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*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*

*दिनांक - 28 मार्च 2024*
*दिन - गुरुवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - तृतीया शाम 06:66 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*नक्षत्र - स्वाती शाम 06:38 तक तत्पश्चात विशाखा*
*योग - हर्षण रात्रि 11:13 तक तत्पश्चात वज्र*
*राहु काल - दोपहर 02:17 से 03:49 तक*
*सूर्योदय - 06:36*
*सूर्यास्त - 06:54*
*दिशा शूल - दक्षिण*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:02 से 05:49 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:21 से 01:08 तक*
*व्रत पर्व विवरण - संकष्ट चतुर्थी, छत्रपति शिवाजी जयंती (ति.अ.)*
*विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔸संकष्ट चतुर्थी - 28 मार्च🔸*
*(चंद्रोदय : रात्रि 09:24)*

*🔸क्या है संकष्ट चतुर्थी ?*

*🔹संकष्ट चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी । संकष्ट संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’।*

*🔹इस दिन व्यक्ति अपने दुःखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति की अराधना करता है । पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी होता है । इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं । संकष्ट चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा-पाठ की जाती है ।*

*🔸संकष्ट चतुर्थी पूजा विधि🔸*

*🔹गणपति में आस्था रखने वाले लोग इस दिन उपवास रखकर उन्हें प्रसन्न कर अपने मनचाहे फल की कामना करते हैं ।*

*👉 इस दिन आप प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाएँ ।*

*👉 व्रत करने वाले लोग सबसे पहले स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहन लें । इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है और साथ में यह भी कहा जाता है कि ऐसा करने से व्रत सफल होता है ।*

*👉 स्नान के बाद वे गणपति की पूजा की शुरुआत करें । गणपति की पूजा करते समय जातक को अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए ।*

*👉 सबसे पहले आप गणपति की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें ।*

*👉 पूजा में आप तिल, गुड़, लड्डू, फूल ताम्बे के कलश में पानी, धुप, चन्दन , प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रख लें ।*

*👉 ध्यान रहे कि पूजा के समय आप देवी दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति भी अपने पास रखें । ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है ।*

*👉 गणपति को रोली लगाएं, फूल और जल अर्पित करें ।*

*👉 संकष्टी को भगवान् गणपति को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं ।*

*👉 गणपति के सामने धूप-दीप जला कर निम्लिखित मन्त्र का जाप करें ।*

*गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।*
*उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।*

*👉 पूजा के बाद आप फल फ्रूट्स आदि प्रसाद सेवन करें ।*

*👉 शाम के समय चांद के निकलने से पहले आप गणपति की पूजा करें और संकष्ट व्रत कथा का पाठ करें ।*

*👉 पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बाटें । रात को चाँद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्ट चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है ।*

*कार्य सिद्धि के लिए*

*1. ॐ सुमुखाय नम: 2. ॐ एकदंताय नम: 3. ॐ कपिलाय नम: 4. ॐ गजकर्णाय नम: 5. ॐ लंबोदराय नम: 6. ॐ विकटाय नम: 7. ॐ विघ्ननाशाय नम: 8. ॐ विनायकाय नम: 9. ॐ धूम्रकेतवे नम: 10. ॐ गणाध्यक्षाय नम: 11. ॐ भालचंद्राय नम: 12. ॐ गजाननाय नम: ।*

*जो भी साधक श्री गणेश जी को रोज सिंदूर अर्पित कर इन 12 नाम का जाप करता है उसे कार्य सिद्धि प्राप्त होती है । - नारद पुराण*

*🔹गुरुवार विशेष 🔹*

*🔸हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।*

*🔸गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :*

*🔸एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।*

*ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।*

*🌹 फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।*
*( लोक कल्याण सेतु , अंक - ११६ )*
🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞
दिनांक - 29 मार्च 2024
दिन - शुक्रवार
विक्रम संवत् - 2080
अयन - उत्तरायण
ऋतु - वसंत
मास - चैत्र
पक्ष - कृष्ण
तिथि - चतुर्थी रात्रि 08:20 तक तत्पश्चात पंचमी
नक्षत्र - विशाखा रात्रि 08:36 तक तत्पश्चात अनुराधा
योग - वज्र रात्रि 11:12 तक तत्पश्चात सिद्धि
राहु काल - सुबह 11:12 से दोपहर 12:44 तक
सूर्योदय - 06:35
सूर्यास्त - 06:54
दिशा शूल - पश्चिम
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:01 से 05:48 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:21 से 01:07 तक
व्रत पर्व विवरण - गुड फ्राइडे
विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

🔹सुखमय जीवन की अनमोल कुंजियाँ🔹

🔸आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔸

🔸रविवार, सप्तमी, नवमी, अमावस्या, सूर्यग्रहण, चन्द्रग्रहण तथा संक्रांति - इन तिथियों को छोड़कर बाकी के दिन आँवले का रस शरीर पर लगाकर स्नान करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है। (स्कंद पुराण, वैष्णव खंड)

🔹क्रोध पर नियंत्रण कैसे पायें ?🔹

🔸क्रोध भस्मासुर है, करा-कराया सब खाक कर देता है । जिन्हें क्रोध पर नियंत्रण पाना हो वे नीचे दिये गये सरल एवं कारगर उपायों में से एक या अधिक उपायों का लाभ अवश्य लें ।

🔸(१) एक कटोरी में जल लेकर उसमें देखते हुए 'ॐ शांति... शांति... शांति... ॐ...' इस प्रकार २१ बार जप करें और वह जल पी लें तो क्रोधी स्वभाव में बदलाहट आयेगी ।

🔸(२) जब क्रोध आये तो उस समय अपना विकृत चेहरा आईने में देखने से भी लज्जावश क्रोध भाग जायेगा ।

🔸(३) सुबह नींद में से उठते ही बिस्तर पर बैठ के ललाट पर तिलक करने की जगह पर अपने सद्‌गुरु या इष्ट का ध्यान करें । बाद में संकल्प करते हुए एवं यह मंत्र बोलते हुए क्रोध की मानसिक रूप से अग्नि में आहुति डालें: ॐ क्रोधं जुहोमि स्वाहा ।

🔸(४) एक नग आँवले का मुरब्बा रोज सुबह खायें व शाम को एक चम्मच गुलकंद खाकर दूध पी लें, इससे विशेषकर पित्तप्रकोपजनित क्रोध पर नियंत्रण पाने में सहायता मिलेगी । (शुक्रवार व रविवार को आँवले का सेवन न करें ।)

🔹कब्जनाशक प्रयोग🔹

👉🏻 कब्ज अनेक रोगों का गढ है । कब्ज दूर करने के लिए निम्न उपाय करें ।

👉🏻 रात को हरड़ पानी में भिगोकर रखें । सुबह थोड़ी सी हरड़ उसी पानी में रगड़ें और थोड़ा सा नमक मिलाकर पियें ।

👉🏻 सूर्योदय से पहले खाली पेट रात का रखा हुआ पानी आवश्यकतानुसार पियें (गुनगुना हो तो उत्तम) ।

👉🏻 मेथी के पत्तों की सब्जी खायें ।

👉🏻 धनिया, पुदीना, काला नमक व काली मिर्च की चटनी भोजन के साथ लें ।

👉🏻 श्वास बाहर निकालकर गुदाद्वार का संकोचन विस्तरण (अश्विनी मुद्रा) करने को थलबस्ती कहते हैं। यह प्रयोग रोज तीन-चार बार करने से भी कब्ज दूर होता है और वीर्यहानि, स्वप्नदोष एवं प्रदर रोग से रक्षा होती है । व्यक्तित्व विकसित होता है ।

📖 लोक कल्याण सेतु - फरवरी 2011
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 30 मार्च 2024*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - पंचमी रात्रि 09:13 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*नक्षत्र - अनुराधा रात्रि 10:03 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा*
*योग - सिद्धि रात्रि 10:47 तक तत्पश्चात व्यतीपात*
*राहु काल - सुबह 09:39 से 11:12 तक*
*सूर्योदय - 06:34*
*सूर्यास्त - 06:54*
*दिशा शूल - पूर्व*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:00 से 05:47 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:20 से 01:07 तक*
*व्रत पर्व विवरण - रंग पंचमी, व्यतीपात योग*
*विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹व्यतिपात योग 🔹*

