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Current Adda ️- करेंट अफेयर्स Current Affairs in Hindi प्रश्न Quiz Questions Online करंट Series Mock Tests SSC UPSC Railway Bank » Telegram Web
हाल ही में ‘प्रफुल्ल रॉय’ का निधन हुआ है वे कौन थे?
Anonymous Quiz
14%
गायक
38%
पत्रकार
48%
साहित्यकार
1%
इनमें से कोई नहीं
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Test Tak - Online Tests | Quiz | Mock Tests | Test Series
Test Tak - Online Tests | Quiz | Mock Tests | Test Series: Current Affairs - करंट अफेयर्स - Quiz Test - Today Daily Top MCQs -…
Test Tak’s Daily Current Affairs Test / Quiz 2025 is published daily with Multiple Choice (MCQs) / Objective Current Affairs Questions and Answers.
किस देश के राष्ट्रपति की घोषणा के बाद ईरान व इजरायल में 12 दिनों के युद्ध के बाद सीजफायर हुआ?
Anonymous Quiz
3%
चीन
21%
रूस
75%
USA
2%
फ्रांस
– 13 जून से 24 जून 2025 (12 दिन) तक मिसाइलों की बौछार और बमों के धमाके के बाद आखिरकार ईरान और इजराइल मान गए कि वे अब नहीं लड़ेंगे।
– 24 जून की सुबह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इजराइल-ईरान सीजफायर का ऐलान किया, लेकिन कुछ ही देर बाद इजराइल ने दावा किया कि उस पर ईरान ने हमला किया।
– जबकि ईरान ने इससे साफ इनकार कर दिया। हालांकि, दोपहर तक दोनों देश सीजफायर के लिए राजी हो गए।
ट्रंप ने किया ईरान – इजरायल के बीच सीजफायर का ऐलान
– अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार तड़के 3:30 बजे ईरान और इजराइल के बीच सीजफायर का दावा किया।
– इसके बाद ईरानी टेलीविजन ने बताया कि इजरायल के साथ युद्ध में संघर्ष विराम शुरू हो गया है।
– ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने अगर इजराइल, हमले रोक देता है, तो ईरान भी हमले नहीं करेगा।
– इसके बाद ईरान ने इजराइल पर 6 बार बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया।
– इसके बाद फिर से ट्रंप ने कहा – अभी से सीजफायर लागू होता है, प्लीज इसे न तोड़ें।
– तब इजरायल ने भी कहा कि वह भी सीजफायर को स्वीकार करता है।
ईरान ने कतर और इराक में अमेरिकी बेस पर मिसाइलें दागीं
– ट्रम्प के ऐलान से कुछ घंटे पहले ही ईरान ने कतर में अमेरिका के अल-उदीद एयर मिलिट्री बेस पर 19 मिसाइलें दागीं थीं। हालांकि, इस हमले में कोई हताहत नहीं हुआ, क्योंकि ईरान ने हमले से पहले ही इसके बारे में अलर्ट जारी कर दिया था।
ईरान और इजराइल सीजफायर के लिए क्यों मान गए?
– डोनाल्ड ट्रम्प ने सीजफायर का पूरा क्रेडिट खुद को दिया। वे मानते हैं कि उन्हीं की वजह से जंग खत्म हुई है। हालांकि, इसके अलावा सीजफायर की कई वजहें हैं।
– जंग के मैदान में अकेले पड़े: ईरान और इजराइल जंग में अकेले पड़ गए। ईरान को रूस, चीन, नॉर्थ कोरिया, जैसे देशों ने समर्थन किया और बयान जारी किए, लेकिन किसी ने सैन्य मदद नहीं की। हूती, हिजबुल्लाह और हमास भी इतने कमजोर पड़ गए कि ईरान के लिए खड़े नहीं हुए। वहीं, इजराइल की मदद के लिए अमेरिका आगे आया, लेकिन सैन्य मदद नहीं दी, जिस तरह गाजा में मदद की थी। हालांकि, 22 जून को अमेरिका ने ईरान की परमाणु लेबोरेटरीज पर B2 बॉम्बर से हमले जरूर किए।
– जंग में दोनों तरफ तबाही: 13 जून से 24 जून तक ईरान में जंग के कारण 600 से ज्यादा लोगों की मौत हुई, जबकि 5,000 से ज्यादा घायल हुए। वहीं, इजराइल में करीब 28 लोगों की मौत हुई और 3,000 से ज्यादा लोग घायल हुए। ईरान ने इजराइल के तेल अवीव, बीर्शेबा और हाइफा समेत कई शहरों पर हमला किया। ईरान के हमले में मोसाद का हेडक्वार्टर, रिहायशी इमारतें, हॉस्पिटल्स और सरकारी दफ्तर तबाह हो गए। वहीं, इजराइल ने ईरान के नतांज, फोर्डो और इस्फहान न्यूक्लियर लेबोरेटरी पर हमला किया। साथ ही कई ईरानी शहरों को निशाना बनाया और कई सैन्य अफसर भी मारे गए।
– कतर के PM शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी से ट्रम्प ने फोन पर बात की और ईरान को सीजफायर के लिए राजी करने को कहा।
– इसके बाद जेडी वेंस ने कतर और ईरान की बातचीत को व्हाइट हाउस से कोऑर्डिनेट किया। कतर ने ईरान को सीजफायर के लिए राजी किया। फिर 24 जून की सुबह ट्रम्प ने सीजफायर की घोषणा की।
क्या सीजफायर का मतलब है कि दोनों देश अब हमला नहीं करेंगे?
