत्र - मघा सुबह 10:57 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी*
*योग- वृद्धि रात्रि 01:45 अप्रैल 20 तक तत्पश्चात ध्रुव*
*राहु काल - सुबह 11:38 से दोपहर 12:38 तक*
*सूर्योदय - 06:18*
*सूर्यास्त - 06:57*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:47 से 05:33 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:12 से दोपहर 01:03 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:15 अप्रैल 20 से रात्रि 01:00 अप्रैल 20 तक*
* व्रत पर्व विवरण- कामदा एकादशी*
*विशेष - एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है। द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 कामदा एकादशी - 19 अप्रैल 2024🌹*


*🔸एकादशी व्रत के लाभ🔸*

*👉 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।*

*👉 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*

*👉 जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*

*👉 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*

*👉 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*

*👉 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*

*👉 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।*

*🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹*

*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*

*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें ।*

*🌹हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
*राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।*
*सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।*

*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*

*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*

*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*

*🌹5. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*

*🌹6. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें ।*

*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*

*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*

*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*

*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*

*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटायें ।*

*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*

*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*

*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 20 अप्रैल 2024*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - द्वादशी रात्रि 10:41 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
*नक्षत्र - पूर्वफाल्गुनी दोपहर 02:14 तक तत्पश्चात उत्तरफाल्गुनी*
*योग- ध्रुव रात्रि 02:48 अप्रैल 21 तक तत्पश्चात व्याघात*
*राहु काल - सुबह 09:27 से सुबह 11:02 तक*
*सूर्योदय - 06:17*
*सूर्यास्त - 06:57*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:47 से 05:32 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:12 से दोपहर 01:03 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:14 अप्रैल 21 से रात्रि 01:00 अप्रैल 21 तक*
* व्रत पर्व विवरण- वामन द्वादशी*
*विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) को खाने से पुत्र का नाश होता है। त्रयोदशी को बैंगन को खाने से पुत्र का नाश होता है।*

🌹मनचाही नौकरी-धंधा पाने के इच्छुक जरुर सुनें🌹

*🔹ग्रहबाधा दूर करने का उपाय🔹*

👉🏻 *शनि, राहू-केतु आदि ग्रहों के दोष-निवारण के लिए प्रत्येक मंगलवार या शनिवार को अपने हाथ से आटे की लोई गुड़सहित प्रेमपूर्वक किसी नंदी अथवा गाय को खिलायें । कैसी भी ग्रहबाधा हो, दूर हो जायेगी ।*
*📒 लोक कल्याण सेतु – अक्टूबर 2019*

*🌹 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 🌹*

*🌹 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*

*🌹 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*

*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹*

*🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*
*📖 ऋषि प्रसाद - मई 2018 से*

*🔹अकाल मृत्यु व घर में बार बार मृत्यु होने पर🔹*

*🔸जिसे मौत का भय होता है या घर में मौतें बार-बार होती हों, तो शनिवार को "ॐ नमः शिवाय" का जप करें और पीपल को दोनों हाथों से स्पर्श करें । खाली १०८ बार जप करें तो दीर्घायुष्य का धनी होगा । अकाल मृत्यु व एक्सिडेंट आदि नहीं होगा । ऐसा १० शनिवार या २५ शनिवार करें, नहीं तो कम से कम ७ शनिवार तो जरूर करें ।*

*🔸विघ्न-बाधाओं व दुर्घटना से बचने का उपाय🔸*

*ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।*
*उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।*

*🔸रोज सुबह उठने पर अथवा घर से बाहर जाते समय एक बार इस मंत्र का जप कर लें तो विघ्न-बाधारहित, दुर्घटनारहित गाड़ी अपने रास्ते सफर करती रहेगी । और जीवन की शाम होने से पहले रोज उस त्र्यम्बक (परमात्मा) में थोड़ी देर शांत रहा करो ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 21 अप्रैल 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - त्रयोदशी रात्रि 01:11 अप्रैल 22 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*नक्षत्र - उत्तरफाल्गुनी शाम 05:08 तक तत्पश्चात हस्त*
*योग- व्याघात रात्रि 03:45 अप्रैल 22 तक तत्पश्चात हर्षण*
*राहु काल - शाम 05:23 से शाम 06:58 तक*
*सूर्योदय - 06:17*
*सूर्यास्त - 06:58*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:46 से 05:31 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:12 से दोपहर 01:03 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:14 अप्रैल 22 से रात्रि 00:59 अप्रैल 22 तक*
* व्रत पर्व विवरण- महावीर स्वामी जयंती*
*विशेष - त्रयोदशी को बैंगन को खाने से पुत्र का नाश होता है। चतुर्दशी के दिन स्त्री सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।*

*🔸प्रातः भ्रमण की महत्ता 🔸*

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*🔹 प्रातः एवं सायं भ्रमण उत्तम स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभप्रद है । पशुओं का राजा सिंह सुबह 3.30 से 5 बजे के दौरान अपने बच्चों के साथ उठकर गुफा से बाहर निकल के साफ हवा में भ्रमण कर आसपास की किसी ऊँची टेकरी पर सूर्य की ओर मुँह करके बैठ जाता है । सूर्य का दर्शन कर शक्तिशाली कोमल किरणों को अपने शरीर में लेने के पश्चात ही गुफा में वापस आता है । यह उसके बलशाली होने का एक राज है ।*

*🔹भ्रमण पूज्य बापूजी की दिनचर्या का एक अभिन्न अंग है । उत्तम स्वास्थ्य की इस कुंजी के द्वारा आप मानो चरैवेति चरैवेति । आगे बढ़ो, आगे बढ़ो । यह वैदिक संदेश ही जनसाधारण तक पहुँचाना चाहते हैं । पूज्य श्री कहते हैं- "प्रातः ब्राह्ममुहूर्त में वातावरण में निसर्ग की शुद्ध एवं शक्तियुक्त ओजोन वायु का बाहुल्य होता है, जो स्वास्थ्य के लिए हितकारी है ।*

*प्रातःकाल की वायु को, सेवन करत सुजान।*
*तातें मुख छवि बढ़त है, बुद्धि होत बलवान।।*

*🔸रोग प्रतिकारक शक्तिवर्धक अनुभूत प्रयोग🔸*

*🔹गाय के दूध की जितनी मात्रा हो उससे आधी मात्रा में पानी मिलाकर उसमे सोने की वस्तु (शुद्ध सोने का साफ़ सुथरा गहना चलेगा) डालकर धीमी आंच पर पानी जल जाने तक उबालें । देशी नस्ल की गाय के दूध में प्राकृतिक रूप से स्वर्णक्षार पाए जाते हैं । स्वर्ण के साथ दूध उबालने से स्वर्ण में स्थित स्वर्णक्षार भी दूध में मिल जाते हैं । यह स्वर्णसिद्ध गौदुग्ध रोगप्रतिकारक शक्ति को बढ़ाता है । इसका सेवन कर वृद्ध लोग भी तंदुरुस्त रह सकते हैं l सोना न हो तो चांदी का भी उपयोग किया जा सकता है ।*
*लोक कल्याण सेतु अक्टूबर 2011*

*🔸बड़ (बरगद)🔸*

*🔹बवासीर, वीर्य का पतलापन, शीघ्रपतन, प्रमेह स्वप्नदोष आदि रोगों में बड़ का दूध अत्यंत लाभकारी है । प्रातः सूर्योदय के पूर्व वायुसेवन के लिये जाते समय २-३ बताशे साथ में ले जायें ।*

*🔹बड़ की कली को तोड़कर एक-एक बताशे में बड़ के दूध की ४-५ बूँद टपकाकर खा जायें । धीरे-धीरे बड़ के दूध की मात्रा बढ़ाते जायें । ८-१० दिन के बाद मात्रा कम करते-करते अपनी शुरूवाली मात्रा पर आ जायें । कम-से-कम चालीस दिन यह प्रयोग करे ।*

