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sᴜɴᴏ
निगाहों ही निगाहों मैं
अनकही बात हो जाती है
नजर उठे तो कतल और
झुके तो हया हो जाती है
लब ए तबस्सुम जो लरजती है
गुलाब की कालिया खिलती है
जो तेज लेती है वो सांसे
बादे सबा भी मुस्कुराती है
महक सांसों की उनकी
खुशबू फैला जाती है
तेरा खयाल आते ही मेरे
चेहरे पर मुस्कान आती है
कब होगी मुलाकात तुमसे
ये सोच कर सुकून ले जाती है
यही सोच कर खुश हों जाते है
ख्वाबों मैं मुलाकात हो जाती है
irfan...✍️
BY .ৣ̶̶͜͡⃝💖शायरो۞की महफिल༊༤🌍༨༗💖🕊️🕊️🕊️🕊️
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