*🔸समय अवधि : 30 मार्च रात्रि 10:47 से 31 मार्च रात्रि 09:53 तक ।*

*🔸व्यतिपात योग में किया हुआ जप, तप, मौन, दान व ध्यान का फल १ लाख गुना होता है । - वराह पुराण*

*🔸रंग पंचमी : 30 मार्च 2024🔸*

*🔸भारतीय पंचांग अनुसार रंग पंचमी के दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की पूजा की जाती है । इसी के साथ श्री विष्णु लक्ष्मी जी का पूजन शास्त्रों में निहित है । भगवान पूजा करने से साधक की सभी इच्छाएं शीघ्र पूरी हो जाती हैं । इस दिन किया पूजन सुखी जीवन के साथ दांपत्य जीवन में सुख, समृद्धि और शांति को प्रदान करता है । इस शुभ दिवस पर भक्त भक्ति भाव से भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं । पूजा पाठ करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं ।*

*🔹सर्वसुलभ, पोषक व औषधीय गुणों से भरपूर सहजन🔹*
*🔸स्वास्थ्य-लाभकारी प्रयोग🔸*

*🔸(1) शारीरिक पुष्टि हेतु : सहजन के पत्तों का आधा से 1 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन 2 बार सेवन करने से कुपोषण के शिकार हुए बच्चों की शारीरिक पुष्टि व वृद्धि कम समय में हो सकती है । बड़े व्यक्ति 2 से 5 ग्राम ले सकते हैं ।*

*🔸(2) प्रसूताओं के लिए : सहजन के आधी कटोरी हरे पत्ते 1 चम्मच घी में सेंककर कुछ दिन तक प्रसूताओं को खिलाने से उनमें दूध की कमी नहीं होती और बच्चे को जन्म देने के बाद की कमजोरियों, जैसे थकान आदि का भी निवारण होता है ।*

*🔸(3) रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने हेतु : सहजन की फली और पत्तों का सूप बनाकर या इन्हें दाल के साथ सेवन करने से रोगप्रतिरोधक क्षमता तेजी से बढ़ती है तथा ऋतु-परिवर्तनजन्य बीमारियों से सुरक्षा होती है ।*

*🔸(4) पेट की समस्याओं में : पेट की समस्याओं के लिए सहजन कारगर औषधि है । इसके कोमल पत्तों का साग खाने से शौच साफ होता है । इसकी फलियों की सब्जी खाने से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं ।*

*🔸(5) पुरुषत्व की वृद्धि हेतु : इसके 8-10 फूलों को 250 मि.ली. दूध में उबालकर सुबह-शाम पीने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है और पुरुषत्व की वृद्धि होती है ।*

*🔸(6) गायों को नियमित आहार के साथ सहजन के सूखे पत्ते, फली आदि खिलाने से उनके दुग्ध-उत्पादन में काफी बढ़ोतरी होती है ।*

*🔹ध्यान दें : सब्जी के लिए ताजी एवं गूदेवाली फली का प्रयोग करें । सहजन दाहकारक एवं पित्त-प्रकोपक है । पित्त-प्रकोप हो तो इसके सेवनकाल में दूध, गुलकंद आदि पित्तशामक पदार्थों का उपयोग करें । गुर्दे (kidneys) की खराबी में इसे न लें ।*

*🌹 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 🌹*

*🌹 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*

*🌹 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*

*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹*

*🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*
*📖 ऋषि प्रसाद - मई 2018 से*
*दिनांक - 31 मार्च 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - षष्ठी रात्रि 09:30 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*नक्षत्र - ज्येष्ठा रात्रि 10:57 तक तत्पश्चात मूल*
*योग - व्यतिपात रात्रि 09.53 तक, तत्पश्चात वरियान*
*राहु काल - शाम 05:20 से शाम 06:52 तक*
*सूर्योदय - 06:33*
*सूर्यास्त - 06:52*
*दिशा शूल - पश्चिम*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:00 से 05:46 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:19 अप्रैल 01 से 01:06 अप्रैल 01 तक*
*व्रत पर्व विवरण - संत एकनाथजी षष्ठी*
*विशेष - षष्ठी को नीम-भक्षण (पत्ती, फल खाने या दातुन मुँह में डालने) से नीच योनियों की प्राप्ति होती है ।*

*🔷गर्मी में दस्त 🔷*
*👉🏻 1 कटोरी नारियल पानी में आधा चम्मच धनिया-जीरा, 1 चम्मच मिश्री व आधा चम्मच जायफल चूर्ण डालकर दिन में 3 बार पीने से गर्मी के दस्त बंद हो जाते है ।*

*🔷ज्योतिष ग्रंथ मुर्हूत चिंतामणि के अनुसार*
*हिंदू धर्म में दैनिक जीवन से जुड़ी भी अनेक मान्यताएं और परंपराएं हैं। ऐसी ही एक मान्यता है नाखून, दाढ़ी व बाल कटवाने से जुड़ी। माना जाता है कि सप्ताह के कुछ दिन ऐसे होते हैं जब नाखून, दाढ़ी व बाल कटवाना हमारे धर्म ग्रंथों में शुभ नहीं माना गया है, जबकि इसके बिपरीत कुछ दिनों को इन कामों के लिए शुभ माना गया है। आइए जानते हैं क्या कहते हैं शास्त्र...*
*🔷 ज्योतिष ग्रंथ मुर्हूत चिंतामणि के अनुसार जानिए किस दिन नाखून, दाढ़ी व बाल कटवाने से होता है क्या असर..*
*🔹1. सोमवार🔹*
*सोम का संबंध चंद्रमा से है इसलिए सोमवार को बाल या नाखून काटना मानसिक स्वास्थ्य व संतान के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना गया है।*
*🔹 2. मंगलवार🔹*
*मंगलवार को बाल कटवाना व दाढ़ी बनाना उम्र कम करने वाला माना गया है।*
🔹 3. बुधवार🔹
बुधवार के दिन नाखून और बाल कटवाने से घर में बरकत रहती है व लक्ष्मी का आगमन होता है।*
*🔹4. गुरुवार🔹*
*गुरुवार को भगवान विष्णु का वार माना गया है। इस दिन बाल कटवाने से लक्ष्मी का नुकसान और मान-सम्मान की हानि होती है।*
*🔹5. शुक्रवार🔹*
*शुक्र ग्रह को ग्लैमर का प्रतीक माना गया है। इस दिन बाल और नाखून कटवाना शुभ होता है। इससे लाभ, धन और यश मिलता है।*
*🔹6. शनिवार🔹*
*शनिवार का दिन बाल कटवाने के लिए अशुभ होता है यह जल्दी मृत्यु का कारण माना जाता है।*
*🔹7. रविवार🔹*
*रविवार को बाल कटवाना अच्छा नहीं माना जाता है। महाभारत के अनुशासन पर्व में बताया गया है कि ये सूर्य का वार है इससे धन, बुद्धि और धर्म का नाश होता है।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 1अप्रैल 2024*
*दिन - सोमवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - सप्तमी रात्रि 09:09 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*नक्षत्र - मूल रात्रि 11:11 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा*
*योग - वरियान रात्रि 8:28 तक तत्पश्चात परिघ*
*राहु काल - सुबह 08:06 से 09:38 तक*
*सूर्योदय - 06:33*
*सूर्यास्त - 06:51*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:59 से 05:46 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दिन 12:18 से 01:07 तक*
*व्रत पर्व विवरण - मारवाड़ी सप्तमी*
*विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

*🔹ग्रहबाधा दूर करने का उपाय🔹*

👉🏻 *शनि, राहू-केतु आदि ग्रहों के दोष-निवारण के लिए प्रत्येक मंगलवार या शनिवार को अपने हाथ से आटे की लोई गुड़सहित प्रेमपूर्वक किसी नंदी अथवा गाय को खिलायें । कैसी भी ग्रहबाधा हो, दूर हो जायेगी ।*
*📒 लोक कल्याण सेतु – अक्टूबर 2019*

*🔸तुतलापन मिटाने के लिए🔸*

*🔹२-३ बादाम के गिरी मिक्सी में अच्छी तरह घोट के और मक्खन व मिश्री मिलाकर बराबर चबा चबा कर खाएं l १ हफ्ते में तोतलेपन में आराम होता है l -🌹 पूज्य बापूजी - Nasik 14.02.2010*