*🔹बड़ का दूध दिल, दिमाग व जिगर को शक्ति प्रदान करता है एवं मूत्र रुकावट (मूत्रकृच्छ) में भी आराम होता है । इसके सेवन से रक्तप्रदर व खूनी बवासीर का रक्तसाव बन्द होता है पैरों की एडियों में बड़ को दूध लगाने से वे नहीं फटती चोट, मोच और गठिया रोग में इसकी सूजन पर इस दूध का लेप करने से बहुत आराम होता है ।*

*🔹मुफ्त में उपलब्ध यह दूध अच्छे से अच्छे बलवीर्यवर्द्धक नुस्खे की बराबरी कर सकता है । वीर्य- विकार व कमजोरी के शिकार रोगियों को धैर्य के साथ लगातार ऊपर बताई विधि के अनुसार इसका सेवन करना चाहिये ।*

*🔹बड़ की छाल का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन एक कप मात्रा में पीने से मधुमेह (डायबिटीज) में फायदा होता है व शरीर में बल बढ़ता है ।*

*🔹उसके कोमल पत्तों को छाया में सुखाकर कूट- पीस लें । आधा लिटर पानी में एक चम्मच चूर्ण डालकर काढ़ा करें । जब चौथाई पानी शेष बचे तब उतारकर छान लें और पिसी मिश्री मिलाकर कुनकुना करके पियें । यह प्रयोग दिमागी शक्ति बढ़ाता है व नजला- जुकाम ठीक करता है ।*
*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 22 अप्रैल 2024*
*दिन - सोमवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - चतुर्दशी रात्रि 03:25 अप्रैल 23 तक तत्पश्चात पूर्णिमा*
*नक्षत्र - हस्त रात्रि 08:00 तक तत्पश्चात चित्रा*
*योग- हर्षण प्रातः 04:29 अप्रैल 23 तक तत्पश्चात वज्र*
*राहु काल - सुबह 07:51 से सुबह 09:23 तक*
*सूर्योदय - 06:16*
*सूर्यास्त - 06:58*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:46 से 05:31 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:12 से दोपहर 01:02 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:14 अप्रैल 23 से रात्रि 00:59 अप्रैल 23 तक*
* व्रत पर्व विवरण- पृथ्वी दिवस*
*विशेष - चतुर्दशी के दिन स्त्री सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।*


*🔹उत्तम स्वास्थ्य हेतु निद्रा – संबंधी ध्यान देने योग्य जरूरी बातें🔹*

*🔹क्या करें✔️🔹*
*👉 १] आयु –आरोग्य संवर्धन हेतु उचित समय पर, उचित मात्रा में नींद लेना जरूरी है ।*
*👉 २] रात को ढीले वस्त्र पहन के बायीं करवट सोयें ।*
*👉 ३] अनिद्रा हो तो सिर पर आँवला-भृंगराज केश तेल व शरीर पर तिल की एवं पैरों के तलवों पर घी की मालिश करें ।*
*👉 ४] सोने से पहले शास्त्राध्ययन या सत्संग श्रवण कर कुछ देर ॐकार का दीर्घ उच्चारण करें, फिर श्वासोच्छ्वास के साथ भगवन्नाम की गिनती करते हुए सोयें तो नींद भी उपासना हो जायेगी ।*

*🔸क्या न करें 🔸*

*👉 १] हाथ-पैर सिकोड़कर, पैरों के पंजो की आँटी (क्रॉस) करके, सिर के पीछे या ऊपर हाथ रखकर तथा पेट के बल नहीं सोना चाहिए ।*
*👉 २] रात को पैर गीले रख के नही सोना चाहिए ।*
*👉 ३] देर रात तक जागरण से शरीर में धातुओं का शोषण होता हैं व शरीर दुर्बल होता है ।*
*👉 ४] दिन में शयन करने से शरीर में बल का क्षय हो जाता है । स्थूल, कफ प्रकृतिवाले व कफजन्य व्याधियों से पीड़ित व्यक्तियों को सभी ऋतुओं में दिन की निद्रा अत्यंत हानिकारक है ।*

*🔹आँवला – भृंगराज केश तेल संत श्री आशारामजी आश्रम व समिति के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध है ।*
*ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०१८ से*

*🔸आत्मरस पाने में परमात्मा के भजन में, परमात्मा के खजाने को पाने में ये पाँच बातें विघ्न करती है ।*

*(१) विषय भोग की इच्छा*
*(२) आलस्य निद्रा*
*(३) बेकार का हँसी-विनोद : हँसी हो तो हरि-तत्त्व की हो, आत्मपरक बात की हो। ये जो पान के गल्ले (दुकान) पर हँसी-मजाक करके अपने को सुखी मान लेते हैं, उसमें से तो झगड़े भी पैदा हो जाते हैं, अज्ञान बढ़ जाता है। इस प्रकार की जो हँसी है वह परमात्म-रस में बाधा डालती है ।*
*(४) जगत के पदार्थों की प्रीति, जगत के पदार्थों का, जगत का चिंतन ।*
*(५) अधिक बोलना ।*

*ये पाँचों बातें शक्ति क्षीण कर देती हैं ये आत्मज्ञान के रास्ते में, हरि भजन में विघ्न हैं ।*

*🔹कार्यों में सफलता-प्राप्ति हेतु*

*🔸जो व्यक्ति बार-बार प्रयत्नों के बावजूद सफलता प्राप्त न कर पा रहा हो अथवा सफलता-प्राप्ति के प्रति पूर्णतया निराश हो चुका हो, उसे प्रत्येक सोमवार को पीपल वृक्ष के नीचे सायंकाल के समय एक दीपक जला के उस वृक्ष की ५ परिक्रमा करनी चाहिए । इस प्रयोग को कुछ ही दिनों तक सम्पन्न करनेवाले को उसके कार्यों में धीरे-धीरे सफलता प्राप्त होने लगती है ।*
*ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२१ से*

*🔸सोमवार को बाल कटवाने से शिवभक्ति की हानि होती है ।*

*🔸सोमवार को तथा दोपहर के बाद बिल्वपत्र न तोड़ें ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 23 अप्रैल 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - पूर्णिमा सुबह 05:18 अप्रैल 24 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*नक्षत्र - चित्रा रात्रि 10:32 तक तत्पश्चात स्वाति*
*योग- वज्र प्रातः 04:57 अप्रैल 24 तक तत्पश्चात सिद्ध*
*राहु काल - दोपहर 03:48 से शाम 05:23 तक*
*सूर्योदय - 06:15*
*सूर्यास्त - 06:58*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:45 से 05:30 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:11 से दोपहर 01:02 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:14 अप्रैल 24 से रात्रि 00:59 अप्रैल 24 तक*
* व्रत पर्व विवरण- चैत्री पूर्णिमा, श्री हनुमान जयंती*
*विशेष - पूर्णिमा के दिन स्त्री सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।*

*🔹स्वास्थ्य के लिए हितकारी पीपल :-🔹*

*🔸पित्त-नाश व बलवृधि के लिए :🔸*

*🔸पीपल के कोमल पत्तों का मुरब्बा बड़ी शक्ति देता है । इसके सेवन से शरीर की कई प्रकार की गर्मी-संबंधी बीमारियाँ चली जाती है । यह किडनी की सफाई करता है । पेशाब खुलकर आता है । पित्त से होने वाली आँखों की जलन दूर होती है । यह गर्भाशय व मासिक संबंधी रोगों में लाभकारी है । इसके सेवन से गर्भपात का खतरा दूर हो जाता है ।*

*🔸पीपल के पत्ते ऐसे नहीं तोड़ना चाहिए । पहले पीपल देवता को प्रणाम करना कि ‘महाराज ! औषध के लिए हम आपकी सेवा लेते हैं, कृपा करना’ पीपल को काटना नहीं चाहिए । उसमें सात्विक देवत्व होता है ।*