– विदेश मामलों के जानकार और JNU के रिटायर्ड प्रोफेसर ए. के. पाशा कहते हैं, ‘ट्रम्प की घोषणा के बाद सीजफायर तो हुआ, लेकिन कुछ कहा नहीं जा सकता कि यह कब तक रहेगा।
– अमेरिका की सीजफायर की घोषणा से इजराइल और ईरान खुश नहीं लग रहे और दोनों ने कहा कि अगर हमला हुआ तो जवाबी कार्रवाई जरूर होगी। हालांकि, सीजफायर लागू होना और बरकरार रहने में फर्क है।’
सीजफायर के बाद ईरान के परमाणु प्रोग्राम का क्या होगा?
– ईरान के एटॉमिक एनर्जी ऑर्गनाइजेशन के मुखिया मोहम्मद इस्लामी ने कहा है कि ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को इजराइल और अमेरिका के हमले से हुए नुकसान को ठीक किया जा रहा है।
– अमेरिकी थिंकटैंक ‘डिफेंस प्रायोरिटीज’ में मिडिल ईस्ट प्रोग्राम की डायरेक्टर रोजमेरी केलानिक के मुताबिक, ‘अमेरिकी हमले से ईरान के परमाणु हथियार हासिल करने की संभावना और ज्यादा बढ़ गई है। अगर इन हमलों में ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटी खत्म हो गई होगी, तो वह तेजी और ज्यादा ताकत से इन्हें बढ़ाने की कोशिश करेगा।’
– 24 जून की सुबह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इजराइल-ईरान सीजफायर का ऐलान किया, लेकिन कुछ ही देर बाद इजराइल ने दावा किया कि उस पर ईरान ने हमला किया।
– जबकि ईरान ने इससे साफ इनकार कर दिया। हालांकि, दोपहर तक दोनों देश सीजफायर के लिए राजी हो गए।
ट्रंप ने किया ईरान – इजरायल के बीच सीजफायर का ऐलान
– अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार तड़के 3:30 बजे ईरान और इजराइल के बीच सीजफायर का दावा किया।
– इसके बाद ईरानी टेलीविजन ने बताया कि इजरायल के साथ युद्ध में संघर्ष विराम शुरू हो गया है।
– ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने अगर इजराइल, हमले रोक देता है, तो ईरान भी हमले नहीं करेगा।
– इसके बाद ईरान ने इजराइल पर 6 बार बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया।
– इसके बाद फिर से ट्रंप ने कहा – अभी से सीजफायर लागू होता है, प्लीज इसे न तोड़ें।
– तब इजरायल ने भी कहा कि वह भी सीजफायर को स्वीकार करता है।
ईरान ने कतर और इराक में अमेरिकी बेस पर मिसाइलें दागीं
– ट्रम्प के ऐलान से कुछ घंटे पहले ही ईरान ने कतर में अमेरिका के अल-उदीद एयर मिलिट्री बेस पर 19 मिसाइलें दागीं थीं। हालांकि, इस हमले में कोई हताहत नहीं हुआ, क्योंकि ईरान ने हमले से पहले ही इसके बारे में अलर्ट जारी कर दिया था।
ईरान और इजराइल सीजफायर के लिए क्यों मान गए?
– डोनाल्ड ट्रम्प ने सीजफायर का पूरा क्रेडिट खुद को दिया। वे मानते हैं कि उन्हीं की वजह से जंग खत्म हुई है। हालांकि, इसके अलावा सीजफायर की कई वजहें हैं।
– जंग के मैदान में अकेले पड़े: ईरान और इजराइल जंग में अकेले पड़ गए। ईरान को रूस, चीन, नॉर्थ कोरिया, जैसे देशों ने समर्थन किया और बयान जारी किए, लेकिन किसी ने सैन्य मदद नहीं की। हूती, हिजबुल्लाह और हमास भी इतने कमजोर पड़ गए कि ईरान के लिए खड़े नहीं हुए। वहीं, इजराइल की मदद के लिए अमेरिका आगे आया, लेकिन सैन्य मदद नहीं दी, जिस तरह गाजा में मदद की थी। हालांकि, 22 जून को अमेरिका ने ईरान की परमाणु लेबोरेटरीज पर B2 बॉम्बर से हमले जरूर किए।
– जंग में दोनों तरफ तबाही: 13 जून से 24 जून तक ईरान में जंग के कारण 600 से ज्यादा लोगों की मौत हुई, जबकि 5,000 से ज्यादा घायल हुए। वहीं, इजराइल में करीब 28 लोगों की मौत हुई और 3,000 से ज्यादा लोग घायल हुए। ईरान ने इजराइल के तेल अवीव, बीर्शेबा और हाइफा समेत कई शहरों पर हमला किया। ईरान के हमले में मोसाद का हेडक्वार्टर, रिहायशी इमारतें, हॉस्पिटल्स और सरकारी दफ्तर तबाह हो गए। वहीं, इजराइल ने ईरान के नतांज, फोर्डो और इस्फहान न्यूक्लियर लेबोरेटरी पर हमला किया। साथ ही कई ईरानी शहरों को निशाना बनाया और कई सैन्य अफसर भी मारे गए।
– कतर के PM शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी से ट्रम्प ने फोन पर बात की और ईरान को सीजफायर के लिए राजी करने को कहा।
– इसके बाद जेडी वेंस ने कतर और ईरान की बातचीत को व्हाइट हाउस से कोऑर्डिनेट किया। कतर ने ईरान को सीजफायर के लिए राजी किया। फिर 24 जून की सुबह ट्रम्प ने सीजफायर की घोषणा की।
क्या सीजफायर का मतलब है कि दोनों देश अब हमला नहीं करेंगे?