*🔸बुद्धि बढाने के ढेर सारे उपाय🔸*

*👉🏻 १] दिव्य प्रेरणा-प्रकाश पुस्तक में (पृष्ठ २ पर ) एक मंत्र लिखा है , उसको पढ़कर दूध में देखोगे और वह दूध पियोगे तो बुद्धि बढ़ेगी, बल बढ़ेगा ।*

*👉🏻 २] मंत्रजप और अनुष्ठान से बुद्धि विकसित होती है ।*

*👉🏻 ३] भगवच्चिंतन करके ॐकार का गुंजन करके शांत होओगे तो बुद्धि बढ़ेगी ।*

*👉🏻 ४] श्वासोच्छवास में भगवान् सूर्यनारायण का ध्यान करने से भी फायदा होगा ।*

*👉🏻 ५] श्रद्धा, भक्ति और गुरुजनों के सत्संग से भी बुद्धि उन्नत होती है ।*

*👉🏻 ६] भगवद-ध्यान से तो बुद्धि को बढना ही है ।*

*👉🏻 ७] स्मृतिशक्ति बढानी है तो कानों में अँगूठे के पासवाली पहली उँगलियाँ डालकर लम्बा श्वास लो फिर होंठ बंद रख के कंठ से ‘ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ....’ ऐसा उच्चारण करो । इस प्रकार १० बार करो । इस भ्रामरी प्राणायाम से स्मृति बढ़ेगी, बुद्धू विद्यार्थी भी अच्छे अंक लायेंगे ।*
*📒 ऋषि प्रसाद – अक्टूबर २०२०*

*🔹गृहके समीपस्थ वृक्ष 🔹*

*👉🏻 ईशान में आँवला शुभदायक है ।*
*👉🏻 ईशान - पूर्वमें कटहल एवं आम शुभदायक हैं ।*

*👉🏻 (३) घरके पास काँटेवाले, दूधवाले तथा फलवाले वृक्ष स्त्री और सन्तान की हानि करनेवाले हैं । यदि इन्हें काटा न जा सके तो इनके पास शुभ वृक्ष लगा दें ।*

*👉🏻 काँटेवाले वृक्ष शत्रु से भय देनेवाले, दूधवाले वृक्ष धनका नाश करनेवाले और फलवाले वृक्ष सन्तानका नाश करनेवाले हैं । इनकी लकड़ी भी घरमें नहीं लगानी चाहिये-*

*आसन्नाः कण्टकिनो रिपुभयदाः क्षीरिणोऽर्थनाशाय ।*
*फलिनः प्रजाक्षयकरा दारूण्यपि वर्जयेदेषाम् ॥*
*(बृहत्संहिता ५३। ८६)*

*(४) बदरी कदली चैव दाडिमी बीजपूरिका।*

*प्ररोहन्ति गृहे यत्र तद्गृहं न प्ररोहति ॥*

*👉🏻 (समरांगणसूत्रधार ३८ । १३१) 'बेर, केला, अनार तथा नींबू जिस घरमें उगते हैं, उस घर की वृद्धि नहीं होती । '*

*👉🏻 अश्वत्थं च कदम्बं च कदलीबीजपूरकम् । गृहे यस्य प्ररोहन्ति स गृही न प्ररोहति ॥*

*👉🏻 (बृहद्दैवज्ञ० ८७ ९) 'पीपल, कदम्ब, केला, बीजू नींबू ये जिस घरमें होते हैं, उसमें रहनेवाले की वंशवृद्धि नहीं होती ।'*

*👉🏻 (५) घरके भीतर लगायी हुई तुलसी मनुष्योंके लिये कल्याणकारिणी, धन-पुत्र प्रदान करनेवाली, पुण्यदायिनी तथा हरिभक्ति देनेवाली होती है । प्रातःकाल तुलसीका दर्शन करनेसे सुवर्ण दानका फल प्राप्त होता है ।*

*(ब्रह्मवैवर्तपुराण, कृष्ण० १०३ । ६२-६३ )*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 2 अप्रैल 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - अष्टमी रात्रि 08:08 तक तत्पश्चात नवमी*
*नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा रात्रि 10:49 तक तत्पश्चात उत्तराषाढ़ा*
*योग - परिघ शाम 6:36 तक तत्पश्चात शिव*
*राहु काल - दोपहर 03:47 से शाम 05:20 तक*
*सूर्योदय - 06:31*
*सूर्यास्त - 06:53*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:58 से 05:45 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दिन 12:17 से 01:07 तक*
* निशिता मुहूर्त- रात्रि 00.18 अप्रैल 03 से रात्रि 01.05 अप्रैल 03 तक*
*व्रत पर्व विवरण - शीतला अष्टमी*
*विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है ।*
*🔹काम-धंधे में बरकत के लिए🔹*
* नौकरी या काम-धंधे में बरकत नहीं आती हो तो गाय की धूलि लेकर उसको ललाट पर लगाकर काम-धंधे पर जाएँ l धीरे-धीरे बरकत होने लगेगी और विघ्न हटने लगेंगे l*
*🙏🏻 पूज्य बापूजी*

*🔹पेट सम्बन्धी तकलीफों में🔹*

*🔹नींबू के रस में सौंफ भिगो दें और जितना नींबू का रस,उतना ही सौंफ भी ले l फिर सौंफ में थोड़ा काला नमक या संत कृपा चूर्ण मिलाकर तवे में सेंक कर रख दो l ये लेने से पेट का भारीपन, बदहाजमी दूर होगी और भूख खुलकर लगेगी l कब्ज़ की तकलीफ भी ठीक हो जायेगी l*

*🙏🏻पज्य बापूजी - Baroda – 31st Oct. 2009*

*🔹पढ़ाई में आशातीत लाभ हेतु🔹*

*👉🏻 विद्यार्थी अध्ययन-कक्ष में अपने इष्टदेव या गुरुदेव का श्रीविग्रह अथवा स्वस्तिक या ॐकार का चित्र रखें तथा नियमित अध्ययन से पूर्व उसे १०-१५ मिनट अपनी आँखों की सीध में रखकर पलकें गिराये बिना एकटक देखें अर्थात त्राटक करें | इससे पढ़ाई में आशातीत लाभ होता हैं |*
* 📖ऋषिप्रसाद – मार्च २०१९ से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*

*दिनांक - 3 अप्रैल 2024*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - नवमी शाम 06:29 तक तत्पश्चात दशमी*
*नक्षत्र - उत्तराषाढ़ा रात्रि 09:47 तक तत्पश्चात श्रवण*
*योग - शिव शाम 04:10 तक तत्पश्चात सिद्ध*
*राहु काल - दोपहर 12:42 से दोपहर 02:15 तक*
*सूर्योदय - 06:31*
*सूर्यास्त - 06:53*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:58 से 05:44 तक*
* निशिता मुहूर्त- रात्रि 00.18 अप्रैल 04 से रात्रि 01.05 अप्रैल 04 तक*
*विशेष - नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है।*

*🔸बुद्धि बढ़ाने के ढेर सारे उपाय🔸*

*👉🏻 १] दिव्य प्रेरणा-प्रकाश पुस्तक में (पृष्ठ २ पर ) एक मंत्र लिखा है , उसको पढ़कर दूध में देखोगे और वह दूध पियोगे तो बुद्धि बढ़ेगी, बल बढ़ेगा ।*

*👉🏻 २] मंत्रजप और अनुष्ठान से बुद्धि विकसित होती है ।*

*👉🏻 ३] भगवच्चिंतन करके ॐकार का गुंजन करके शांत होओगे तो बुद्धि बढ़ेगी ।*

*👉🏻 ४] श्वासोच्छवास में भगवान् सूर्यनारायण का ध्यान करने से भी फायदा होगा ।*

*👉🏻 ५] श्रद्धा, भक्ति और गुरुजनों के सत्संग से भी बुद्धि उन्नत होती है ।*

*👉🏻 ६] भगवद-ध्यान से तो बुद्धि को बढ़ना ही है ।*

*👉🏻 ७] स्मृतिशक्ति बढ़ानी है तो कानों में अँगूठे के पासवाली पहली उँगलियाँ डालकर लम्बा श्वास लो फिर होंठ बंद रख के कंठ से ‘ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ....’ ऐसा उच्चारण करो । इस प्रकार १० बार करो । इस भ्रामरी प्राणायाम से स्मृति बढ़ेगी, बुद्धू विद्यार्थी भी अच्छे अंक लायेंगे ।*
*📒 ऋषि प्रसाद – अक्टूबर २०२०*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 4 अप्रैल 2024*
*दिन - गुरुवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - दशमी शाम 04:14 तक तत्पश्चात एकादशी*
*नक्षत्र - श्रवण रात्रि 08:12 तक तत्पश्चात घनिष्ठा*
*योग - सिद्ध दोपहर 01:16 तक तत्पश्चात साध्य*
*राहु काल - दोपहर 02:14 से दोपहर 03:47 तक*
*सूर्योदय - 06:31*
*सूर्यास्त - 06:53*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:57 से 05:43 तक*
* निशिता मुहूर्त- रात्रि 00.18 अप्रैल 05 से रात्रि 01.04 अप्रैल 05 तक*
*व्रत पर्व विवरण- साँई श्री लीलाशाहजी महाराज प्राकट्य दिवस*
*विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है।*