*🔸मुरब्बा बनाने की विधि : पीपल के २५० ग्राम लाल कोमल पत्तों को पानी से धोकर उबाल लें, फिर पीसकर उसमें समभाग मिश्री व ५० ग्राम देशी गाय का घी मिलाकर धीमी आँच पर सेंक लें । गाढ़ा होने पर ठंडा करके सुरक्षित किसी साफ बर्तन ( काँच की बरनी उत्तम है ) में रख लें ।*

*🔹सेवन-विधि : १०-१० ग्राम सुबह-शाम दूध से लें ।*

*🔹हृदय मजबूत करने के लिए : १०-१२ ग्राम पीपल के कोमल पत्तों का रस और चोथाई चमम्च पीसी मिश्री सुबह-शाम लेने से हृदय मजबूत होता है, हृदयघात (हार्ट -अटैक) नहीं होता । इससे मिर्गी व मूर्च्छा की बीमारी में लाभ होता है ।*
*📖- लोक कल्याण सेतु - मार्च 2012*

*🔹सुख-समृद्धि की सदैव वृद्धि हेतु*

*🏡 घर के मध्य में तुलसी का पौधा होने से घर में प्रेम के साथ-साथ सुख-समृद्धि की भी सदैव वृद्धि होती रहती है ।*

*📖- ऋषि प्रसाद July 2012*

*🔹 देशी गाय व भैंस के दूध में अंतर🔹*

*🐄 देशी गाय का दूध 🐄*
* १] सुपाच्य होता है ।*
* २] इसमें स्वर्ण-क्षार होते हैं ।*
* ३] बुद्धि को कुशाग्र बनाता है ।*
* ४] स्मरणशक्ति बढाता है एवं स्फूर्ति प्रदान करता है ।*
* ५] यह सत्त्वगुण बढ़ाता है ।*
* ६] गाय अपना बछड़ा देखकर स्नेह व वात्सल्य से भर के दूध देती है ।*

*🐃 भैंस का दूध 🐃*
* १] पचने में भारी होता है ।*
* २] इसमें स्वर्ण-क्षार नहीं होते हैं ।*
* ३] बुद्धि को मंद करता है ।*
* ४] यह आलस्य व अत्यधिक नींद लाता है ।*
* ५] यह तमोगुण बढ़ाता है ।*
* ६] भैंस स्वाद व खुराक देखकर दूध देती है । भैंस का दूध पीके बड़े होनेवाले भाई सम्पदा के लिए लड़ते-मरते हैं ।*

*🐄 देशी गाय के दूध में सम्पूर्ण प्रोटीन्स रहने के कारण यह मनुष्यों के लिए अनिवार्य है । भैंस के दूध की अपेक्षा गाय के दूध में रहनेवाले प्रोटीन्स सुगमता से पचते हैं । गाय के दूध में ऑक्सिडेज तथा रिडक्टेज एंजाइम की प्रचुरता रहती है, जो पाचन में सहायता देने के अतिरिक्त दूध पीनेवालों के शरीर में पाये जानेवाले टोक्सिंस (विषैले पदार्थ) को दूर करते हैं ।*

*🐄 देशी गाय के दूध की और भी अनेक विशेषताएँ हैं । ऊपर दिये गये बिन्दुओं से देशी गाय के दूध की श्रेष्ठता स्पष्ट हो जाती है । देशी गाय का दूध पीकर हम आयु, बुद्धिमत्ता, सात्त्विकता, निरोगता आदि बढायें या भैंस का दूध पी के इन्हें घटायें – यह हमारे हाथ की बात है ।*

*🐃 भैंस के दूध से भी अधिक हानिकारक है जर्सी आदि विदेशी संकरित गायों का दूध ।*

*- 📖स्त्रोत- ऋषिप्रसाद – मार्च २०१६ से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*

*दिनांक - 24 अप्रैल 2024*
*दिन बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - प्रतिपदा पूर्ण रात्रि तक*
*नक्षत्र - स्वाति रात्रि 12:41 अप्रैल 25 तक तत्पश्चात विशाखा*
*योग- सिद्धि प्रातः 05:06 अप्रैल 25 तक तत्पश्चात व्यतिपात*
*राहु काल - दोपहर 12:37 से दोपहर 02:42 तक*
*सूर्योदय - 06:15*
*सूर्यास्त - 06:58*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:44 से 05:30 तक*
* अभिजीत मुहूर्त- कोई नही*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:14 अप्रैल 25 से रात्रि 00:59 अप्रैल 25 तक*
* व्रत पर्व विवरण- वैशाख स्नानारम्भ*
*विशेष - प्रतिपदा के दिन कुष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) खाने से धन का नाश होता है।*

*🔸वैशाख मास 24 अप्रैल से 23 मई 2024🔸*

*🔹वैशाख मास माहात्म्य🔹*
*(स्कन्द पुराण अंतर्गत)*

*🔹अम्बरीष ने पूछा – मुने ! वैशाख माह के व्रत का क्या विधान है ? इसमें किस तपस्या का अनुष्ठान करना पड़ता है ? क्या दान होता है? कैसे स्नान किया जाता है और किस प्रकार भगवान केशव की पूजा की जाती है ? ब्रह्मर्षे ! आप श्रीहरि के प्रिय भक्त तथा सर्वज्ञ हैं, अत: कृपा करके मुझे ये सब बातें बताइए ।*

*🔹नारदजी ने कहा – साधुश्रेष्ठ ! सुनो, वैशाख मास में जब सूर्य मेष राशि पर चले जाएँ तो किसी बड़ी नदी में, नदी रूप तीर्थ में, सरोवर में, झरने में, देवकुण्ड में, स्वत: प्राप्त हुए किसी भी जलाशय में, बावड़ी में अथवा कुएँ आदि पर जाकर नियमपूर्वक भगवान श्रीविष्णु का स्मरण करते हुए स्नान करना चाहिए । स्नान के पहले निम्नांकित श्लोक का उच्चारण करना चाहिए –*

*यथा ते माधवो मासो वल्लभो मधुसूदन ।*
*प्रात:स्नानेन मे तस्मिन् फलद: पापहा भव ।।(89।11)*

*अर्थ – “मधुसूदन ! माधव मास (वैशाख माह) आपको विशेष प्रिय है, इसलिए इसमें प्रात:स्नान करने से आप शास्त्रोक्त फल देने वाले हो और मेरे पापों का नाश कर दें”।*

*येSबान्धवा बान्धवा ये येSन्यजन्मनि बान्धवा:।*

*ये तृप्तिमखिला यान्तु येSप्यस्मत्तोयकाड्क्षिण:।। (89।35)*

*अर्थ – “जो लोग मेरे बान्धव न हों, जो मेरे बान्धव हों तथा जो दूसरे किसी जन्म में मेरे बान्धव रहे हों, वे सब मेरे दिये हुए जल से तृप्त हों । उनके सिवा और भी जो कोई प्राणी मुझसे जल की अभिलाषा रखते हों, वे भी तृप्ति लाभ करें ।”*

*यों कहकर उनकी तृप्ति के उद्देश्य से जल गिराना चाहिए । तत्पश्चात सूर्यदेव के नामों का उच्चारण करते हुए अक्षत, फूल, लाल चन्दन और जल के द्वारा उन्हें यत्नपूर्वक अर्घ्य दें ।*

*अर्घ्यदान का मन्त्र इस प्रकार है –*

*नमस्ते विश्वरूपाय नमस्ते नमस्ते ब्रह्मरूपिणे।।*
*सहस्त्ररश्मये नित्यं नमस्ते सर्वतेजसे।*
*नमस्ते रुद्रवपुषे नमस्ते भक्तवत्सल।।*
*पद्मनाभ नमस्तेSस्तु कुण्डलांगदभूषित।*
*नमस्ते सर्वलोकानां सुप्तानामुपबोधन।।*
*सुकृतं दुष्कृतं चैव सर्वं पश्यसि सर्वदा।*
*सत्यदेव नमस्तेSस्तु प्रसीद मम भास्कर।।*
*दिवाकर नमस्तेSस्तु प्रभाकर नमोSस्तु ते। (89।37-41)*


