•?((¯°·..• कलम-ए-इश्क •..·°¯))؟•
मेरे सारे दर्द हस्ते हैं मुझ पर...
और कहते हैं
तुझे सुकून बहुत पसंद था न.....!!🥀🍂
🖊️☕𝒦𝒶𝓁𝒶𝓂-𝒜𝑒-𝐼𝓈𝒽𝓀 ☕🖊️
मेरे सारे दर्द हस्ते हैं मुझ पर...
और कहते हैं
तुझे सुकून बहुत पसंद था न.....!!🥀🍂
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•?((¯°·..• कलम-ए-इश्क •..·°¯))؟•
Yaar
जब मुझे तेरे जितना अपना मानने वाला इंसान बदल सकता है तो तेरे जितना तो मुझे कोई नहीं मानता उन से क्या ही उम्मीद करना....!!
कभी कभी तेरी बहुत याद आती है....!!
🖊️☕𝒦𝒶𝓁𝒶𝓂-𝒜𝑒-𝐼𝓈𝒽𝓀 ☕🖊️
Yaar
जब मुझे तेरे जितना अपना मानने वाला इंसान बदल सकता है तो तेरे जितना तो मुझे कोई नहीं मानता उन से क्या ही उम्मीद करना....!!
कभी कभी तेरी बहुत याद आती है....!!
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•?((¯°·..• कलम-ए-इश्क •..·°¯))؟•
तुझे मुझपे यकीन आने से रहा!
तू मुझे मोहब्बत का सच बताने से रहा!
मैंने अच्छे अच्छे दरख़्त भी झुकते देखे है,
मेरा पुराना रिश्ता मयखाने से रहा!
ज़िद की ज़िद है जिद पर भारी,
मैं अब किसी गैर के पास जाने से रहा!
इसे ही आखिरी मंजिल बना लूँगा!
अब मैं नया कारंवा बनाने से रहा!
हर ठोकर में मैं संभलता रहा हूँ,
यकीनन मेरा दुश्मन ये जमाना रहा!
बैठा हूँ मैं भी थाम हथेली तेरी,
कसम तेरी मैं भी घर जाने से रहा!
~अभि🩵
🖊️☕𝒦𝒶𝓁𝒶𝓂-𝒜𝑒-𝐼𝓈𝒽𝓀 ☕🖊️
तुझे मुझपे यकीन आने से रहा!
तू मुझे मोहब्बत का सच बताने से रहा!
मैंने अच्छे अच्छे दरख़्त भी झुकते देखे है,
मेरा पुराना रिश्ता मयखाने से रहा!
ज़िद की ज़िद है जिद पर भारी,
मैं अब किसी गैर के पास जाने से रहा!
इसे ही आखिरी मंजिल बना लूँगा!
अब मैं नया कारंवा बनाने से रहा!
हर ठोकर में मैं संभलता रहा हूँ,
यकीनन मेरा दुश्मन ये जमाना रहा!
बैठा हूँ मैं भी थाम हथेली तेरी,
कसम तेरी मैं भी घर जाने से रहा!
~अभि🩵
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•?((¯°·..• कलम-ए-इश्क •..·°¯))؟•
मुनासिब नहीं अब मेरा, तुझे मोहब्बत करना!
मैं पहले ही इश्क़ की, उम्रकैद काट रहा हूँ!
माना तेरी आँखों पर लिखें है फ़साने हज़ारों,
वक़्त रहते समझ गया, खुद को दोस्ती में बांट रहा हूँ!
~अभिराइट्स🤝❤️
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मुनासिब नहीं अब मेरा, तुझे मोहब्बत करना!
मैं पहले ही इश्क़ की, उम्रकैद काट रहा हूँ!
माना तेरी आँखों पर लिखें है फ़साने हज़ारों,
वक़्त रहते समझ गया, खुद को दोस्ती में बांट रहा हूँ!