*🌹 पापमोचनी एकादशी 🌹*

*🔸एकादशी ४ अप्रैल शाम 04:14 से 5 अप्रैल दोपहर 01:28 तक है ।*
*🔸विशेष : व्रत उपवास 5 अप्रैल शुक्रवार को रखा जायेगा ।*

*🔸एकादशी व्रत के लाभ🔸*

*👉 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।*

*👉 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*

*👉 जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*

*👉 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*

*👉 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*

*👉 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*

*👉 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।*

*🔸धर्म के 10 लक्षण 🔸*

*1. धैर्य -मनुष्य का जो पहला धर्म है, वह अपने धैर्य को कायम रखना है । किसी भी हालत में अपना धैर्य नहीं खोना चाहिए ।*

*2. क्षमा : धर्म का दूसरा लक्षण है क्षमा । क्षमा समर्थ पुरुष के भीतर रहती है । किसीने गलती की और हम सोचने लगें कि इसका क्या करें ? तो यह हमारी मजबूरी है । दण्ड देने का सामथ्र्य अपने अन्दर रहने पर भी हम चाहें तो उसको क्षमा कर सकते हैं ।*

*3. दम : धर्म का तीसरा लक्षण है दम, अर्थ यही कि उत्तेजना का प्रसंग आने पर भी उत्तेजित नहीं होना । हमें उत्तेजित करनेवाले लोग तो बहुत मिलते हैं, लेकिन हमारे साथ वास्तविक सहृदयता प्रकट करनेवाले बहुत कम हैं ।*

*4. अस्तेय : चोरी न करना ।*

*5. शौच अर्थात् पवित्रता : हम जब प्रातःकाल उठते हैं । उस समय यदि नित्यकर्म आवश्यक हो, लघुशंका-शौच जाना आवश्यक हो तब तो जायें और न जाना हो तो थोड़ी देर बैठकर उस ब्राह्ममुहूर्त का सदुपयोग करें । सूर्योदय से पहले उठें और उठकर पवित्र चिन्तन करें ।*

*6. इन्द्रियनिग्रह : धर्म की छठी भूमिका है इन्द्रियनिग्रह, इन्द्रियों में पर संयम चाहिए । जैसे घोड़े की बागडोर अपने हाथ में रखते हैं, वैसे ही इन्द्रियों की बागडोर हमारे हाथ में होनी चाहिए ।*

*7. बुद्धि : धर्म का सातवाँ लक्षण है बुद्धि । एक मनुष्य के लिए यह आवश्यक है कि वह अपनी बुद्धि को छोड़े नहीं ।*

*8. विद्या : धर्म का आठवाँ लक्षण है विद्या । बुद्धि ऐसी चीज है जिसको हम लोगों सीख लेते हैं किंतु विद्या बुद्धि से अलग है । जो बात हम अपनी बुद्धि से नहीं जान पाते, उसका ज्ञान देने के लिए विद्या होती है ।*

*9. सत्य : धर्म का नौवाँ लक्षण है सत्य । सत्य बोलने में हमारा एक शाश्वत संबंध निहित रहता है ।*

*10. अक्रोध : धर्म का १०वाँ लक्षण है अक्रोध अर्थात् क्रोध न करना । हम हमेशा क्रोध में ही रहेंगे यह नियम कोई नहीं ले सकता परंतु अहिंसा का नियम ले तो वह शाश्वत हो सकता है ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅️दिनांक - 5 अप्रैल 2024*
*⛅️दिन - शुक्रवार*
*⛅️विक्रम संवत् - 2080*
*⛅️अयन - उत्तरायण*
*⛅️ऋतु - वसंत*
*⛅️मास - चैत्र*
*⛅️पक्ष - कृष्ण*
*⛅️तिथि - एकादशी दोपहर 01:28 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅️नक्षत्र - घनिष्ठा शाम 06:07 तक तत्पश्चात शतभिषा*
*⛅️योग - साध्य सुबह 09:56 तक तत्पश्चात शुभ*
*⛅️राहु काल - सुबह 11:18 से दोपहर 12:41 तक*
*⛅️सूर्योदय - 06:29*
*⛅️सूर्यास्त - 06:53*
*⛅️दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅️ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:56 से 05:43 तक*
*⛅️ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:16 से दोपहर 01:06 तक*
*⛅️ निशिता मुहूर्त- रात्रि 00.18 अप्रैल 06 से रात्रि 01.04 अप्रैल 06 तक*
*⛅️व्रत पर्व विवरण- पापमोचनी एकादशी*
*⛅️विशेष - एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है।*

*🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹*

*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*

*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें ।*

*🌹हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
*राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।*
*सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।*

*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*

*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*

*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*

*🌹5. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*

*🌹6. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें ।*

*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*

*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*

*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*

*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*

*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटायें ।*

*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*

*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*

*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*

*🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅️दिनांक - 6 अप्रैल 2024*
*⛅️दिन - शनिवार*
*⛅️विक्रम संवत् - 2080*
*⛅️अयन - उत्तरायण*
*⛅️ऋतु - वसंत*
*⛅️मास - चैत्र*
*⛅️पक्ष - कृष्ण*
*⛅️तिथि - द्वादशी प्रातः 10:19 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
*⛅️नक्षत्र - शतभिषा दोपहर 03:39 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद*
*⛅️योग - शुक्ल रात्रि 02:20 अप्रैल 07 तक तत्पश्चात ब्रह्म*
*⛅️राहु काल - सुबह 9:34 से 11:18 तक*
*⛅️सूर्योदय - 06:28*
*⛅️सूर्यास्त - 06:54*
*⛅️दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅️ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:55 से 05:42 तक*
*⛅️ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:16 से दोपहर 01:06 तक*
*⛅️ निशिता मुहूर्त- रात्रि 00.17 अप्रैल 07 से रात्रि 01.04 अप्रैल 07 तक*
*⛅️व्रत पर्व विवरण- शनि प्रदोष व्रत*
*⛅️विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।*

🌹 *महावारुणी योग* 🌹
🙏🏻 *वारुणी योग चैत्र माह में बनने वाला एक पुण्यप्रद महायोग है।*
🙏🏻 *भविष्यपुराण के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी यदि शनिवार अथवा शतभिषा नक्षत्र से युक्त हो तो वह महावारुणी पर्व कहलाता है। इसमें किया गया स्नान, दान एवं श्राद्ध अक्षय होता है।*
🌹 *चैत्रे मासि सिताष्टम्यां शनौ शतभिषा यदि । गंगाया यदि लभ्येत सूर्यग्रहशतैः समा ।।*
*सेयं महावारुणीति ख्याता कृष्णत्रयोदशी । अस्यां स्नानं च दानं च श्राद्धं वाक्षयमुच्यते ।।*
🌹 *नारदपुराण*
*वारुणेन समायुक्ता मधौ कृष्णा त्रयोदशी ।।*
*गंगायां यदि लभ्येत सूर्यग्रहशतैः समा ।। ४०-२० ।।*
🌹 *स्कन्दपुराण*
*"वारुणेन समायुक्ता मधौ कृष्णा त्रयोदशी। गङ्गायां यदि लभ्येत सूर्यग्रहशतैः समा॥*
*शनिवारसमायुक्ता सा महावारुणी स्मृता। गङ्गायां यदि लभ्येत कोटिसूर्यग्रहैः समा॥"*
🌹 *देवीभागवत पुराण*
*"वारुणं कालिकाख्यञ्च शाम्बं नन्दिकृतं शुभम्।*
*सौरं पाराशरप्रोक्तमादित्यं चातिविस्तरम्॥"*
🌹 *त्रिस्थलीसेतु*
*चैत्रासिते वारुणऋक्षयुक्ता त्रयोदशी सूर्यसुतस्य वारे।*
*योगे शुभे सा महती महत्या गंगाजलेर्कग्रहकोटितुल्या।।*
⛅️ *विशेष ~ 06 अप्रैल 2024 शनिवार को (सुबह 10:19 से त्रयोदशी तिथि शुरु हो रही है एवं दोपहर 03:38 तक शतभिष नक्षत्र है) महावारुणी योग है।*