*🔹विशेषत: वैशाख के महीने में जो श्रीमधुसूदन का पूजन करता है, उसके द्वारा पूरे एक वर्ष तक श्रीमाधव की पूजा सम्पन्न हो जाती है ।*

*🔹जो समूचे वैशाख भर प्रतिदिन सवेरे स्नान करता, जितेन्द्रियभाव से रहता, भगवान के नाम जपता और हविष्य भोजन करता है, वह सब पापों से मुक्त हो जाता है ।*

*🔹जो वैशाख मास में आलस्य त्यागकर एकभुक्त (चौबीस घंटे में एक बार भोजन करना), नक्तव्रत (केवल रात में एक बार भोजन) अथवा अयाचितव्रत (बिना माँगे मिले हुए अन्न का एक समय भोजन) करता है, वह अपनी संपूर्ण अभीष्ट वस्तुओं को प्राप्त कर लेता है ।*

*🔹वैशाख मास में प्रतिदिन दो बार गाँव से बाहर नदी के जल में स्नान करना, हविष्य खाकर रहना, ब्रह्मचर्य का पालन करना, पृथ्वी पर सोना, नियमपूर्वक रहना, व्रत, दान, जप, होम और भगवान मधुसूदन की पूजा करना – ये नियम हजारों जन्मों के भयंकर पाप को भी हर लेते हैं ।*

*🔹जैसे भगवान माधव ध्यान करने पर सारे पाप नष्ट कर देते हैं, उसी प्रकार नियमपूर्वक किया हुआ माधवमास का स्नान भी समस्त पापों को दूर कर देता है ।*

*🔹प्रतिदिन तीर्थ स्नान, तिलों द्वारा पितरों का तर्पण, धर्मघट आदि का दान और श्रीमधुसूदन का पूजन – ये भगवान को संतोष प्रदान करने वाले हैं, वैशाख मास में इनका पालन अवश्य करना चाहिए ।*

*🔹जो वैशाख मास में तुलसीदल से भगवान विष्णु की पूजा करता है, वह विष्णु की सायुज्य मुक्ति को पाता है ।*

*🔹जो व्यक्ति महात्माओं, थके और प्यासे व्यक्तियों को स्नेह के साथ शीतल जल पिलाता है, उसे उतनी ही मात्रा से दस हजार राजसूय यज्ञों का फल प्राप्त होता है ।*

*🔹जो वैशाख मास में सड़क पर यात्रियों के लिए प्याऊ लगाता है, वह विष्णुलोक में प्रतिष्ठित होता है ।*
*🔹दोपहर में आए हुए ब्राह्मण मेहमान को या भूखे जीव को यदि कोई भोजन करवाएं तो उसको अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है ।*

*🔹विष्णुप्रिय वैशाख मास में किसी जरूरतमंद व्यक्ति को पादुका या जूते-चप्पल दान करता हैं, वह यमदूतों का तिरिस्कार करके भगवान श्री हरि के लोक में जाता है ।*

*🔹जो वैशाख मास गर्मी के महीने में फल और शर्बत का दान देता है उससे उसके पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते है और दान देने वाले के सारे पाप कट जाते हैं ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 25 अप्रैल 2024*
*दिन- गुरुवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - प्रतिपदा सुबह 6:45 तक तत्पश्चात द्वितीया*
*नक्षत्र - विशाखा रात्रि 02:24 अप्रैल 26 तक तत्पश्चात अनुराधा*
*योग- व्यतिपात प्रातः 04:54 अप्रैल 26 तक तत्पश्चात वरीयान*
*राहु काल - दोपहर 02:12 से दोपहर 03:48 तक*
*सूर्योदय - 06:14*
*सूर्यास्त - 06:59*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:44 से 05:29 तक*
* अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12:11 से दोपहर 01:02 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:14 अप्रैल 26 से रात्रि 00:59 अप्रैल 26 तक*
*व्रत पर्व विवरण- सम्पूर्ण वैशाख मास 24 अप्रैल से 23 मई तक सब तीर्थ आदि देवता जल में सदैव स्थित रहते हैं। अतः इस सर्वोत्तम मास में सूर्योदय से पूर्व स्नान व जलदान महापुण्यदायी है।*
*विशेष - द्वितीया के दिन बृहति (छोटा बैंगन, कटेहरी) खाना वर्जित है।*

*🌹 वैशाख मास माहात्म्य 🌹*

*🌹 वैशाख मास सुख से साध्य, पापरूपी इंधन को अग्नि की भाँति जलानेवाला, अतिशय पुण्य प्रदान करनेवाला तथा धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष - चारों पुरुषार्थों को देनेवाला है ।*

*🌹 देवर्षि नारदजी राजा अम्बरीष से कहते हैं : ‘‘राजन् ! जो वैशाख में सूर्योदय से पहले भगवत्-चिंतन करते हुए पुण्यस्नान करता है, उससे भगवान विष्णु निरंतर प्रीति करते हैं । पाप तभी तक गरजते हैं जब तक जीव यह पुण्यस्नान नहीं करता ।*

*🌹 वैशाख मास में सब तीर्थ आदि देवता बाहर के जल (तीर्थ के अतिरिक्त) में भी सदैव स्थित रहते हैं । सब दानों से जो पुण्य होता है और सब तीर्थों में जो फल होता है, उसीको मनुष्य वैशाख में केवल जलदान करके पा लेता है । यह सब दानों से बढ़कर हितकारी है ।’’ (ऋषि प्रसाद, अप्रैल : 2009)*

*🌹 वैशाख (माधव) मास में जो भक्तिपूर्वक दान, जप, हवन और स्नान आदि शुभ कर्म किये जाते हैं, उनका पुण्य अक्षय तथा सौ करोड़ गुना अधिक होता है । (पद्म पुराण)*

*🔹गर्मियों में स्वास्थ्य-सुरक्षा हेतु🔹*
* क्या करें ?*


*👉🏻 १] गर्मी के कारण जिनको सिरदर्द व कमजोरी होती है वे लोग सूखा धनियां पानी में भिगा दें और घिसके माथे पर लगायें । इससे सिरदर्द और कमजोरी दूर होगी ।*

*👉🏻 २] नाक से खून गिरता हो तो हरे धनिये अथवा ताजी कोमल दूब (दूर्वा) का २ – २ बूँद रस नाक में डालें । इससे नकसीर फूटना बंद हो जायेगा ।*

*👉🏻 ३] सत्तू में शीतल जल, मिश्री और थोडा घी मिलाकर घोल बनाके पियें । यह बड़ा पुष्टिा दायी प्रयोग है । भोजन थोडा कम करें ।*

*👉🏻 ४] भोजन के बीच में २५ – ३५ मि. ली. आँवले का रस पियें । ऐसा २१ दिन करें तो ह्रदय व मस्तिष्क की दुर्बलता दूर होगी । ( शुक्रवार व रविवार को आँवले का सेवन वर्जित है ।)*

*👉🏻 ५] २० मि. ली. आँवला रस, १० ग्राम शहद, ५ ग्राम घी – सबका मिश्रण करके पियें तो बल, बुद्धि, ओज व आयु बढ़ाने में मदद मिलती है ।*

*👉🏻 ६] मुँह में छाले पड गये हों तो त्रिफला चूर्ण को पानी में डाल के कुल्ले करें तथा मिश्री चूसें । इससे छाले शांत हो जायेंगे ।*

* क्या न करें ?*
*👉🏻 १] अति परिश्रम, अति कसरत, अति रात्रि-जागरण, अति भोजन व भारी भोजन नहीं करें । भोजन में लाल मिर्च व गर्म मसालों का प्रयोग न करें ।*

