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– यह पहला नेपाली ग्लेशियर है, जिसे “मृत” घोषित किया गया है।
– नेपाल के लांगटांग में स्थित याला ग्लेशियर, कभी हिंदू कुश हिमालय (HKH) क्षेत्र में ग्लेशियोलॉजिकल प्रशिक्षण और क्रायोस्फीयर रिसर्च का एक प्रमुख केंद्र था।
– इसे 12 मई 2025 को वैज्ञानिकों, स्थानीय समुदायों और भिक्षुओं ने मिलकर एक भावुक स्मृति समारोह में “मृत” घोषित कर दिया है।
– स्मृति समारोह में भारत, नेपाल, भूटान, चीन समेत कई देशों से पर्यावरण विज्ञानी, ग्लेशियोलॉजिस्ट्स, ट्रैकिंग के शौकीन लोग पहुंचे।
– याला एशिया का पहला और दुनिया में तीसरा ग्लेशियर है, जिसकी याद में लेखक एंड्री स्नेर मैग्नासन के शब्दों वाली पट्टिका लगी है। इससे पहले 2019 में आइसलैंड के ओके ग्लेशियर और 2021 में मैक्सिको के अयोलोको ग्लेशियर पर स्मारक बनाए गए थे।
– शिलालेख में लिखा है: “भविष्य के लिए संदेश: याला ग्लेशियर हिंदू कुश हिमालय में 54,000 ग्लेशियरों में से एक है, जिनमें से अधिकांश इस सदी में ग्लोबल वार्मिंग के कारण गायब हो जाने की उम्मीद है। यह स्मारक यह स्वीकार करने के लिए है कि हम जानते हैं कि क्या हो रहा है और क्या करने की आवश्यकता है। केवल आप ही जानते हैं कि हमने क्या किया।”
इसलिए ‘मृत’ घोषित किया
– समुद्र तल से करीब 5,100 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद इस ग्लेशियर पर बर्फ लगातार पिघल रही है।
– इसके चलते वर्ष 1970 से अब तक यह ग्लेशियर करीब 66 फीसदी सिकुड़ चुका है।
– यह अपनी मूल स्थिति से करीब 784 मीटर पीछे हट चुका है।
– पर्यावरण विज्ञानियों का मानना है कि अब इसमें पर्याप्त बर्फ नहीं बची है, और अब दोबारा ग्लेशियर के रूप में वापस नहीं लौट सकेगा।
– वैज्ञानिकों का मानना है कि इस ग्लेशियर पर बची हुई बर्फ भी 2040 या उससे पहले ही पूरी तरह खत्म हो जाएगी।
दशकों से हो रही थी निगरानी
– याला ग्लेशियर ने 100 से अधिक ग्लेशियोलॉजिस्ट्स को प्रशिक्षण दिया और स्थल-आधारित अनुसंधान डेटा प्रदान किया।
– यह 38 ग्लेशियरों में से एक है जिनका विस्तृत मापन रिकॉर्ड है।
– इससे पहले आइसलैंड के ओक ग्लेशियर को वर्ष 2019 में और मेक्सिको के आयोलोको ग्लेशियर को 2021 में मृत घोषित किया गया था। – पर्यावरण विज्ञानी इसे जलवायु परिवर्तन के गंभीर दुष्परिणामों से जोड़कर देख रहे हैं।
– इस समारोह का समन्वय ICIMOD (इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट) ने किया।
हिमालय के ग्लेशियर सिकुड़ रहे
– हिमालय को अपने ग्लेशियरों के कारण दुनिया में सबसे बड़ा साफ पानी का भंडार माना जाता है।
– लेकिन यहां ग्लेशियर लगातार सिकुड़ते जा रहे हैं।
– वैज्ञानिकों का अनुमान है कि हिमालय में मौजूदा सदी के खत्म होने तक करीब 54,000 ग्लेशियर हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगे।
– पिछले कुछ समय में तेजी से बढ़ी ग्लोबल वार्मिंग के कारण दुनिया भर में पर्वतों की चोटियों से करीब 9 लाख ट्रिलियन बर्फ पिघल चुकी है।
राजधानी: काठमांडु
प्रधानमंत्री: खड्ग प्रसाद शर्मा ओली
राष्ट्रपति: रामचन्द्र पौडेल
आबादी: 2.97 करोड़ (2023)
मुद्रा: नेपाली रुपया
पड़ोसी देश: भारत और चीन
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