🌹 *शनि प्रदोष* 🌹

⛅️ *शनिवार को प्रदोषकाल में त्रयोदशी तिथि हो तो उसे शनिप्रदोष कहा जाता है।*
⛅️ *06 अप्रैल 2024 को शनि प्रदोष है।*
⛅️ *शनिप्रदोष व्रत की महिमा के बारे में स्कन्दपुराण के ब्राह्मखंड - ब्रह्ममोत्तरखंड में हनुमान जी कहते हैं कि*
🌹 *एष गोपसुतो दिष्ट्या प्रदोषे मंदवा सरे । अमंत्रेणापि संपूज्य शिवं शिवमवाप्तवान् ।।*
*मंदवारे प्रदोषोऽयं दुर्लभः सर्वदेहिनाम् । तत्रापि दुर्लभतरः कृष्णपक्षे समागते ।।*
🌹 *एक गोप बालक ने शनिवार को प्रदोष के दिन बिना मंत्र के भी शिव पूजन कर उन्हें पा लिया। शनिवार को प्रदोष व्रत सभी देहधारियों के लिए दुर्लभ है। कृष्णपक्ष आने पर तो यह और भी दुर्लभ है।*
⛅️ *संतान प्राप्ति के लिए शनिप्रदोष व्रत एक अचूक उपाय है।*
⛅️ *विभिन्न मतों से शनिप्रदोष को महाप्रदोष तथा दीपप्रदोष भी कहा जाता है। कुछ विद्वान केवल कृष्णपक्ष के शनिप्रदोष को ही महाप्रदोष मानते हैं।*
⛅️ *ऐसी मान्यता है की शनिप्रदोष का दिन शिव पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ है। अगर कोई व्यक्ति लगातार 4 शनिप्रदोष करता है तो उसके जन्म जन्मांतर के पाप धूल जाते हैं साथ ही वह पितृऋण से भी मुक्त हो जाता है।*

*🌹 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 🌹*

*🌹 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*

*🌹 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*

*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹*

*🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*
*📖 ऋषि प्रसाद - मई 2018 *
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 7 अप्रैल 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - त्रयोदशी प्रातः 06:53 तक तत्पश्चात चतुर्दशी 03.21 अप्रैल 08 तक*
*नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद दोपहर 12:58 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद*
*योग ब्रह्म रात्रि 10:17 तक तत्पश्चात इंद्र*
*राहु काल - शाम 05:21 से 06:54 तक*
*सूर्योदय - 06:27*
*सूर्यास्त - 06:54*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:55 से 05:41 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:16 से दोपहर 01:05 तक*
* निशिता मुहूर्त- रात्रि 00.17 अप्रैल 08 से रात्रि 01.03 अप्रैल 08 तक*
*व्रत पर्व विवरण- मासिक शिवरात्रि, सर्वार्थ सिद्धियोग*
*विशेष - चतुर्दशी और अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

*चतुर्दशी, रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

*🌹मासिक शिवरात्रि : 7 अप्रैल 24*🌹

*🔹 कर्ज मुक्ति हेतु 🔹*

*🌹हर मासिक शिवरात्रि को सूर्यास्त के समय घर में बैठकर अपने गुरुदेव का स्मरण करके शिवजी का स्मरण करते-करते ये 17 मंत्र बोलें ! जिनके सिर पर कर्जा ज्यादा हो वो शिवजी के मंदिर में जाकर दिया जलाकर ये 17 मंत्र बोलें ! इससे कर्जे से मुक्ति मिलेगी...*

🌹1) *ॐ शिवाय नमः*
🌹2) *ॐ सर्वात्मने नमः*
🌹3) *ॐ त्रिनेत्राय नमः*
🌹4) *ॐ हराय नमः*
🌹5) *ॐ इन्द्रमुखाय नमः*
🌹6) *ॐ श्रीकंठाय नमः*
🌹7) *ॐ सद्योजाताय नमः*
🌹8) *ॐ वामदेवाय नमः*
🌹9) *ॐ अघोरहृदयाय नम:*
🌹10) *ॐ तत्पुरुषाय नमः*
🌹11) *ॐ ईशानाय नमः*
🌹12) *ॐ अनंतधर्माय नमः*
🌹13) *ॐ ज्ञानभूताय नमः*
🌹14) *ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नमः*
🌹15) *ॐ प्रधानाय नमः*
🌹16) *ॐ व्योमात्मने नमः*
🌹17) *ॐ व्यूक्तकेशात्मरूपाय नम:*

*🔹 रविवार विशेष🔹*

*🔹 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

*🔹 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*

*🔹 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*

*🔹 रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।*

*🔹 रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*

*🔹 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।*

*🔹 रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।*

*🔹 रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है ।*
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*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 8 अप्रैल 2024*
*दिन - सोमवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - अमावस्या रात्रि 11.50 तक, तत्पश्चात प्रतिपदा*
*नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद सुबह 10.12 तक तत्पश्चात रेवती*
*योग इंद्र शाम 06:14 तक तत्पश्चात वैधृति*
*राहु काल - सुबह 08:00 से 09:33 तक*
*सूर्योदय - 06:26*
*सूर्यास्त - 06:54*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:54 से 05:40 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:15 से दोपहर 01:05 तक*
* निशिता मुहूर्त- रात्रि 00.17 अप्रैल 09 से रात्रि 01.03 अप्रैल 09 तक*
*व्रत पर्व विवरण- सोमवती दर्श अमावस्या*
*विशेष - अमावस्या के दिन फूल, पत्ती, टहनी आदि तोड़ना व स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है ।*

*🌹 सोमवती दर्श अमावस्या : 8 अप्रैल 2024🌹*

*🌹1. जिनको पैसो की कमजोरी है वह तुलसी माता की 108 प्रदिक्षणा करें । और श्री हरि..., श्री हरि..., श्री हरि..., मंत्र जप करें । 'श्री' माना सम्पदा, 'हरि' माना भगवान की दया पाना । तो गरीबी चली जायेगी । - पूज्य बापूजी*

*🌹2. इस दिन भी मौन रहकर स्नान करने से हजार गौदान का फल होता है ।*

*🌹3. इस दिन पीपल और भगवान विष्णु का पूजन तथा उनकी 108 प्रदक्षिणा करने का विधान है । 108 में से 8 प्रदक्षिणा पीपल के वृक्ष को कच्चा सूत लपेटते हुए की जाती है । प्रदक्षिणा करते समय 108 फल पृथक रखे जाते हैं । बाद में वे भगवान का भजन करने वाले ब्राह्मणों या ब्राह्मणियों में वितरित कर दिये जाते हैं । ऐसा करने से संतान चिरंजीवी होती है ।*

*🌹4. सोमवती अमावस्या के दिन तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता मिटती है ।*

*🌹5. जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरे का अन्न खाता है उसका महीने भर का किया हुआ पुण्य दूसरे को (अन्नदाता को) मिल जाता है ।*
*(स्कंद पुराण, प्रभास खं. 207.11.13)*

*🌹6. अमावस्या के दिन पेड़-पौधों से फूल-पत्ते, तिनके आदि नहीं तोड़ने चाहिए, इससे ब्रह्महत्या का पाप लगता है ! (विष्णु पुराण)*

*🌹7. अमावस्या के दिन खेती का काम न करें, न मजदूर से करवाएं ।*

*🌹8. अमावस्या के दिन श्रीमद्भगवद्गीता का सातवाँ अध्याय पढ़ें और उस पाठ का पुण्य अपने पितरों को अर्पण करें । सूर्य को अर्घ्य दें और प्रार्थना करें । आज जो मैंने पाठ किया मेरे घर में जो गुजर गए हैं, उनको उसका पुण्य मिल जाए । इससे उनका आर्शीवाद हमें मिलेगा और घर में सुख-सम्पत्ति बढ़ेगी ।*