~अभिराइट्स🤝❤️
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•?((¯°·..• कलम-ए-इश्क •..·°¯))؟•
प्यार में हमने चप्पल खाई,
उसे खिलाए समोसे-कचौरी,
जालिम सात दिन बाद बोली पापा नहीं मानेंगे,
भैया सॉरी😂😂
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प्यार में हमने चप्पल खाई,
उसे खिलाए समोसे-कचौरी,
जालिम सात दिन बाद बोली पापा नहीं मानेंगे,
भैया सॉरी😂😂
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•?((¯°·..• कलम-ए-इश्क •..·°¯))؟•
ज़िन्दगी खूबसूरत है
मुस्कुरा दीजिये
अगर कोई तंग करे तो
चमाट मार दीजिये।🤪
🖊️☕𝒦𝒶𝓁𝒶𝓂-𝒜𝑒-𝐼𝓈𝒽𝓀 ☕🖊️
ज़िन्दगी खूबसूरत है
मुस्कुरा दीजिये
अगर कोई तंग करे तो
चमाट मार दीजिये।🤪
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Forwarded from #𝔪_𝔯𝔴𝔯𝔦𝔱𝔢𝔯 (Pʀᴀsʜᴀɴᴛ)
तुम्हारे दीदार को ये आँखे तरस जाती है
सुनो मेरी जान-ए-तमन्ना
तुम्हारी फरियाद में ये बरस जाती है।।
-लफ़्ज-ए-प्रशान्त✍🏻
#m_rwriter
सुनो मेरी जान-ए-तमन्ना
तुम्हारी फरियाद में ये बरस जाती है।।
-लफ़्ज-ए-प्रशान्त✍🏻
#m_rwriter
•?((¯°·..• कलम-ए-इश्क •..·°¯))؟•
❣Repost❣
आजाद सी लगती हूँ मै,
मगर आजाद हूँ क्या मै।।
मायके में थी जब तक,
तब तक माँ कहती रही,
घर के काम किया करो
ससुराल जाकर करना यही है
घर में बड़ी भी हूँ मै,
भाई के बातो से डरती हूँ लेकिन।
घर में जो छोटी सी हूँ,
तो कहा बोल भी पाऊं मै
मन में मेरे पढ़ने की इच्छा,
पापा ने कहा अब क्या जरूरत,
इतना काफी है तुम्हारा पढ़ना लिखना
सपने देखे मैंने कई,
जीवन साथी मेरा भी हो कोई ऐसा
जो मुझको आखिर समझेगा,
सबने कहा कल लड़के वाले आ रहे,
मेरी मन की पूछी ना किसी ने,
रिश्ता पक्का कर गए सब।
मन में मेरी दब गई सांसे ,
मै चली गई खुद को देकर दिलासे।।
ससुराल में आजाद रहूंगी,
ये तो ख्वाबों मै भी ना होगा कभी
सास ससुर को अपने माँ पापा से भी ज्यादा
उनकी सेवा सत्कार किए,
फिर भी कभी उनके मन के ना काम हुए
पति जो कहते अब मेरा वो पहला धर्म बन गया,
फिर भी कभी ना पति के मन का कोई कर्म हुआ।।
घर के सारे काम काज में समय व्यतीत हुआ,
थोड़ा खाली वक्त में अगर टीवी देख लिया
तो सबको ना जाने क्यों सर दर्द हुआ
अपने ही घर में मै बन्द सी हो गई,
और देखो मै कितनी आजाद सी हो गई।।
माँ बनी जब तो लगा
जीने की एक नई उम्मीद सी आ गई,
लेकिन बच्चे के बड़े होने पर
मै ही उन पर बोझ सी बन गई।।
उनकी खुशियों की खातिर
मैंने अपना पूरा जीवन वार दिया,
और मै एक ख्वाहिश लिए कि
मै अपने बच्चो के साथ ही खाना खाऊ
बच्चो ने तो मेरा ये भी सपना भी नकार दिया।।
आजाद सी लगती हूं मै,
लेकिन आजाद हूं क्या मै।।
-लफ़्ज-ए-प्रशान्त✍🏻
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❣Repost❣
आजाद सी लगती हूँ मै,
मगर आजाद हूँ क्या मै।।
मायके में थी जब तक,
तब तक माँ कहती रही,
घर के काम किया करो
ससुराल जाकर करना यही है
घर में बड़ी भी हूँ मै,
भाई के बातो से डरती हूँ लेकिन।
घर में जो छोटी सी हूँ,
