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भारत एक गंभीर प्लास्टिक अपशिष्ट चुनौती का सामना कर रहा है, जहाँ सालाना 34 लाख टन प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पन्न होता है, जिसमें से केवल 30% का ही पुनर्चक्रण किया जाता है। जैसे-जैसे प्लास्टिक की खपत बढ़ती जा रही है, स्रोत पर प्लास्टिक उत्पादन को कम करना आवश्यक हो गया है। प्लास्टिक प्रदूषण उन्मूलन हेतु सार्वभौमिक संधि पर वैश्विक चर्चाएँ जारी हैं, लेकिन प्रभावी समाधानों को आकार देने में भारत की भूमिका महत्त्वपूर्ण बनी हुई है। चुनौती राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को मज़बूत अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समझौतों की आवश्यकता के साथ सामंजस्य स्थापित करने में निहित है।
BY Mppsc current affairs
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