*🔹गरीबी भगाने का शास्त्रीय उपाय🔹*

*🌹गरीबी है, बरकत नहीं है, बेरोजगारी ने गला घोंटा है तो फिक्र न करो । हर अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें ।*

*🔹सामग्री : १. काले तिल २. जौ ३. चावल ४. गाय का घी ५. चंदन पाउडर ६. गूगल ७. गुड़ ८. देशी कपूर एवं गौ चंदन या कण्डा ।*

*🌹विधि: गौ चंदन या कण्डे को किसी बर्तन में डालकर हवन कुण्ड बना लें, फिर उपरोक्त ८ वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये मंत्रों से ५ आहुति दें ।*
*आहुति मंत्र*
*🌹 १. ॐ कुल देवताभ्यो नमः*
*🌹 २. ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः*
*🌹 ३. ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः*
*🌹 ४. ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः*
*🌹 ५. ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः*

*🌹इस प्रयोग से थोड़े ही दिनों में स्वास्थ्य, समृद्धि और मन की प्रसन्नता दिखायी देगी ।*
*🌹- पूज्य बापूजी🌹*

*🔹आरोग्यप्रदायक - सूर्य मन्त्र🔹*

*ॐ नमोऽस्तु दिवाकराय अग्नि तत्वप्रवर्धकाय शमय शमय शोषय शोषय अग्नितत्वं समतां कुरु कुरु ॐ ।*


*🔸गर्मी से उत्पन्न शारीरिक रोग, बुद्धि की विकलता ( उन्माद ,पागलपन ) अथवा दुर्बलता, दृष्टि-रोग, अग्नि- तत्व की बिषमता, शरीर में जलन आदि हो तो इनके निवारण के लिए सूर्य मन्त्र हैं । किसी भी अमावस्या को 40 बार जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता हैं । - पूज्य बापूजी*
*🌞~ आज का हिंदू पंचांग🌞*

*दिनांक - 9 अप्रैल 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - प्रतिपदा रात्रि 08.30 तक, तत्पश्चात द्वितीया*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*व्रत पर्व विवरण- चैत्री नूतन वर्ष विक्रम संवत 2081 प्रारम्भ, गुड़ी पड़वा (पूरा दिन शुभ मुहूर्त), चैत्री नवरात्र प्रारम्भ, हेडगेवारजी जयंती*
*विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है।*

*🔹चैत्री नूतन वर्ष : 9 अप्रैल 2024 - वि. सं 2081 प्रारम्भ*

*शक्ति के उपासकों के लिये माँ भगवती विश्रांति ध्यान..*


*🌹 नवरात्रि का व्रत धन धान्य प्रदान करनेवाला, आयु और आरोग्य वर्धक हैं । शत्रुओं का दमन और बल की वृद्धि करनेवाला हैं । नवरात्री में सारस्वत्य मंत्र या इष्ट मंत्र का अनुष्ठान करने से और रात्रि 12:00 बजे तक का जागरण और जप,कीर्तन, ध्यान से अद्भुत लाभ होता हैं ।*
*इस दिन घर में नीम और अशोक वृक्ष के पत्तों का तोरण बाँधें, जिससे वहाँ से लोग गुजरें तो वर्षभर प्रसन्न रहें, निरोग रहें । स्वास्थ्य-रक्षा के लिए नीम की पत्तियाँ, मिश्री, काली मिर्च व अजवायन प्रसादरूप में लें ।।*
*-🌹पूज्य बापूजी*

*🔹चैत्र नवरात्रि (09 से 17 अप्रैल 2024)🔹*

*Navratri 2024 Special| बीमारी, गरीबी, संतान हीनता मिटाने हेतु जरूर करें नवरात्रि व्रत...*

*🔸प्रतिपदा तिथि (नवरात्र के पहले दिन) पर माता को घी का भोग लगाएं । इससे रोगी को कष्टों से मुक्ति मिलती है तथा शरीर निरोगी होता है ।*

*🌹 नवरात्रि का महत्व 🌹*

*🌹 देवी भागवत के तीसरे स्कन्द में नवरात्रि का महत्त्व वर्णन किया है । मनोवांछित सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए देवी की महिमा सुनायी है, नवरात्रि के 9 दिन उपवास करने के शारीरिक लाभ बताये हैं ।*

*👉 शरीर में आरोग्य के कण बढ़ते हैं ।*

*👉 जो उपवास नहीं करता तो रोगों का शिकार हो जाता है, जो नवरात्रि के उपवास करता है, तो भगवान की आराधना होती है, पुण्य तो बढ़ता ही है, लेकिन शरीर का स्वास्थ्य भी वर्ष भर अच्छा रहता है ।*

*👉 प्रसन्नता बढ़ती है । द्रव्य की वृद्धि होती है । लंघन और विश्रांति से रोगी के शरीर से रोग के कण खत्म होते हैं ।*

*🌹 नौ दिन नहीं तो कम से कम 7 दिन / 6 दिन /5 दिन , या आख़िरी के 3 दिन तो जरुर उपवास रख लेना चाहिए ।*

*🌹3. नवरात्री में भगवती रुप में कन्या का पूजन हो (पूजन करने के लिए कन्या कैसी हो इसका वर्णन बापूजी ने किया) और प्रेरणा देनेवाली ऐसी कन्या को भगवती समझ कर पूजन करने से दुःख मिटता है, दरिद्रता मिटती है ।*

*🌹 नवरात्रि के पहले दिन स्थापना, देव वृत्ति की कुंवारी कन्या का पूजन हो ।*

*🌹 नवरात्रि के दूसरे दिन 3 वर्ष की कन्या का पूजन हो, जिससे धन आएगा ,कामना की पूर्ति के लिए ।*

*🌹 नवरात्रि के तीसरे दिन 4 वर्ष की कन्या का पूजन करें, भोजन करायें तो कल्याण होगा, विद्यामिलेगी, विजय प्राप्त होगा, राज्य मिलता है ।*

*🌹 नवरात्रि के चौथे दिन 5 वर्ष की कन्या का पूजन करें और भोजन करायें । रोग नाश होते हैं ।*

*या देवी सर्व भूतेषु आरोग्य रुपेण संस्थिता ।*
*नमस्तस्यै नमस्तस्यैनमस्तस्यैनमो नमः ।।*

*👉 जप करें; पूरा साल आरोग्य रहेगा ।*

*🌹 नवरात्रि के पांचवे दिन 6 वर्ष की कन्या काली का रुप मानकर पूजन करके भोजन करायें तो शत्रुओं का दमन होता है ।*

*🌹 नवरात्रि के छठे दिन 7 वर्ष की कन्या का चंडी का रुप मानकर पूजन करके भोजन करायें तो ऐश्वर्य और धन सम्पत्ति की प्राप्ति होती है ।*

*🌹 नवरात्रि के सातवे दिन 8 वर्ष की कन्या का शाम्भवी रुप में पूजन कर के भोजन करायें तो किसी महत्त्व पूर्ण कार्य करने के लिए, शत्रु पे धावा बोलने के लिए सफलता मिलेगी ।*

*🌹 नवरात्रि की अष्टमी को दुर्गा पूजा करनी चाहिए । सभी संकल्प सिद्ध होते हैं । शत्रुओं का संहार होता है ।*

*🌹 नवरात्रि के नवमी को 9 से 17 साल की कन्या का पूजन भोजन कराने से सर्व मंगल होगा, संकल्प सिद्ध होंगे, सामर्थ्यवान बनेंगे, इसलोक के साथ परलोक को भी प्राप्त कर लेंगे, पाप दूर होते हैं, बुद्धि में औदार्य आता है, नारकीय जीवन छुट जाता है, हर काम में, हर दिशा में सफलता मिलती है । नवरात्रि में पति पत्नी का व्यवहार नहीं, संयम से रहें ।*

*🔹चैत्री नूतन वर्ष ( गुडी पड़वा ): 09 अप्रैल 2024 - वि. सं 2081 प्रारम्भ*

*🔸चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा या गुडी पड़वा वर्ष का आरम्भ दिवस माना जाता है ।*

*🔸इस दिन मर्यादापुरुषोत्तम श्रीरामचन्द्रजी ने बालि के अत्याचार से लोगों को मुक्त किया था । उसकी खुशी में लोगों ने घर-घर गुड़ी (ध्वजा) खड़ी कर उत्सव मनाया इसलिए यह दिन ‘गुड़ी पड़वा’ नाम से प्रचलित हुआ ।*