*👉🏻 २] गर्मियों में दही भूल के भी नहीं खाना चाहिए । इससे आगे चल के नस-नाड़ियों में अवरोध उत्पन्न होता है और कई बीमारियाँ होती हैं । दही खाना हो तो सीधा नहीं खायें, पहले उसे मथ के मक्खन निकाल लें और बचे हुए भाग को लस्सी या छाछ बना के मिश्री मिला के या छौंक लगा के सेवन करें । ध्यान रहे, दही खट्टा न हो ।*

*👉🏻 ३] बाजारू शीतल पेयों से बचें । फ्रिज का पानी न पियें । धूप में से आकर तुरंत पानी न पियें ।*

*👉🏻 ४ ] अति मैथुन से बुढापा जल्दी आयेगा, कमजोरी जल्दी आयेगी । अत: इससे दूर रहें | ग्रीष्म ऋतू में विशेषरूप से संयम रखें ।*
*📖ऋषि प्रसाद – अप्रैल २०१९ से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 26 अप्रैल 2024*
*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - द्वितीया प्रातः 07:45 तक तत्पश्चात तृतीया*
*नक्षत्र - अनुराधा रात्रि 03:40 तक अप्रैल 27 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा*
*योग- वरीयान प्रातः 04:20 अप्रैल 27 तक तत्पश्चात परिघ*
*राहु काल - सुबह 11:01 से दोपहर 12:36 तक*
*सूर्योदय - 06:13*
*सूर्यास्त - 06:59*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:43 से 05:28 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:11 से दोपहर 01:02 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:14 अप्रैल 27 से रात्रि 12:58 अप्रैल 27 तक*
*विशेष - तृतीय को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹लू से बचने के लिए🔹*

*🔹लू से बचने के लिए तेज धूप में घर से बाहर निकलते समय पानी पीकर एवं जूते व टोपी पहन के ही निकलें । एक साबुत प्याज साथ में रखें । लू लगने पर मोसम्बी के रस का सेवन बहुत ही लाभदायी हैं ।*
*📖 ऋषि प्रसाद – मई २०२०*

*🔹सिर का सहज सुरक्षा-कवच टोपी🔹*

*👉 धूप से अपने सिर की रक्षा करना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है । धूप में नंगे सिर घूमने से सिर,आँख,नाक व कान के अनेक रोग होते हैं । सिर में गर्म हवा लगने एवं बारिश का पानी पड़ने से भी अनेक रोग होते हैं । धूप के दुष्प्रभाव से ज्ञान तंतुओं को क्षति पहुंचती है, जिससे यादशक्ति कम हो जाती है ।*

*👉 पूर्वकाल में हमारे दादा-परदादा नियमित रूप से टोपी या पगड़ी पहनते थे और महिलाएँ हमेशा सिर ढक कर रखती थी । इस कारण उन्हें समय से पूर्व बाल सफेद होना, अत्यधिक बाल झड़ना (गंजापन), सर्दी होना, सिर दर्द होना तथा आँख,कान,नाक के बहुत-से रोग इनका इतना सामना नहीं करना पड़ता था ।*

*👉 यदि आप अपने शरीर के उपरोक्त महत्वपूर्ण अंगों की कार्यक्षमता लम्बे समय तक बनाये रखना चाहते हैं तो धूप से अपने सिर की रक्षा कीजिये । इसके लिए टोपी अत्यंत सुविधाजनक तथा उपयोगी है ।*

*आयुर्वेद कहता है:-*
*उष्णीषं कान्तिकृत्केश्यं रजोवातकफापहम् ।।*
*लघु यच्छस्यते तस्मात् गुरुं पित्ताक्षिरोग कृत् ।।*

*🔸'मस्तक पर उष्णीष (पगड़ी, साफा, टोपी आदि) धारण करना कांति की वृद्धि करने वाला,केश के लिए हितकारी,धूलि को दूर करनेवाला अर्थात धूलि से बालों को बचानेवाला और वात तथा कफ का नाशक होता है । परंतु ये सब उत्तम लाभ तभी होते हैं जब वह हलका हो । यदि उष्णीष बहुत भारी हो तो पित्त की वृद्धि और नेत्र संबंधी रोग को उत्पन्न करने वाला होता है ।*


*(भावप्रकाश पु.लं., दिनचर्या दी प्रकरण ५.२३७)*

*👉 सूर्य से निकलने वाली अल्ट्रावायलेट किरणें त्वचा एवं होंठों के कैंसर का महत्वपूर्ण कारण मानी जाती हैं । ये किरणें काँचबिंदु जैसी आँखों की विकृतियों को भी जन्म देती है ।*

*👉 वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसी टोपियाँ जिनमें किनारों पर कम-से-कम ३ इंच की पट्टी चारों तरफ लगी है,सिर,चेहरा,कानों तथा गले को सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाती हैं, जिससे स्किन कैंसर से बचाव हो जाता है । घुमावदार टोपियाँ अधिक उपयुक्त होती हैं ।*

*👉चुनाव-प्रचार में बाँटने वाली सिंथेटिक टोपियां लाभकारी नहीं होतीं टोपियाँ मोटे कपड़े की होनी चाहिए ।*

*📖 ऋषि प्रसाद / मई २००९*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 27 अप्रैल 2024*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैसाख*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - तृतीया प्रातः 08:17 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*नक्षत्र - ज्येष्ठा प्रातः 04:28 अप्रैल 28 तक तत्पश्चात मूल*
*योग- परिघ प्रातः 04:28 अप्रैल 28 तक तत्पश्चात शिव*
*राहु काल - सुबह 09:24 से सुबह 11:00 तक*
*सूर्योदय - 06:13*
*सूर्यास्त - 07:00*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:43 से 05:28 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:11 से दोपहर 01:02 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 अप्रैल 28 से रात्रि 12:58 अप्रैल 28 तक*
* व्रत पर्व विवरण- विकट संकष्टी चतुर्थी*
*विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*📿तुलसी माला की महिमा📿*

*🔹गले में तुलसी की माला धारण करने से जीवनीशक्ति बढ़ती है, बहुत से रोगों से मुक्ति मिलती है । शरीर निर्मल, रोगमुक्त व सात्त्विक बनता है ।*

*🔹तुलसी माला से भगवन्नाम जप करने एवं इसे गले में पहनने से आवश्यक एक्यूप्रेशर बिंदुओं पर दबाव पड़ता है, जिससे मानसिक तनाव में लाभ होता है, संक्रामक रोगों से रक्षा होती है तथा शरीर-स्वास्थ्य में सुधार होकर दीर्घायु में मदद मिलती है ।*

*🔹तुलसी को धारण करने से शरीर में विद्युतशक्ति का प्रवाह बढ़ता है तथा जीव-कोशों का विद्युतशक्ति धारण करने का सामर्थ्य बढ़ता है ।*

*🔹गले में तुलसी माला पहनने से विद्युत तरंगे निकलती हैं जो रक्त संचार में रुकावट नहीं आने देती । प्रबल विद्युतशक्ति के कारण धारक के चारों ओर आभामंडल विद्यमान रहता है ।*

*🔹गले में तुलसी माला धारण करने से आवाज सुरीली होती है । हृदय पर झूलने वाली तुलसी माला हृदय व फेफड़े को रोगों से बचाती है । इसे धारण करने वाले के स्वभाव में सात्त्विकता का संचार होता है ।*

*🔹तुलसी की माला धारक के व्यक्तित्व को आकर्षक बनाती है । कलाई में तुलसी का गजरा पहनने से नाड़ी संबंधी समस्याओं से रक्षा होती है, हाथ सुन्न नहीं होता, भुजाओं का बल बढ़ता है ।*