– विदेश मामलों के जानकार और JNU के रिटायर्ड प्रोफेसर ए. के. पाशा कहते हैं, ‘ट्रम्प की घोषणा के बाद सीजफायर तो हुआ, लेकिन कुछ कहा नहीं जा सकता कि यह कब तक रहेगा।
– अमेरिका की सीजफायर की घोषणा से इजराइल और ईरान खुश नहीं लग रहे और दोनों ने कहा कि अगर हमला हुआ तो जवाबी कार्रवाई जरूर होगी। हालांकि, सीजफायर लागू होना और बरकरार रहने में फर्क है।’
सीजफायर के बाद ईरान के परमाणु प्रोग्राम का क्या होगा?
– ईरान के एटॉमिक एनर्जी ऑर्गनाइजेशन के मुखिया मोहम्मद इस्लामी ने कहा है कि ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को इजराइल और अमेरिका के हमले से हुए नुकसान को ठीक किया जा रहा है।
– अमेरिकी थिंकटैंक ‘डिफेंस प्रायोरिटीज’ में मिडिल ईस्ट प्रोग्राम की डायरेक्टर रोजमेरी केलानिक के मुताबिक, ‘अमेरिकी हमले से ईरान के परमाणु हथियार हासिल करने की संभावना और ज्यादा बढ़ गई है। अगर इन हमलों में ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटी खत्म हो गई होगी, तो वह तेजी और ज्यादा ताकत से इन्हें बढ़ाने की कोशिश करेगा।’
USA ने किस बमवर्षक विमान से ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फहान परमाणु संयंत्रों पर हमला किया, जो अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में चर्चा में रहा?
Anonymous Quiz
38%
B-2
14%
B-1
48%
TU-160
1%
H-6
– अमेरिका ने 22 जून 2025 को ईरान के 3 परमाणु ठिकानों पर 7 B-2 बॉम्बर से हमला किया।
– ये ठिकाने ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फहान में हैं।
– ईरान में चले ऑपरेशन का नाम ‘ऑपरेशन मिडनाइट-हैमर’ था। इसमें 125 से ज्यादा जेट शामिल हुए थे।
– इस विमान ने लगभग 37 घंटे तक बिना रुके उड़ान भरी और बीच हवा में कई बार फ्यूल भरा था।
GBU-57 बम (बंकर बस्टर)
– B-2 बॉम्बर ने फोर्डो और नतांज साइट पर 30 हजार पाउंड (14 हजार किलो) के एक दर्जन से ज्यादा GBU-57 बम (बंकर बस्टर) गिराए।
– वहीं, इस्फहान और नतांज पर 30 टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें दागी हैं। इन्हें 400 मील दूर अमेरिकी पनडुब्बियों से लॉन्च किया गया था।
– हालांकि इसके बाद यूएसए के प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान और इजरायल के बीच सीजफायर की घोषण कर दी।
– ये ठिकाने ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फहान में हैं।
– ईरान में चले ऑपरेशन का नाम ‘ऑपरेशन मिडनाइट-हैमर’ था। इसमें 125 से ज्यादा जेट शामिल हुए थे।
– इस विमान ने लगभग 37 घंटे तक बिना रुके उड़ान भरी और बीच हवा में कई बार फ्यूल भरा था।
GBU-57 बम (बंकर बस्टर)
– B-2 बॉम्बर ने फोर्डो और नतांज साइट पर 30 हजार पाउंड (14 हजार किलो) के एक दर्जन से ज्यादा GBU-57 बम (बंकर बस्टर) गिराए।
– वहीं, इस्फहान और नतांज पर 30 टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें दागी हैं। इन्हें 400 मील दूर अमेरिकी पनडुब्बियों से लॉन्च किया गया था।
– हालांकि इसके बाद यूएसए के प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान और इजरायल के बीच सीजफायर की घोषण कर दी।
किस राज्य में ताड़ के पेड़ों की कटाई के कारण बिजली गिरने से होने वाली मौतों (2000 से ज्यादा) में वृद्धि पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को नोटिस जारी किया गया है?