*🔸शालिवाहन ने शत्रुओं पर विजय पायी, जिससे इस दिन से शालिवाहन शक प्रारम्भ हुआ ।*
*🔸इसी दिन राजा विक्रमादित्य ने शकों पर विजय पायी और विक्रम संवत्सर प्रारम्भ हुआ ।*

*🔸आध्यात्मिक ढंग से देखें तो यह सतयुग का प्रारम्भिक दिवस है । ब्रह्माजी ने जब सृष्टि का आरम्भ किया उस समय इस तिथि को ‘प्रवरा’ (सर्वोत्तम) तिथि सूचित किया था ।*

*🔸वर्ष के साढ़े तीन शुभ मुहूर्तों में से एक है गुडी पड़वा का दिन ! यह बिना मुहूर्त के मुहूर्त है अर्थात् इस पूरे दिन शुभ मुहूर्त रहता है, पंचांग में शुभ मुहूर्त नहीं देखना पड़ता । इस दिन जितना भी भजन, ध्यान, जप, मौन, सेवा की जाए, उसका अनेक गुना फल मिलता है ।*

*🔸नये साल के प्रथम दिन से ही चैत्री नवरात्र का उपवास चालू हो जाता है । 9 दिन का उपवास करके माँ शक्ति की उपासना की जाती है, जिससे आध्यात्मिक उन्नति के साथ-साथ मानसिक प्रसन्नता व शारीरिक स्वास्थ्य-लाभ भी सहज में ही मिल जाता है ।*

*🔸चैत्र शुक्ल प्रतिपदा वर्ष का पहला दिन होने से इसका विशेष महत्व है । वर्षारम्भ की यह मंगलदायिनी तिथि समूचे वर्ष के सुख-दुःख का प्रतीक मानी जाती है ।*

*🔹भारतीय चैत्री नूतन वर्ष 9 अप्रैल को कैसे मनायें ?*

*👉🏻 सुबह सूर्योदय पहले स्नान करें । तिलक करें ।*

*👉🏻 सूर्योदय के समय शंखध्वनि करें । सूर्यनारायण को अर्घ दें । भगवा ध्वज फहरायें ।*

*👉🏻 अशोक - आम- नीम- पीपल के पत्ते का तोरण बांधे । नीम - काली मिर्च - मिश्रीयुक्त चटनी खायें ।*

*👉🏻 भजन-संकीर्तन करें । एक दूसरे को हार्दिक बधाई दें ।*
*🌞~आज का हिंदू पंचांग~🌞*
*दिनांक - 10 अप्रैल 2024*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - द्वितीया शाम 05.32 तक, तत्पश्चात तृतीया*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*व्रत पर्व विवरण- चेटीचंड, श्री झूलेलाल जी जयंती।*
*विशेष - द्वितीय को बृहति (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है।*

*🔹चैत्र नवरात्रि (9अप्रैल से 17 अप्रैल 2024)🔹*

*🌹 नवरात्रि की द्वितीया तिथि पर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। देवी ब्रह्मचारिणी ब्रह्म शक्ति यानी तप की शक्ति का प्रतीक हैं । इनकी आराधना से भक्त की तप करने की शक्ति बढ़ती है । साथ ही, सभी मनोवांछित कार्य पूर्ण होते हैं ।*

*🌹 नवरात्रि की द्वितीया तिथि यानी दूसरे दिन माता दुर्गा को शक्कर का भोग लगाएं । इससे उम्र लंबी होती है ।*

*🔹लक्षमी प्राप्ति साधना🔹*

*🌹 श्रीमद् देवीभागवत में वर्णित नवरात्रि में जप से श्रेष्ठ लक्ष्मीप्राप्ति का दुर्लभ मंत्र ।*

*🌹 नवरात्रि में मंत्र जप से श्रेष्ठ लक्ष्मी - प्राप्ति होती है । इस मंत्र से लक्ष्मी जी महालक्ष्मी होकर भोग और मोक्ष देनेवाली बनती है ।*

*मंत्र - "ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा"*

*🌹 सप्तमी, अष्टमी, नवमी ये 3 दिन, व्यास जी ने कहा कि ये 3 दिन का जप, पूजन, व्रत करे तो नवरात्रि का फल प्राप्त होगा । ब्रम्हचर्य का पालन, दिया जलाकर प्राणायाम आदि करके माता की प्रसन्नता, शक्ति की उपासना का ये मंत्र है । ॐ बीज मंत्र है, बड़ा शक्तिशाली है । श्रीं भी बीज मंत्र है । ह्रीं भी बीज मंत्र है । क्लिं भी बीज मंत्र है । ऐं भी बीज मंत्र है । इसमें 5 बीज मंत्र है ।*

*🌹 इन बीज मंत्रों में दैविक शक्तियों के पुंज के पुंज छिपे है और आपके अन्दर जो केंद्र है उनको ये बीज मंत्र सेंसिटिव करेंगे, प्रभावित करेंगे ।*
*- 🌹पूज्य बापूजी*

*🔹चेटीचंड - 10 अप्रैल 2024🔹*

*🌹 10 अप्रैल 2024 बुधवार को चैत्र सुद दूज चेटीचंड पर्व है । उस दिन रात को चंद्रमा को मंत्र बोलते हुए अर्घ्य दें । मन ही मन यह शुभ संकल्प करें कि, मेरा मन शांत रहे, भक्ति में लगे । गुरु चरणों में लगे ।*
*मंत्र : ॐ बालचन्द्रमसे नमः (3 बार)*

*🔹काम-धंधे में बरकत के लिए🔹*

*🔹नौकरी या काम-धंधे में बरकत नहीं आती हो तो गाय की धूलि लेकर उसको ललाट पर लगाकर काम-धंधे पर जाएँ । धीरे-धीरे बरकत होने लगेगी और विघ्न हटने लगेंगे । - 🌹 पूज्य बापूजी 🌹*

*🔹पेट सम्बन्धी तकलीफों में🔹*

*🔹नींबू के रस में सौंफ भिगो दें और जितना नींबू का रस, उतना ही सौंफ भी लें । फिर सौंफ में थोड़ा काला नमक या संत कृपा चूर्ण मिलाकर तवे में सेंक कर रख दो । ये लेने से पेट का भारीपन, बदहाजमी दूर होगी और भूख खुलकर लगेगी । कब्ज की तकलीफ भी ठीक हो जायेगी ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 11 अप्रैल 2024*
*दिन - गुरुवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - तृतीया दोपहर 03:03 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*नक्षत्र - कृतिका रात्रि 01.38 अप्रैल 12 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*योग प्रीति सुबह 07:19 तक तत्पश्चात आयुष्मान*
*राहु काल - दोपहर 02:13 से दोपहर 03:47 तक*
*सूर्योदय - 06:24*
*सूर्यास्त - 06:55*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:52 से 05:38 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12.14 से दोपहर 01.05 तक*
* निशिता मुहूर्त- रात्रि 00.16 अप्रैल 12 से रात्रि 01.02 अप्रैल 12 तक*
*व्रत पर्व विवरण- मत्स्य जयंती, गौरी पूजा, गणगौर*
*विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है।*

*🌹 मत्स्य जयंती - 11 अप्रैल 2024 🌹*

*🌹 भगवान विष्णु के 10 प्रमुख अवतारों में से उनका मत्स्य रूप भी एक है । मत्स्य यानी मछली जिस प्रकार उन्होंने सृष्टि के कल्याण के लिए अपने बाकी अवतार लिए थे ठीक उसी तरह भगवान का यह रूप भी संसार की सुरक्षा के लिए ही था । चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मत्स्य जयंती के रूप में मनाया जाता है । यह दिन श्री हरी विष्णु के मत्स्य अवतार को समर्पित है । मत्स्य जयंती के दिन विष्णु जी की विशेष पूजा की जाती है। भक्त पूरी श्रद्धा के साथ पूजा, पाठ व्रत आदि करते हैं ।*

*🔹चैत्र नवरात्रि (9 अप्रैल से 17 अप्रैल 2024)🔹*

*🌹 नवरात्रि की तृतीया तिथि यानी तीसरा दिन माता चंद्रघंटा की पूजा कि जाती है । यह शक्ति माता का शिवदूती स्वरूप हैं । इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है । असुरों के साथ युद्ध में देवी चंद्रघंटा ने घंटे की टंकार से असुरों का नाश किया था । नवरात्रि के तृतीय दिन इनका पूजन किया जाता है । इनके पूजन से साधक को मणिपुर चक्र के जाग्रत होने वाली सिद्धियां स्वत: प्राप्त हो जाती हैं तथा सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है ।*