*🔹तुलसी की जड़ें अथवा जड़ों के मनके कमर में बाँधने से स्त्रियों को विशेषतः गर्भवती स्त्रियों को लाभ होता है । प्रसव वेदना कम होती है और प्रसूति भी सरलता से हो जाती है । कमर में तुलसी की करधनी पहनने से पक्षाघात (लकवा) नहीं होता एवं कमर, जिगर, तिल्ली, आमाशय और यौनांग के विकार नहीं होते हैं ।*

*🔹यदि तुलसी की लकड़ी से बनी हुई मालाओं से अलंकृत होकर मनुष्य देवताओं और पितरों के पूजनादि कार्य करे तो वे कोटि गुना फल देने वाले होते हैं । जो मनुष्य तुलसी लकड़ी से बनी माला भगवान विष्णु को अर्पित करके पुनः प्रसादरूप से उसे भक्तिपूर्वक धारण करता है, उसके पातक नष्ट हो जाते हैं ।*


*📜शास्त्रों में वर्णित तुलसी महिमा📜*

*🔹अनेक व्रतकथाओं, धर्मकथाओं, पुराणों में तुलसी महिमा के अनेक आख्यान हैं । भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की कोई भी पूजा विधि तुलसी दल के बिना परिपूर्ण नहीं मानी जाती ।*

*🔹जो दर्शन करने पर सारे पाप-समुदाय का नाश कर देती है, स्पर्श करने पर शरीर को पवित्र बनाती है, प्रणाम करने पर रोगों का निवारण करती है, जल से सींचने पर यमराज को भी भय पहुँचाती है, आरोपित करने पर भगवान श्रीकृष्ण के समीप ले जाती है और भगवान के चरणों में चढ़ाने पर मोक्षरूपी फल प्रदान करती है, उस तुलसी देवी को नमस्कार है । (पद्म पुराणः उ.खं. 56.22)*

*🔹तुलसी के निकट जो भी मंत्र-स्तोत्र आदि का जप-पाठ किया जाता है, वह सब अनंत गुना फल देने वाला होता है ।*

*🔹प्रेत, पिशाच, ब्रह्मराक्षस, भूत दैत्य आदि सब तुलसी के पौधे से दूर भागते हैं ।*

*🔹ब्रह्महत्या आदि पाप तथा पाप और खोटे विचार से उत्पन्न होने वाले रोग तुलसी के सामीप्य एवं सेवन से नष्ट हो जाते हैं ।*

*🔹श्राद्ध और यज्ञ आदि कार्यों में तुलसी का एक पत्ता भी महान पुण्य देने वाला है ।*

*🔹तुलसी के नाम-उच्चारण से मनुष्य के पाप नष्ट हो जाते हैं तथा अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है ।*

*🔹तुलसी ग्रहण करके मनुष्य पातकों से मुक्त हो जाता है ।*

*📜वास्तु शास्त्र तुलसी 📜*

*🔷वास्तु शास्त्र में भी तुलसी को घर में सकारात्मकता लाने वाला पवित्र पौधा माना गया है तुलसी के पौधे को घर में पूर्व दिशा में रखें। इस दिशा में तुलसी का पौधा रखने पर घर में आध्यात्मिक विकास भी तेज होता है. घर के सदस्यों के बीच मनमुटाव कम होता है और प्रेम भाव बढ़ता है।*

*🔷अगर किसी वजह से पूर्व दिशा में नहीं रख सकते हैं तो उत्तर पूर्व दिशा, उत्तर दिशा या फिर उत्तर पश्चिम दिशा में रख सकते हैं।

*🔷इसे भूलकर भी पश्चिम दिशा में नहीं रखना चाहिए अन्यथा घर में आर्थिक उन्नति के रास्ते बंद हो जाते हैं*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 28 अप्रैल 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - चतुर्थी प्रातः 08:21 तक पंचमी*
*नक्षत्र - मूल प्रातः 04:49 अप्रैल 29 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा*
*योग- शिव रात्रि 02:06 अप्रैल 29 तक तत्पश्चात सिद्ध*
*राहु काल - शाम 05:24 से शाम 07:00 तक*
*सूर्योदय - 06:12*
*सूर्यास्त - 07:00*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:42 से 05:27 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:10 से दोपहर 01:02 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 अप्रैल 29 से रात्रि 12:58 अप्रैल 29 तक*
*विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 सदगृहस्थों के आठ लक्षण 🌹*

*🌹 सदगृहस्थों के लक्षण बताते हुए महर्षि अत्रि कहते हैं कि अनसूया, शौच, मंगल, अनायास, अस्पृहा, दम, दान तथा दया – ये आठ श्रेष्ठ विप्रों तथा सदगृहस्थों के लक्षण हैं । यहाँ इनका संक्षिप्त परिचय दिया जा रहा हैः*

*🌹अनसूयाः जो गुणवानों के गुणों का खंडन नहीं करता, स्वल्प गुण रखने वालों की भी प्रशंसा करता है और दूसरों के दोषों को देखकर उनका परिहास नहीं करता – यह भाव अनसूया कहलाता है ।*

*🌹 शौचः अभक्ष्य-भक्षण का परित्याग, निंदित व्यक्तियों का संसर्ग न करना तथा आचार – (शौचाचार-सदाचार) विचार का परिपालन – यह शौच कहलाता है)*

*🌹 मंगलः श्रेष्ठ व्यक्तियों तथा शास्त्रमर्यादित प्रशंसनीय आचरण का नित्य व्यवहार, अप्रशस्त (निंदनीय) आचरण का परित्याग – इसे धर्म के तत्त्व को जानने वाले महर्षियों द्वारा ʹमंगलʹ नाम से कहा गया है ।*

*🌹 अनायासः जिस शुभ अथवा अशुभ कर्म के द्वारा शरीर पीड़ित होता हो, ऐसे व्यवहार को बहुत अधिक न करना अथवा सहज भाव से आसानीपूर्वक किया जा सके उसे करने का भाव ʹअनायासʹ कहलाता है ।*

*🌹 अस्पृहाः स्वयं अपने-आप प्राप्त हुए पदार्थ में सदा संतुष्ट रहना और दूसरे की स्त्री की अभिलाषा नहीं रखना – यह भाव ʹअस्पृहाʹ कहलाता है ।*

*🌹 दमः जो दूसरे के द्वारा उत्पन्न बाह्य (शारीरिक) अथवा आध्यात्मिक दुःख या कष्ट के प्रतिकारस्वरूप उस पर न तो कोई कोप करता है और न उसे मारने की चेष्टा करता है अर्थात् कियी भी प्रकार से न तो स्वयं उद्वेग की स्थिति में होता है और न दूसरे को उद्वेलित करता है, उसका यह समता में स्थित रहने का भाव ʹदमʹ कहलाता है ।*

*🌹 दानः ʹप्रत्येक दिन दान देना कर्तव्य हैʹ - यह समझकर अपने स्वल्प में भी अंतरात्मा से प्रसन्न होकर प्रयत्नपूर्वक यत्किंचित देना ʹदानʹ कहलाता है ।*

*🌹 दयाः दूसरे में, अपने बंधुवर्ग में, मित्र में, शत्रु में, तथा द्वेष करने वाले में अर्थात् सम्पूर्ण चराचर संसार में एवं सभी प्राणियों में अपने समान ही सुख-दुःख की प्रतीति करना और सबमें आत्मभाव-परमात्मभाव समझकर सबको अपने ही समान समझकर प्रीति का व्यवहार करना – ऐसा भाव ʹदयाʹ कहलाता है । महर्षि अत्रि कहते हैं, इन लक्षणों से युक्त शुद्ध सदगृहस्थ अपने उत्तम धर्माचरण से श्रेष्ठ स्थान को प्राप्त कर लेता है, पुनः उसका जन्म नहीं होता और वह मुक्त हो जाता हैः*

