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सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव

🔹15 नवंबर, 2024 को सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव की 555वीं जयंती प्रकाश उत्सव के रूप में मनाई जा रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की पूर्णिमा को उनकी जयंती मनाई जाती है।

🔹गुरु नानक देव का जन्म वर्ष 1469 में लाहौर के पास तलवंडी राय भोई गाँव में हुआ था, जिसे बाद में ननकाना साहिब नाम दिया गया। वे सिख धर्म के 10 गुरुओं में से पहले और सिख धर्म के संस्थापक थे।

🔹उन्होंने 16वीं शताब्दी में अंतर- धार्मिक संवाद शुरू किया और अपने समय के अधिकांश धार्मिक संप्रदायों के साथ बातचीत की। सिखों के पाँचवें गुरु, गुरु अर्जन (वर्ष 1563-1606) द्वारा संकलित आदि ग्रंथ में शामिल रचनाएँ लिखीं गईं।

🔹10वें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह (वर्ष 1666- 1708) द्वारा किये गए परिवर्द्धन के बाद इसे गुरु ग्रंथ साहिब के रूप में जाना जाने लगा।

🔹उन्होंने भक्ति के 'निर्गुण' (निराकार परमात्मा की भक्ति और पूजा) रूप की वकालत की। त्याग, अनुष्ठान स्नान, छवि पूजा, तपस्या को अस्वीकार कर दिया।

🔹उनकी मृत्यु वर्ष 1539 में करतारपुर, पंजाब में हुई।
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सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव

🔹15 नवंबर, 2024 को सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव की 555वीं जयंती प्रकाश उत्सव के रूप में मनाई जा रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की पूर्णिमा को उनकी जयंती मनाई जाती है।

🔹गुरु नानक देव का जन्म वर्ष 1469 में लाहौर के पास तलवंडी राय भोई गाँव में हुआ था, जिसे बाद में ननकाना साहिब नाम दिया गया। वे सिख धर्म के 10 गुरुओं में से पहले और सिख धर्म के संस्थापक थे।

🔹उन्होंने 16वीं शताब्दी में अंतर- धार्मिक संवाद शुरू किया और अपने समय के अधिकांश धार्मिक संप्रदायों के साथ बातचीत की। सिखों के पाँचवें गुरु, गुरु अर्जन (वर्ष 1563-1606) द्वारा संकलित आदि ग्रंथ में शामिल रचनाएँ लिखीं गईं।

🔹10वें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह (वर्ष 1666- 1708) द्वारा किये गए परिवर्द्धन के बाद इसे गुरु ग्रंथ साहिब के रूप में जाना जाने लगा।

🔹उन्होंने भक्ति के 'निर्गुण' (निराकार परमात्मा की भक्ति और पूजा) रूप की वकालत की। त्याग, अनुष्ठान स्नान, छवि पूजा, तपस्या को अस्वीकार कर दिया।

🔹उनकी मृत्यु वर्ष 1539 में करतारपुर, पंजाब में हुई।

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