*🌹 तृतीया तिथि यानी की तीसरे दिन को माता दुर्गा को दूध का भोग लगाएं । इससे दुखों से मुक्ति मिलती है ।*

*🌹 गणगौर तीज - 11 अप्रैल 2024 🌹*

*🌹 चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर तीज का उत्सव मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 11 अप्रैल, गुरुवार को है । गणगौर उत्सव में मुख्य रूप से माता पार्वती व भगवान शिव का पूजन किया जाता है । भगवान शंकर-माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए इस दिन कुछ उपाय भी कर सकते हैं। ये उपाय इस प्रकार है-*

*👉🏻 1. देवी भागवत के अनुसार, माता पार्वती का अभिषेक आम अथवा गन्ने के रस से किया जाए तो लक्ष्मी और सरस्वती ऐसे भक्त का घर छोड़कर कभी नहीं जातीं। वहां संपत्ति और विद्या का वास रहता है ।*

*👉🏻 2. शिवपुराण के अनुसार, लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने से भोग व मोक्ष की प्राप्ति होती है ।*

*👉🏻 3. माता पार्वती को घी का भोग लगाएं तथा उसका दान करें । इससे रोगी को कष्टों से मुक्ति मिलती है तथा वह निरोगी होता है ।*

*👉🏻 4. माता पार्वती को शक्कर का भोग लगाकर उसका दान करने से भक्त को दीर्घायु प्राप्त होती है । दूध चढ़ाकर दान करने से सभी प्रकार के दु:खों से मुक्ति मिलती है । मालपुआ चढ़ाकर दान करने से सभी प्रकार की समस्याएं अपने आप ही समाप्त हो जाती है ।*

*👉🏻 5. भगवान शिव को चमेली के फूल चढ़ाने से वाहन सुख मिलता है । अलसी के फूलों से शिव का पूजन करने से मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है ।*

*👉🏻 6. भगवान शिव की शमी पत्रों से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है । बेला के फूल से पूजन करने पर शुभ लक्षणों से युक्त पत्नी मिलती है । धतूरे के फूल के पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो परिवार का नाम रोशन करता है । लाल डंठल वाला धतूरा पूजन में शुभ माना गया है ।*

*👉🏻 7. भगवान शिव पर ईख (गन्ना) के रस की धारा चढ़ाई जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है । शिव को गंगाजल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है ।*

*👉🏻 8. देवी भागवत के अनुसार वेद पाठ के साथ यदि कर्पूर, अगरु (सुगंधित वनस्पति), केसर, कस्तूरी व कमल के जल से माता पार्वती का अभिषेक करने से सभी प्रकार के पापों का नाश हो जाता है तथा साधक को थोड़े प्रयासों से ही सफलता मिलती है ।*

*👉🏻 9. जूही के फूल से भगवान शिव का पूजन करने से घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती। दूर्वा से पूजन करने पर आयु बढ़ती है । हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है ।*
*👉🏻 10. देवी भागवत के अनुसार, माता पार्वती को केले का भोग लगाकर दान करने से परिवार में सुख-शांति रहती है । शहद का भोग लगाकर दान करने से धन प्राप्ति के योग बनते हैं । गुड़ की वस्तुओं का भोग लगाकर दान करने से दरिद्रता का नाश होता है ।*

*👉🏻 11. भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति हो सकती है । तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है ।*

*👉🏻 12. द्राक्षा (दाख) के रस से यदि माता पार्वती का अभिषेक किया जाए तो भक्तों पर देवी की कृपा बनी रहती है ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 12 अप्रैल 2024*
*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - चतुर्थी दोपहर 01:11 तक तत्पश्चात पंचमी*
*नक्षत्र - रोहिणी रात्रि 12.51 अप्रैल 13 तक तत्पश्चात मृगशिरा*
*योग सौभाग्य रात्रि 02:13 अप्रैल 13 तक तत्पश्चात शोभन*
*राहु काल - सुबह 11:05 से दोपहर 12:39 तक*
*सूर्योदय - 06:23*
*सूर्यास्त - 06:55*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:52 से 05:37 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12.14 से दोपहर 01.04 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00.16 अप्रैल 13 से रात्रि 01.02 अप्रैल 13 तक*
* व्रत पर्व विवरण- विनायक चतुर्थी, लक्ष्मी पंचमी*
*विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है ।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 चैत्र नवरात्रि 🌹*

*🌹 नवरात्रि की चतुर्थी तिथि की प्रमुख देवी मां कूष्मांडा हैं । देवी कूष्मांडा रोगों को तुरंत नष्ट करने वाली हैं । इनकी भक्ति करने वाले श्रद्धालु को धन-धान्य और संपदा के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है । मां दुर्गा के इस चतुर्थ रूप कूष्मांडा ने अपने उदर से अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न किया । इसी वजह से दुर्गा के इस स्वरूप का नाम कूष्मांडा पड़ा ।*

*🌹 मां कूष्मांडा के पूजन से हमारे शरीर का अनाहत चक्रजागृत होता है । इनकी उपासना से हमारे समस्त रोग व शोक दूर हो जाते हैं । साथ ही, भक्तों को आयु, यश, बल और आरोग्य के साथ-साथ सभी भौतिक और आध्यात्मिक सुख भी प्राप्त होते हैं ।*

*🌹 नवरात्रि के चौथे दिन यानी चतुर्थी तिथि को माता दुर्गा को मालपुआ का भोग लगाएं । इससे समस्याओं का अंत होता है ।*

*🔹कर्ज-निवारण व धन-वृद्धि हेतु रखें इन बातों का विशेष ध्यान 🔹*

*🔸झाडू को कभी पैर न लगायें ।*

*🔸 भोजन बनाने के बाद तवा, कढ़ाई या अन्य बर्तन चूल्हे से उतारकर नीचे रखें ।*

*🔸 घर के दरवाजे को कभी भी पैर से ठोकर मार के न खोलें ।*

*🔸 देहली (दहलीज) पर बैठकर कभी भोजन न करें ।*
*🔸सुबह शाम की पहली रोटी गाय के लिए बनायें व समय-अनुकूलता अनुसार खिला दें ।*

*🔸 घर के बड़ों को प्रणाम करें । उनके आशीर्वाद से घर में बरकत आती है ।*

*🔸 रसोईघर में जूठे बर्तन कभी भी नहीं रखें तथा रात्रि में जूठे बर्तन साफ करके ही रखें ।*

*🔸 घर में गलत जगह शौचालय बन गया हो तो शौचालय में नमक रखने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव दूर होता है । नमक को शौचालय के अलावा कहीं भी खुला न रखें । इससे धन-नाश होता है ।*

*🔸 घर की नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) दूर करने के लिए हफ्ते में एक बार नमक मिले पानी से पोंछा लगायें ।*

*🔸 घर में जितनी भी घड़ियाँ हों उन्हें चालू रखें, बंद होने पर तुरंत ठीक करायें, धनागम अच्छा होगा ।*

*🔸 घर की छत पर टूटी कुर्सियाँ, बंद घड़ियाँ, गत्ते के खाली डिब्बे, बोतलें, मूर्तियाँ या कबाड़ नहीं रखना चाहिए ।*

*🔸 घर में जाला या काई न लगने दें ।*

*🔸घर की दीवारों व फर्श पर पेंसिल, चाक आदि के निशान होने से कर्ज चढ़ता है । निशान हों तो मिटा दें ।*

*🔸बाधाओं से सुरक्षा हेतु हल्दी व चावल पीसकर उसके घोल से या केवल हल्दी से घर के प्रवेश द्वार पर ॐ बना दें ।*

*🔸प्रतिदिन प्रातः सूर्योदय के पूर्व उठकर स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें । असत्य वचन न बोलें । पूजाघर में दीपक व गौ-चंदन धूपबत्ती जलायें । हो सके तो ताजे पुष्प चढ़ायें और तुलसी या रुद्राक्ष की माला से अपने गुरुमंत्र का कम से कम १००० बार (१० माला) जप करें । जिन्होंने मंत्रदीक्षा नहीं ली हो वे जो भी भगवन्नाम प्रिय लगता हो उसका जप करें ।*
2024/05/22 08:02:29
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