Anonymous Quiz
26%
बिहार
41%
झारखंड
25%
उत्तर प्रदेश
8%
छत्तीसगढ़
– राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने (सीपीसीबी) और अधिकारियों से जवाब मांगा है।
– हरित निकाय एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें उसने ताड़ के पेड़ों की कथित रूप से बड़े पैमाने पर कटाई पर एक समाचार पत्र की रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया था।
– जिसमें 2016 से 2025 तक बिहार में 2,000 से अधिक लोगों की जान चली गई है।
5 जून 2025 को दिए थे आदेश– एनजीटी के न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने 5 जून 2025 को दिए आदेश में कहा कि रिपोर्ट के मुताबिक दर्जनों ऊंचे ताड़ के पेड़ों को गिराया जा रहा है, जिससे अधिक बार बिजली गिरने की घटनाएं हो रही हैं।
– जिसके परिणामस्वरूप मौतें हो रही हैं।– रिपोर्ट के अनुसार, बिहार की शराबबंदी नीति के कारण ताड़ी निकालने पर प्रतिबंध लगने के बाद ताड़ के पेड़ों का आर्थिक मूल्य खत्म हो गया। तब से उन्हें बड़े पैमाने पर काटा जा रहा है।
इस समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित जिले
– एनजीटी ने कहा कि रिपोर्ट में कहा गया है कि ताड़ के पेड़ों की बड़े पैमाने पर कटाई के बाद बिजली गिरने से होने वाली मौतों की संख्या में वृद्धि होने लगी।– सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में औरंगाबाद, पटना, नालंदा, कैमूर, रोहतास, भोजपुर और बक्सर शामिल हैं।
– रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में ताड़ के वृक्षों की खेती के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में 40 प्रतिशत की कमी आई है तथा वृक्षारोपण बंद हो गया है।– इसमें कहा गया है कि यह मामला पर्यावरण अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत आता है।
– न्यायाधिकरण ने सीपीसीबी, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय और बिहार आपदा प्रबंधन विभाग को पक्ष या प्रतिवादी बनाया।
बिहार सरकार का ‘इंद्र वज्र’ ऐप– बिहार सरकार ने बारिश के समय में वज्रपात से कैसे लोगों को अलर्ट किया जाए इसके लिए एक ऐप का निर्माण करवाया था।
– बिहार सरकार द्वारा ‘इंद्र वज्र’ मोबाइल ऐप को डेवलप किया गया जो वज्रपात (ठनका) से पहले चेतावनी देता है।– यह ऐप उपयोगकर्ताओं को वज्रपात से 40-45 मिनट पहले अलर्ट करता है, जिससे वे सतर्क हो सकते हैं और जान-माल की क्षति को कम कर सकते हैं.
– हरित निकाय एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें उसने ताड़ के पेड़ों की कथित रूप से बड़े पैमाने पर कटाई पर एक समाचार पत्र की रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया था।
– जिसमें 2016 से 2025 तक बिहार में 2,000 से अधिक लोगों की जान चली गई है।
5 जून 2025 को दिए थे आदेश– एनजीटी के न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने 5 जून 2025 को दिए आदेश में कहा कि रिपोर्ट के मुताबिक दर्जनों ऊंचे ताड़ के पेड़ों को गिराया जा रहा है, जिससे अधिक बार बिजली गिरने की घटनाएं हो रही हैं।
– जिसके परिणामस्वरूप मौतें हो रही हैं।– रिपोर्ट के अनुसार, बिहार की शराबबंदी नीति के कारण ताड़ी निकालने पर प्रतिबंध लगने के बाद ताड़ के पेड़ों का आर्थिक मूल्य खत्म हो गया। तब से उन्हें बड़े पैमाने पर काटा जा रहा है।
इस समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित जिले
– एनजीटी ने कहा कि रिपोर्ट में कहा गया है कि ताड़ के पेड़ों की बड़े पैमाने पर कटाई के बाद बिजली गिरने से होने वाली मौतों की संख्या में वृद्धि होने लगी।– सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में औरंगाबाद, पटना, नालंदा, कैमूर, रोहतास, भोजपुर और बक्सर शामिल हैं।
– रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में ताड़ के वृक्षों की खेती के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में 40 प्रतिशत की कमी आई है तथा वृक्षारोपण बंद हो गया है।– इसमें कहा गया है कि यह मामला पर्यावरण अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत आता है।
– न्यायाधिकरण ने सीपीसीबी, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय और बिहार आपदा प्रबंधन विभाग को पक्ष या प्रतिवादी बनाया।
बिहार सरकार का ‘इंद्र वज्र’ ऐप– बिहार सरकार ने बारिश के समय में वज्रपात से कैसे लोगों को अलर्ट किया जाए इसके लिए एक ऐप का निर्माण करवाया था।
– बिहार सरकार द्वारा ‘इंद्र वज्र’ मोबाइल ऐप को डेवलप किया गया जो वज्रपात (ठनका) से पहले चेतावनी देता है।– यह ऐप उपयोगकर्ताओं को वज्रपात से 40-45 मिनट पहले अलर्ट करता है, जिससे वे सतर्क हो सकते हैं और जान-माल की क्षति को कम कर सकते हैं.
किस राज्य ने देश की पहली योग नीति शुरू की?