*यश्चैतैर्लक्षणैर्युक्तो गृहस्थोઽपि भवेद् द्विजः।*
*स गच्छति परं स्थानं जायते नेह वै पुनः।।*
*(अत्रि संहिताः 2.42)*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 29 अप्रैल 2024*
*दिन - सोमवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - पंचमी प्रातः 07:57 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*नक्षत्र - पूर्व आषाढ़ा प्रातः 04:42 तक अप्रैल 30 तत्पश्चात उत्तराषाढ़ा*
*योग- सिद्ध रात्रि 12:26 अप्रैल 30 तक तत्पश्चात साध्य*
*राहु काल - प्रातः 07:48 से प्रातः 09:24 तक*
*सूर्योदय - 06:12*
*सूर्यास्त - 07:00*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:42 से 05:27 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:10 से दोपहर 01:02 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 अप्रैल 30 से रात्रि 12:58 अप्रैल 30 तक*
* व्रत पर्व विवरण- परम् पूज्य संत श्री आशारामजी बापू का अवतरण दिवस*
*विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*


*🌹साधकों की सेवा का प्रेरक पर्व : अवतरण दिवस - 29 अप्रैल 2024*

*(परम पूज्य संत श्री आशारामजी महाराज के सत्संग से)*

*🌹जीवन के जितने वर्ष पूरे हुए, उनमें जो भी ज्ञान, शांति, भक्ति थी, आनेवाले वर्ष में हम उससे भी ज्यादा भगवान की तरफ, समता की तरफ, आत्मवैभव की तरफ बढ़ें इसलिए जन्मदिवस मनाया जाता है।*

*🌹‘जन्म’ किसको बोलते हैं? जो अव्यक्त है, छुपा हुआ है वह प्रकट हुआ इसको ‘जन्म’ बोलते हैं। और ‘अवतरण’ किसको बोलते हैं? जो ऊपर से नीचे आये। जैसे राष्ट्रपति अपने पद से नीचे आये और स्टेनोग्राफर को मददरूप हो जाय, उनके साथ मिलकर काम करे-कराये इसको बोलते हैं ‘अवतरण’।*

*कुछ लोग केक काटते हैं, मोमबत्तियाँ फूँकते हैं और फूँक के द्वारा लाखों-लाखों जीवाणु निकलते हैं। यह जन्मदिवस मनाने का पाश्चात्य तरीका है लेकिन हमारी भारतीय संस्कृति में इस तरीके को अस्वीकार कर दिया गया है। तमसो मा ज्योतिर्गमय - हम अंधकार से प्रकाश की तरफ जायें। अंधकारमयी कई योनियों से हम भटकते हुए आये, अब आत्मप्रकाश में जियें।*

*🌹जन्मदिवस मनाने के पीछे उद्देश्य होना चाहिए कि आज तक के जीवन में जो हमने अपने तन के द्वारा सेवाकार्य किया, मन के द्वारा सुमिरन किया और बुद्धि के द्वारा ज्ञान-प्रकाश पाया, अगले साल अपने ज्ञान में परमात्म-तत्त्व के प्रकाश को हम और भी बढ़ायेंगे, सेवा की व्यापकता को बढ़ायेंगे और भगवत्प्रीति को बढ़ायेंगे। ये तीन चीजें हो गयीं तो आपको उन्नत बनाने में आपका यह जन्मदिवस बड़ी सहायता करेगा। परंतु किसीका जन्मदिवस है और झूम बराबर झूम शराबी... पेग पिये और क्लबों में गये तो यह सत्यानाश दिवस साबित हो जाता है।*

*🌹संतों-महापुरुषों की जयंती अथवा भगवान का अवतरण-दिवस रामनवमी, कृष्ण-जन्माष्टमी आदि मनाते हैं तो इससे हमको, समाज को ही फायदा है, हमारी ही आध्यात्मिक तथा भौतिक उन्नति होती है। मैं अपने लिए जन्मदिवस नहीं मनाता लेकिन जन्मदिवस को माध्यम बनाकर हर वर्ष लाखों बच्चों में प्रेरणादायी सुवाक्यवाली कापियाँ बँटती हैं। सत्रह हजार से भी अधिक चल रहे बाल संस्कार केन्द्रों में भोजन-प्रसाद वितरण, भजन-कीर्तन, अच्छे संस्कारों का सिंचन आदि किया जाता है। चौदह सौ से अधिक चल रहीं समितियों में सेवाकार्य करके उत्सव मनाया जाता है।*

*🌹अवतरण-दिवस का यही संदेश है कि आप ‘बहुजनहिताय, बहुजनसुखाय’ कार्य करके स्वयं परमात्मा में विश्रांति पा लो। बाहर से सुख पाने की वासना मिटाओ और सुखस्वरूप में विश्रांति पाते जाओ। समय बहुत तेजी से बीता जा रहा है। पतन का युग बहुत तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा है। उत्थान चाहनेवाले अपना उत्थान कर लो तो कर लो।*

*🌹पहले बाल-विवाह होता था। एक मुखिया ने अपने बालक के विवाह की व्यवस्था की। अभी मंगलं भगवान विष्णुः... शुरू ही हुआ था कि इतने में बाहर डुगडुगी बजी, बंदरियाँ नचानेवाला आया।*

*बाल दूल्हा उठ खड़ा हुआ, बोला : ‘‘पिताजी! पिताजी! मैं तो बंदरियाँ देखने जाता हूँ।’’*

*पिताजी बोले : ‘‘यह क्या करता है! शादी के फेरे फिर ले।’’*

*🌹वर बोला : ‘‘फेरे तुम फिर लेना, मैं तो बंदरियाँ देखने जाता हूँ।’’ और वह बंदरवालों की डुगडुगी सुनकर भागा।*

*🌹ऐसे ही आप लोग बोलते हो : ‘गुरुजी! तुम पा लेना भगवान को, संसार की डुगडुगियाँ बज रही हैं, हम देखने जा रहे हैं। हम तो केवल आपका जन्मदिवस मनाने आये थे।’ अरे नन्हे बच्चे! हमारा तो कभी जन्म ही नहीं होता जिसको तुम मनाओगे। हमारा कभी जन्म था नहीं, है नहीं, हो सकता नहीं। हाँ, हमारे साधन (शरीर) का जन्म तुम मनाओ। बाकी हमारा तो कभी जन्म ही नहीं हुआ, गुरु महाराज ने दिखा दिया घर में घर।*
*🌹तो भगवान और कारक महापुरुषों का जन्म होता है करुणा-परवश होकर, दयालुता से। वे करुणा करके आते हैं तो यह अवतरण हो गया। हमारे कष्ट मिटाने के लिए भगवान का जो भी प्रेमावतार, ज्ञानावतार अथवा मर्यादावतार आदि होता है, तब वे हमारे नाईं जीते हैं, हँसते-रोते हैं, खाते-खिलाते हैं, सब करते हुए भी सम रहते हैं तो हमको उन्नत करने के लिए। उन्नत करने के लिए जो होता है वह अवतार होता है।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 30 अप्रैल 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - षष्टी प्रातः 07:05 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*नक्षत्र - उत्तराषाढ़ा प्रातः 04:09 तक मई 01 तक तत्पश्चात श्रवण*
*योग- साध्य रात्रि 10:24 तक तत्पश्चात शुभ*
*राहु काल - दोपहर 03:48 से शाम 05:24 तक*
*सूर्योदय - 06:11*
*सूर्यास्त - 07:01*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:42 से 05:26 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:10 से दोपहर 01:01 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 मई 01 से रात्रि 12:58 मई 01 तक*
*विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔸गर्मी से बचने हेतु उपाय 🔸*

*🔹 बायें नथुने से श्वास लें, ६० से ९० सेकंड श्वास अंदर रोककर गुरुमंत्र या भगवन्नाम का मानसिक जप करें और दायें नथुने से धीरे-धीरे छोड़े । ऐसा ३ से ५ बार करें । इससे कैसी भी गर्मी हो, आँखे जलती हों, चिड़चिड़ा स्वभाव हो, फोड़े-फुंसियाँ हो उनमे आराम हो जायेगा । रात को सोते समय थोडा-सा त्रिफला चूर्ण फाँक लेवें ।*