तो कहा बोल भी पाऊं मै
मन में मेरे पढ़ने की इच्छा,
पापा ने कहा अब क्या जरूरत,
इतना काफी है तुम्हारा पढ़ना लिखना
सपने देखे मैंने कई,
जीवन साथी मेरा भी हो कोई ऐसा
जो मुझको आखिर समझेगा,
सबने कहा कल लड़के वाले आ रहे,
मेरी मन की पूछी ना किसी ने,
रिश्ता पक्का कर गए सब।
मन में मेरी दब गई सांसे ,
मै चली गई खुद को देकर दिलासे।।
ससुराल में आजाद रहूंगी,
ये तो ख्वाबों मै भी ना होगा कभी
सास ससुर को अपने माँ पापा से भी ज्यादा
उनकी सेवा सत्कार किए,
फिर भी कभी उनके मन के ना काम हुए
पति जो कहते अब मेरा वो पहला धर्म बन गया,
फिर भी कभी ना पति के मन का कोई कर्म हुआ।।
घर के सारे काम काज में समय व्यतीत हुआ,
थोड़ा खाली वक्त में अगर टीवी देख लिया
तो सबको ना जाने क्यों सर दर्द हुआ
अपने ही घर में मै बन्द सी हो गई,
और देखो मै कितनी आजाद सी हो गई।।
माँ बनी जब तो लगा
जीने की एक नई उम्मीद सी आ गई,
लेकिन बच्चे के बड़े होने पर
मै ही उन पर बोझ सी बन गई।।
उनकी खुशियों की खातिर
मैंने अपना पूरा जीवन वार दिया,
और मै एक ख्वाहिश लिए कि
मै अपने बच्चो के साथ ही खाना खाऊ
बच्चो ने तो मेरा ये भी सपना भी नकार दिया।।
आजाद सी लगती हूं मै,
लेकिन आजाद हूं क्या मै।।
-लफ़्ज-ए-प्रशान्त✍🏻
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•?((¯°·..• कलम-ए-इश्क •..·°¯))؟•
कुछ बातें आराम देती हैं तो
कुछ नींदें हराम कर देती हैं...
दिन तो गुज़र जाता है
मुझे तो ये रातें परेशान कर देती हैं....!!
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दिन तो गुज़र जाता है
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•?((¯°·..• कलम-ए-इश्क •..·°¯))؟•
❣️ Repost❣️
चाय,
शायरी,
मुलाकात,
बातें,
इश्क
और फिर,
ना कटने वाली,
रातें
-लफ़्ज-ए-प्रशान्त✍🏻
❣️ ❤️
Pʀᴀsʜᴀɴᴛ Qᴜᴏᴛᴇs
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चाय,
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इश्क
और फिर,
ना कटने वाली,
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Pʀᴀsʜᴀɴᴛ Qᴜᴏᴛᴇs
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•?((¯°·..• कलम-ए-इश्क •..·°¯))؟•
तेरा हर एक झूठ
ख़ंजर सा लगता है मुझे
कभी ख़ुशी से दिल बाग़ बाग़ हुआ करता था हमारा....
वही ग़म से आज बंजर सा लगता है मुझे...!!
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तेरा हर एक झूठ
ख़ंजर सा लगता है मुझे
कभी ख़ुशी से दिल बाग़ बाग़ हुआ करता था हमारा....
वही ग़म से आज बंजर सा लगता है मुझे...!!
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लड़ाई की वज़ह तीसरा इंसान बनने लगे तो समझ लेना....
आप दोनों का रिश्ता उतना भी मज़बूत नहीं है,जितना समझ रहे थे....!!
🖊️☕𝒦𝒶𝓁𝒶𝓂-𝒜𝑒-𝐼𝓈𝒽𝓀 ☕🖊️
लड़ाई की वज़ह तीसरा इंसान बनने लगे तो समझ लेना....
आप दोनों का रिश्ता उतना भी मज़बूत नहीं है,जितना समझ रहे थे....!!
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