Anonymous Quiz
19%
उत्तर प्रदेश
66%
उत्तराखंड
10%
बिहार
6%
गुजरात
– देशभर में 21 जून 2025 को 11वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया।
– 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग के मौके पर उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के भराड़ीसैंण में भी योग दिवस समारोह आयोजित किया गया।
– इसी समारोह में उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पहली योग नीति लॉन्च की। उन्होंने गढ़वाल और कुमाऊं मंडल में “आध्यात्मिक आर्थिक क्षेत्र” की स्थापना की घोषणा की।
– इसके अलावा उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को योग और स्वास्थ्य की वैश्विक राजधानी के रूप में विकसित किया जाएगा।
– धामी ने ‘हर घर में योग, हर व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य’ का संदेश भी दिया।
केंद्रो की स्थापना के लिए सब्सिडी
– इस नई नीति के तहत योग एवं ध्यान सेंटर्स की स्थापना के लिए 20 लाख रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। और योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा से संबंधित रिसर्च के लिए 10 लाख रुपये की सब्सिडी दी जाएगी।
नोट : – सरकार की योजना के अनुसार, 2030 तक पूरे राज्य में पांच नए योग केंद्र खोले जाएंगे और मार्च 2026 तक सभी आयुष स्वास्थ्य केंद्रों में योग की सुविधाएं दी जाएंगी।
वर्ष 2025 की थीम
– एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग
– Yoga for One Earth, One Health
‘आध्यात्मिक आर्थिक क्षेत्र’ से क्या फायदा
– इन क्षेत्रों को आयुर्वेद, योग और आध्यात्मिक पर्यटन के अंतर्राष्ट्रीय केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। ऐसा करने से पूरे राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
– रोजगार बढ़ेंगे तो इस पहाड़ी क्षेत्रों से लोग दूसरे राज्यों या शहरों में रोजगार के लिए नहीं जाएंगे।
– 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग के मौके पर उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के भराड़ीसैंण में भी योग दिवस समारोह आयोजित किया गया।
– इसी समारोह में उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पहली योग नीति लॉन्च की। उन्होंने गढ़वाल और कुमाऊं मंडल में “आध्यात्मिक आर्थिक क्षेत्र” की स्थापना की घोषणा की।
– इसके अलावा उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को योग और स्वास्थ्य की वैश्विक राजधानी के रूप में विकसित किया जाएगा।
– धामी ने ‘हर घर में योग, हर व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य’ का संदेश भी दिया।
केंद्रो की स्थापना के लिए सब्सिडी
– इस नई नीति के तहत योग एवं ध्यान सेंटर्स की स्थापना के लिए 20 लाख रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। और योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा से संबंधित रिसर्च के लिए 10 लाख रुपये की सब्सिडी दी जाएगी।
नोट : – सरकार की योजना के अनुसार, 2030 तक पूरे राज्य में पांच नए योग केंद्र खोले जाएंगे और मार्च 2026 तक सभी आयुष स्वास्थ्य केंद्रों में योग की सुविधाएं दी जाएंगी।
वर्ष 2025 की थीम
– एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग
– Yoga for One Earth, One Health
‘आध्यात्मिक आर्थिक क्षेत्र’ से क्या फायदा
– इन क्षेत्रों को आयुर्वेद, योग और आध्यात्मिक पर्यटन के अंतर्राष्ट्रीय केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। ऐसा करने से पूरे राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
– रोजगार बढ़ेंगे तो इस पहाड़ी क्षेत्रों से लोग दूसरे राज्यों या शहरों में रोजगार के लिए नहीं जाएंगे।
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की रिपोर्ट (जून 2025) के अनुसार विद्युत उत्पादन क्षमता के मामले में भारत की रैंक क्या है?
Anonymous Quiz
5%
1
40%
2
50%
3
5%
4
– IEA के मुताबिक भारत पिछले पांच वर्षों में बिजली उत्पादन क्षमता में सबसे तेज वृद्धि दर्ज करने वाले देशों में तीसरे स्थान पर रहा है।
– वहीं भारत से आगे सिर्फ चीन और अमेरिका हैं।
– IEA ने कहा कि भारत में बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है, जिसकी वजह है शहरी और ग्रामीण इलाकों में तेजी से निर्माण, घरों में एयर कंडीशनर और अन्य उपकरणों का बढ़ता उपयोग, और औद्योगिक क्षेत्रों की ऊर्जा जरूरतें हैं।
– इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए देश ने सभी ऊर्जा स्रोतों से बिजली उत्पादन में तेजी से विस्तार किया है।
– रिपोर्ट में बताया गया है कि इस विकास का प्रमुख कारण रिन्यूएबल एनर्जी (अक्षय ऊर्जा) पर दिया गया जोर है।
स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं में कितना प्रतिशत हिस्सा