*🔹 गर्मी के दिनों में गर्मी से बचने के लिए लोग ठंडाइयाँ पीते हैं । बाजारू पेय पदार्थ, ठंडाइयाँ पीने की अपेक्षा नींबू की शिकंजी बहुत अच्छी है । दही सीधा खाना स्वास्थ्य के लिए हितकारी नहीं हैं, उसमें पानी डाल के छाछ बनाकर जीरा, मिश्री आदि डाल के उपयोग करना हितकारी होता है ।*

*🔹जिसके शरीर में बहुत गर्मी होती हो, आँखे जलती हो उसको दायीं करवट लेकर थोडा सोना चाहिए, इससे शरीर की गर्मी कम हो जायेगी । और जिसका शरीर ठंडा पड जाता हो और ढीला हो उसको बायीं करवट सोना चाहिए, इससे स्फूर्ति आ जायेगी ।*

*🔹पित्त की तकलीफ है तो पानी-प्रयोग करें (अर्थात रात का रखा हुआ आधा से डेढ़ गिलास पानी सुबह सूर्योदय से पूर्व पिया करें ) । दूसरा, आँवले का मुरब्बा लें अथवा आँवला रस व घृतकुमारी रस (Aloe Vera Juice)मिलाकर बना पेय पियें । इससे पित्त-शमन होता है ।*

*🔹वातदोष हो तो आधा चम्मच आँवला पावडर, १ चम्मच घी और १ चम्मच मिश्री मिला के सुबह खाली पेट लेने से वातदोष दूर होते है ।*

*🔸बाल कटवाने का सही तरीका🔸*

*🔹शास्त्रों के ज्ञान को लोग भूलते जा रहे हैं अतः आज चिंता, दुःख, परेशानी, अवसाद आदि बढ़ते जा रहे हैं। पूज्य बापू जी ने शास्त्रों का दोहन कर कई जीवनोपयोगी विधियों के ज्ञान से समाज को लाभान्वित किया है । इनमें क्षौर कर्म भी आता है । पूज्य श्री कहते हैं- "हमारे शास्त्रों ने मुंडन कब करना चाहिए, बाल कब कटवाने चाहिए वह भी खोज लिया है ।*

*🔹रविवार को जो लोग मुंडन कराते हैं अथवा बाल कटवाते हैं, उनके धन, बुद्धि और धर्म की हानि होती है, ऐसा लिखा है । रविवार आदि के दिन बाल कटवा तो लेते हैं, परवाह नहीं करते हैं लेकिन बेचारों के जीवन में उन ग्रहों का कुप्रभाव तो देखने में आता ही है ।*

*🔹सोमवार को अगर क्षौर कर्म कराते हैं तो शिवभक्त की भक्ति की हानि होती है लेकिन शिवभक्त नहीं हैं तो सोमवार को मुंडन, बाल कटाने से कोई हानि नहीं है । पुत्रवान को भी इस दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए ।*

*🔹मंगलवार को आयुष्य क्षीण होता है ।*

*🔹बुधवार को धन-लाभ होता है ।*

*🔹गुरुवार को करायें तो मान और लक्ष्मी अथवा धन-दौलत में बरकत क्षीण होने लगती है ।*

*🔹अगर शुक्रवार को क्षौर कर्म कराते हैं तो धन-लाभ व यश-लाभ बढ़ता है ।*

*🔹 और शनिवार को कराते हैं तो आयुष्य क्षीण होता है, अकाल मृत्यु अथवा दुर्घटना का भय रहेगा ।"*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 01 मई 2024*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - सप्तमी प्रातः 04:01 मई 01 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*नक्षत्र - श्रवण प्रातः 3:11 मई 02 तक तत्पश्चात धनिष्ठा*
*योग- शुभ रात्रि 08:02 मई 01 तक तत्पश्चात शुक्ल*
*राहु काल - दोपहर 12:36 से दोपहर 02:12 तक*
*सूर्योदय - 06:10*
*सूर्यास्त - 07:01*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:41 से 05:26 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 मई 02 से रात्रि 12:58 मई 02 तक*
* व्रत पर्व विवरण- बुधवारी अष्टमी सूर्योदय से प्रातः 04:09 मई 02 तक, कालाष्टमी, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, मजदूर दिवस*
*विशेष - अष्टमी को नारियल खाने से बुद्धि का नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*


*🔹इन आठ पुष्पों से भगवान तुरंत प्रसन्न होते हैं । वे आठ पुष्प इस प्रकार हैं :-*

🔸 *(१) इन्द्रियनिग्रह : व्यर्थ देखने, सूँघने, सोचने, इधर-उधर व्यर्थ जगह पर भटकने की आदत को रोकना इसको कहते हैं इन्द्रियनिग्रहरूपी पुष्प ।*

🔸 *(२) अहिंसा : मन-वचन-कर्म से किसीको दुःख न देना ।*

🔸 *(३) निर्दोष प्राणियों पर दया : मूक एवं निर्दोष प्राणियों को न सताना । दोषी को अगर दंड भी देना हो तो उसके हित की भावना से देना ।*

🔸 *(४) क्षमारूपी पुष्प ।*

🔸 *(५) मनोनिग्रह (शम) : मन को एक जगह पर लगाने का अभ्यास करना, एकाग्र करना ।*

🔸 *(६) ध्यान: भगवान का ध्यान करना ।*

🔸 *(७) सत्य का पालन ।*

🔸 *(८) श्रद्धा : भगवान और भगवान को पाये हुए महापुरुषों में दृढ़ श्रद्धा रखना ।*


*🔹इन सात गुणों से सम्पन्न विद्यार्थी छू लेगा बुलंदियाँ*

*🔸'उत्साही, अदीर्घसूत्री (कार्य को शीघ्र पूर्ण करनेवाला), क्रिया की विधि को जाननेवाला, व्यसनों से दूर रहनेवाला, शूर, कृतज्ञ तथा स्थिर मित्रता वाले मनुष्य को सफलताएँ, सिद्धियाँ स्वयं ढूँढ़ने लगती हैं ।'*

*🔹हे विद्यार्थी ! कल्याण करनेवाली ये सात बातें अच्छी तरह से अपने जीवन में लाना । मित्र करो । उत्साहरहित नहीं, उत्साही बनो। दीर्घसूत्री (कार्य को देर से करनेवाला) नहीं, अदीर्घसूत्री हो । आज पढ़ने का पाठ कल पढ़ेंगे, बाद में करेंगे, ऐसा नहीं । जिस समय का जो काम है वह उस समय कर ही लेना चाहिए, बाद के लिए नहीं रखना चाहिए । काम करने की विधि को ठीक तरह से जान लो फिर सुनियोजन करके काम शुरू करो ।*

*🔹फास्ट फूड, डबल रोटी, पीजा, कोल्ड ड्रिंक्स, चाय-कॉफी, पान-मसाला - ये सत्यानाश करते, करते और करते ही हैं । इसलिए इनके सेवन से बचो ।*

*🔹डरपोक जैसे विचार नहीं, शूरवीर जैसे विचार करो । किसीका उपकार न भूलो । अस्थिर मित्र नहीं, सज्जन, अच्छे मित्र बनाओ। परम स्थिर मित्र तो परमात्मा है, उसका तुम ध्यान करो । बाहर भी अच्छे, चरित्रवान, सत्संगी स्थिर मित्र करो ।*

*🔹विद्यार्थी ये सात गुण जिस विद्यार्थी के जीवन में हैं, जिस मनुष्य के जीवन में हैं, आज नहीं तो कल सफलता उसके चरण चूमती है ।*
2024/05/01 23:10:13
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