– पांच वर्षों में भारत में गैर-जीवाश्म ईंधन (Non-Fossil Fuel) में हुए कुल निवेश का आधे से अधिक हिस्सा सिर्फ सौर ऊर्जा परियोजनाओं में हुआ।
– वहीं 2024 में देश के बिजली क्षेत्र में कुल निवेश का 83% हिस्सा स्वच्छ ऊर्जा (Clean Energy) परियोजनाओं में गया।
– साथ ही, भारत 2024 में स्वच्छ ऊर्जा के लिए डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टिट्यूशंस (DFI) से सबसे ज्यादा वित्तीय सहायता पाने वाला देश बना।
– भारत को इस क्षेत्र में 2.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की परियोजना-आधारित फंडिंग मिली।
FDI में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई
– वर्ष 2023 में बिजली क्षेत्र में FDI 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो COVID-19 से पहले के स्तर से लगभग दोगुना है।
– यह वृद्धि सरकार की 100 फीसदी FDI नीति के कारण संभव हो पाई है, जो परमाणु ऊर्जा को छोड़कर बाकी सभी बिजली उत्पादन और ट्रांसमिशन क्षेत्रों में लागू होती है।
FPI में गिरावट आई है
– रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले दो वर्षों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में गिरावट आई है।
– IEA की इस रिपोर्ट से साफ है कि भारत न केवल बिजली उत्पादन में बल्कि साफ और नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने में भी दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल हो चुका है।
– वहीं भारत से आगे सिर्फ चीन और अमेरिका हैं।
– IEA ने कहा कि भारत में बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है, जिसकी वजह है शहरी और ग्रामीण इलाकों में तेजी से निर्माण, घरों में एयर कंडीशनर और अन्य उपकरणों का बढ़ता उपयोग, और औद्योगिक क्षेत्रों की ऊर्जा जरूरतें हैं।
– इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए देश ने सभी ऊर्जा स्रोतों से बिजली उत्पादन में तेजी से विस्तार किया है।
– रिपोर्ट में बताया गया है कि इस विकास का प्रमुख कारण रिन्यूएबल एनर्जी (अक्षय ऊर्जा) पर दिया गया जोर है।
स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं में कितना प्रतिशत हिस्सा
– पांच वर्षों में भारत में गैर-जीवाश्म ईंधन (Non-Fossil Fuel) में हुए कुल निवेश का आधे से अधिक हिस्सा सिर्फ सौर ऊर्जा परियोजनाओं में हुआ।
– वहीं 2024 में देश के बिजली क्षेत्र में कुल निवेश का 83% हिस्सा स्वच्छ ऊर्जा (Clean Energy) परियोजनाओं में गया।
– साथ ही, भारत 2024 में स्वच्छ ऊर्जा के लिए डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टिट्यूशंस (DFI) से सबसे ज्यादा वित्तीय सहायता पाने वाला देश बना।
– भारत को इस क्षेत्र में 2.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की परियोजना-आधारित फंडिंग मिली।
FDI में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई
– वर्ष 2023 में बिजली क्षेत्र में FDI 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो COVID-19 से पहले के स्तर से लगभग दोगुना है।
– यह वृद्धि सरकार की 100 फीसदी FDI नीति के कारण संभव हो पाई है, जो परमाणु ऊर्जा को छोड़कर बाकी सभी बिजली उत्पादन और ट्रांसमिशन क्षेत्रों में लागू होती है।
FPI में गिरावट आई है
– रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले दो वर्षों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में गिरावट आई है।
– IEA की इस रिपोर्ट से साफ है कि भारत न केवल बिजली उत्पादन में बल्कि साफ और नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने में भी दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल हो चुका है।
PM मोदी ने किस राज्य में स्थित फैक्ट्री से अफ्रीकी देश गिनी गणराज्य के लिए भारत के पहले लोकोमोटिव इंजन को जून 2025 में हरी झंडी दिखाई?
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19%
उत्तर प्रदेश
33%
राजस्थान
43%
बिहार
5%
झारखंड
– प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 20 जून 2025 को बिहार के सारण में मरहोरा लोकोमोटिव फैक्ट्री से पहले ‘मेड इन इंडिया’ लोकोमोटिव इंजन को हरी झंडी दिखाकर वर्चुअल तरीके से रवाना किया।
– इंजन को रेलवे की महिला लोको पायलट श्वेता कुमारी व दिलीप कुमार ने हॉर्न बजाकर हरी झंडी दिखाते हुए पटरी पर आगे के लिए दौड़ा दिया।
– यह फैक्ट्री, मेक इन इंडिया पहल के तहत भारत की पहली सार्वजनिक-निजी भागीदारी परियोजना है, जो GE ट्रांसपोर्टेशन (अब Wabtec का हिस्सा) और भारतीय रेलवे के बीच एक संयुक्त उद्यम है।
– यहां निर्मित 150 लोकोमोटिव गिनी को निर्यात किए जाएंगे।
इंजन के बारे में
– इंजन का नाम गिनी गणराज्य के राष्ट्रपति के गांव के नाम पर ‘कोमा’ रखा गया है।
– इसे गिनी गणराज्य के सीमांडू माइंस प्रोजेक्ट के लिए खास तौर पर तैयार किया गया है।
– इसका रंग नीला व फिरोजी है। कहते हैं कि गिनी के राष्ट्रीय झंडा में नीले व फिरोजी रंग का उपयोग किया गया है और यह रंग समुद्र का भी प्रतिनिधित्व करता है।
– यह इंजन आगे और पीछे दोनों तरफ चल सकता है।
– यह आधुनिक इंजन 4500 HP पावर क्षमता का है।
– मढ़ौरा, बिहार से वर्ष 2028 तक गिनी को भेजा जाएगा।
– वेबटेक कंपनी के एमडी संदीप शिलॉट ने बताया कि इससे करीब 3000 करोड़ से अधिक का व्यापार होगा।
– इसका डिजाइन गिनी के उच्च तापमान को देखते हुए तैयार किया गया है।
– इस इंजन के केबिन ए.सी. (AC) वाले बनाए गए हैं।
– इसमें फ्रिज, यूरिनल व ऑटोमेटिक कंट्रोल सिस्टम सहित अन्य अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया है।
– यह इंजन अन्य इंजनों की तुलना में ईंधन की खपत कम करता है और प्रदूषण भी काम फैलता है।
गिनी गणराज्य
– राजधानी – कोनाक्री
– सैन्य सरकार के अंतरिम राष्ट्रपति – मामाडी डौम्बौया
– प्रधानमंत्री – बह ओरी
– मुद्रा – गिनीयन फ्रैंक
– इंजन को रेलवे की महिला लोको पायलट श्वेता कुमारी व दिलीप कुमार ने हॉर्न बजाकर हरी झंडी दिखाते हुए पटरी पर आगे के लिए दौड़ा दिया।
– यह फैक्ट्री, मेक इन इंडिया पहल के तहत भारत की पहली सार्वजनिक-निजी भागीदारी परियोजना है, जो GE ट्रांसपोर्टेशन (अब Wabtec का हिस्सा) और भारतीय रेलवे के बीच एक संयुक्त उद्यम है।
– यहां निर्मित 150 लोकोमोटिव गिनी को निर्यात किए जाएंगे।
इंजन के बारे में
– इंजन का नाम गिनी गणराज्य के राष्ट्रपति के गांव के नाम पर ‘कोमा’ रखा गया है।
– इसे गिनी गणराज्य के सीमांडू माइंस प्रोजेक्ट के लिए खास तौर पर तैयार किया गया है।
– इसका रंग नीला व फिरोजी है। कहते हैं कि गिनी के राष्ट्रीय झंडा में नीले व फिरोजी रंग का उपयोग किया गया है और यह रंग समुद्र का भी प्रतिनिधित्व करता है।
– यह इंजन आगे और पीछे दोनों तरफ चल सकता है।
– यह आधुनिक इंजन 4500 HP पावर क्षमता का है।
– मढ़ौरा, बिहार से वर्ष 2028 तक गिनी को भेजा जाएगा।
– वेबटेक कंपनी के एमडी संदीप शिलॉट ने बताया कि इससे करीब 3000 करोड़ से अधिक का व्यापार होगा।
– इसका डिजाइन गिनी के उच्च तापमान को देखते हुए तैयार किया गया है।
– इस इंजन के केबिन ए.सी. (AC) वाले बनाए गए हैं।
– इसमें फ्रिज, यूरिनल व ऑटोमेटिक कंट्रोल सिस्टम सहित अन्य अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया है।
– यह इंजन अन्य इंजनों की तुलना में ईंधन की खपत कम करता है और प्रदूषण भी काम फैलता है।
गिनी गणराज्य
– राजधानी – कोनाक्री
– सैन्य सरकार के अंतरिम राष्ट्रपति – मामाडी डौम्बौया
– प्रधानमंत्री – बह ओरी
– मुद्रा – गिनीयन फ्रैंक
G7 समिट के दौरान भारत और किस देश ने तनाव खत्म करते हुए फिर से उच्चायुक्तों (High Commissioners) को बहाल करने पर सहमति जताई?
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5%
इटली
40%
यूरोपीय यूनियन
48%
कनाडा
7%
यूनाइटेड किंगडम
– भारत-कनाडा के बीच वर्ष 2024 में खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद से संबंध बिगड़ गए थे।
– तनाव यहां तक बढ़ा था कि दोनों देशों ने अपने अपने राजनयिकों और उच्चायुक्त को वापस बुला लिया था।
– अब पीएम मोदी और कनाडा के पीएम मॉर्क कार्नी के बीच जून 2025 में जी-7 में हुई मुलाकात के बाद दोनों देशों ने नए उच्चायुक्तों को नियुक्त करने पर सहमति जताई है।
– मई 2025 में कार्नी के पदभार ग्रहण करने के बाद से दोनों नेताओं के बीच यह पहली मुलाकात थी।
– विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि दोनों देश एक दूसरे की राजधानियों में जल्द से जल्द उच्चायुक्तों की बहाली करेंगे।
कनाडा
राजधानी: ओटावा
मुद्रा: कैनेडियन डॉलर
आबादी: 40.1 मिलियन (2011)
भाषा: अंग्रेजी और फ्रेंच
– तनाव यहां तक बढ़ा था कि दोनों देशों ने अपने अपने राजनयिकों और उच्चायुक्त को वापस बुला लिया था।
– अब पीएम मोदी और कनाडा के पीएम मॉर्क कार्नी के बीच जून 2025 में जी-7 में हुई मुलाकात के बाद दोनों देशों ने नए उच्चायुक्तों को नियुक्त करने पर सहमति जताई है।
– मई 2025 में कार्नी के पदभार ग्रहण करने के बाद से दोनों नेताओं के बीच यह पहली मुलाकात थी।
– विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि दोनों देश एक दूसरे की राजधानियों में जल्द से जल्द उच्चायुक्तों की बहाली करेंगे।
कनाडा
राजधानी: ओटावा
मुद्रा: कैनेडियन डॉलर
आबादी: 40.1 मिलियन (2011)
भाषा: अंग्रेजी और फ्रेंच
किन संस्थानों ने भारत की पहली राष्ट्रीय ‘रेयर ब्लड डोनर रजिस्ट्री’ बनाई, जिसे ई-रक्तकोष प्लेटफॉर्म से जोड़े जाने का फैसला हुआ। इससे थैलेसीमिया सहित कई बीमारियों के मरीजों को जीवनदान मिलेगा?
Anonymous Quiz
12%
ICMR
14%
NIIH
73%
a और b दोनों
1%
AIIMS
ICMR : इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च
NIIH : नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोहेमेटोलॉजी, मुंबई
‘रेयर ब्लड डोनर रजिस्ट्री’
– यह एक ऑनलाइन पोर्टल है जिसमें दुर्लभ रक्त समूह वाले दाताओं की पूरी जानकारी दर्ज है।
– इससे जरूरतमंद मरीजों को आसानी से खून मिल सकेगा।
– अब इसे भारत सरकार के ई-रक्तकोष प्लेटफॉर्म से जोड़ा जा रहा है, जिससे सभी ब्लड बैंकों का डेटा एकसाथ जुड़ सके।
– भारत में पहली बार दुर्लभ रक्त समूह वाले मरीजों के लिए राष्ट्रीय स्तर की ‘रेयर ब्लड डोनर रजिस्ट्री’ तैयार की गई है।
– यह पहल इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के तहत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोहेमेटोलॉजी (NIIH), मुंबई की तरफ से की गई है।
– इसका मुख्य उद्देश्य ऐसे मरीजों को समय पर रक्त उपलब्ध कराना है जिन्हें बार-बार रक्त चढ़ाने की जरूरत पड़ती है।
– खासकर थैलेसीमिया और सिकल सेल बीमारी से जूझ रहे मरीजों को।
थैलेसीमिया के मरीज को सबसे ज्यादा जरूरत
– ICMR के डॉ. मनीषा मडकेकर का कहना है कि थैलेसीमिया के करीब एक से 1.5 लाख मरीजों को बार-बार खून की जरूरत पड़ती है।
– जबकि भारत में हर दिन 1,200 से ज्यादा सड़क हादसे होते हैं।
– हर साल छह करोड़ सर्जरी, 24 करोड़ बड़े ऑपरेशन, 33 करोड़ कैंसर से जुड़े इलाज, और एक करोड़ गर्भ से जुड़ी जटिलताएं होती हैं, जिनमें रक्त की भारी जरूरत पड़ती है। इसलिए ये बनया गया है।
अब 360 से ज्यादा रक्त एंटीजन पहचाने जाएंगे
– अभी तक भारत के अधिकांश ब्लड बैंक केवल एबीओ और आरएचडी ब्लड ग्रुप का ही मिलान करते हैं।
– लेकिन इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन (आईएसबीटी) ने 47 अलग-अलग सिस्टम में 360 से ज्यादा रक्त एंटीजन पहचाने हैं।
– जब इन छोटे एंटीजन का मिलान नहीं होता, तो मरीज के शरीर में ‘एलोइम्युनाइजेशन’ नाम की प्रतिक्रिया हो सकती है, जिससे इलाज और जटिल हो जाता है।
– कुछ दुर्लभ रक्त समूह ऐसे होते हैं जो सामान्य रक्तदाताओं में 1:1000 या उससे भी कम पाए जाते हैं।
– ऐसे मरीजों को खून देना कई बार स्थानीय ब्लड बैंक के लिए संभव नहीं होता।
– और राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रक्त की खोज करनी पड़ती है।
– ICMR अब इस रजिस्ट्री को ई-रक्तकोष के साथ जोड़ना चाहता है।
– इससे भारत के सभी ब्लड बैंक इस डेटाबेस में अपने दुर्लभ रक्तदाताओं की जानकारी जोड़ सकेंगे।
– मरीजों और डॉक्टरों को पोर्टल
NIIH : नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोहेमेटोलॉजी, मुंबई
‘रेयर ब्लड डोनर रजिस्ट्री’
– यह एक ऑनलाइन पोर्टल है जिसमें दुर्लभ रक्त समूह वाले दाताओं की पूरी जानकारी दर्ज है।
– इससे जरूरतमंद मरीजों को आसानी से खून मिल सकेगा।
– अब इसे भारत सरकार के ई-रक्तकोष प्लेटफॉर्म से जोड़ा जा रहा है, जिससे सभी ब्लड बैंकों का डेटा एकसाथ जुड़ सके।
– भारत में पहली बार दुर्लभ रक्त समूह वाले मरीजों के लिए राष्ट्रीय स्तर की ‘रेयर ब्लड डोनर रजिस्ट्री’ तैयार की गई है।
– यह पहल इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के तहत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोहेमेटोलॉजी (NIIH), मुंबई की तरफ से की गई है।
– इसका मुख्य उद्देश्य ऐसे मरीजों को समय पर रक्त उपलब्ध कराना है जिन्हें बार-बार रक्त चढ़ाने की जरूरत पड़ती है।
– खासकर थैलेसीमिया और सिकल सेल बीमारी से जूझ रहे मरीजों को।
थैलेसीमिया के मरीज को सबसे ज्यादा जरूरत
– ICMR के डॉ. मनीषा मडकेकर का कहना है कि थैलेसीमिया के करीब एक से 1.5 लाख मरीजों को बार-बार खून की जरूरत पड़ती है।
– जबकि भारत में हर दिन 1,200 से ज्यादा सड़क हादसे होते हैं।
– हर साल छह करोड़ सर्जरी, 24 करोड़ बड़े ऑपरेशन, 33 करोड़ कैंसर से जुड़े इलाज, और एक करोड़ गर्भ से जुड़ी जटिलताएं होती हैं, जिनमें रक्त की भारी जरूरत पड़ती है। इसलिए ये बनया गया है।
अब 360 से ज्यादा रक्त एंटीजन पहचाने जाएंगे
– अभी तक भारत के अधिकांश ब्लड बैंक केवल एबीओ और आरएचडी ब्लड ग्रुप का ही मिलान करते हैं।
– लेकिन इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन (आईएसबीटी) ने 47 अलग-अलग सिस्टम में 360 से ज्यादा रक्त एंटीजन पहचाने हैं।
– जब इन छोटे एंटीजन का मिलान नहीं होता, तो मरीज के शरीर में ‘एलोइम्युनाइजेशन’ नाम की प्रतिक्रिया हो सकती है, जिससे इलाज और जटिल हो जाता है।
– कुछ दुर्लभ रक्त समूह ऐसे होते हैं जो सामान्य रक्तदाताओं में 1:1000 या उससे भी कम पाए जाते हैं।
– ऐसे मरीजों को खून देना कई बार स्थानीय ब्लड बैंक के लिए संभव नहीं होता।
– और राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रक्त की खोज करनी पड़ती है।
– ICMR अब इस रजिस्ट्री को ई-रक्तकोष के साथ जोड़ना चाहता है।
– इससे भारत के सभी ब्लड बैंक इस डेटाबेस में अपने दुर्लभ रक्तदाताओं की जानकारी जोड़ सकेंगे।
– मरीजों और डॉक्टरों को पोर्टल