तेरी मर्जी से ढल जाऊं
हर बार ये मुमकिन नहीं
मेरा भी वजूद है
मैं कोई आईना नहीं...!!
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हर बार ये मुमकिन नहीं
मेरा भी वजूद है
मैं कोई आईना नहीं...!!
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मन ही मन को जानता
मन की मन से प्रीत
मन ही मनमानी करे
मन ही मन का मीत
मन झूमे
मन बावरा
मन की अद्भुत रीत
मन के हारे हार है
मन के जीते जीत...!!
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मन की मन से प्रीत
मन ही मनमानी करे
मन ही मन का मीत
मन झूमे
मन बावरा
मन की अद्भुत रीत
मन के हारे हार है
मन के जीते जीत...!!
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कहां तुम अमीर...
कहां मैं गरीब...
फ़र्क है साहब...
हमारी दुनियां में...!!
कहां मैं गरीब...
फ़र्क है साहब...
हमारी दुनियां में...!!
जा तू समझ ले की मुझे इश्क नहीं है तुझसे...
गर तू इसी बात में खुश है तो मैं मान लूंगा इसे...!!
गर तू इसी बात में खुश है तो मैं मान लूंगा इसे...!!
तेरे बाबा ने तुझको छुपा कर रखा है दुनिया से वरना
जमीन पे चांद का होना आम नहीं
मैंने देखा है जबसे तुझको
पल भर भी मुझको आराम नहीं
तेरी आंखें
तेरी आंखें
तेरी आंखें....
हाय.... सौ समन्दर को खा जाएं तेरी आंखें
तेरे नाक पे सोने का तिनका
वो तेरे कान में चांदी की बाली
तेरे हाथ में चुड़ि है कांच की
वो तेरे होंठ पे हलकी सी लाली
तुझपे सब कुछ संवरता है कैसे
बता ये जांदू तू करता है कैसे
तेरी आवाज़ सुनके जो मुझे महसूस हुआ है
क्या इसको सुकून कहते हैं
तुझको पाने की चाहत है कैसी
क्या इसको जुनून कहते हैं
खैर.... तु फलक की बिछड़ी हुई सल्तनत है शायद
तेरा हुस्न लगता इस जहां का नहीं
एक झलक में हुई तुझसे मोहब्बत
और मैं रहा का रहा का नहीं
मैं दुनिया वालों से कहूंगा की
ये फूल खुशबू झीलें वीलें सब तुम्हारा है
मेरे पास अपना एक सितारा है
और फक्त चांद के चमकने से
ये दुनिया रोशन नहीं
कुछ उसकी भी मेहरबानी हैं...!!
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जमीन पे चांद का होना आम नहीं
मैंने देखा है जबसे तुझको
पल भर भी मुझको आराम नहीं
तेरी आंखें
तेरी आंखें
तेरी आंखें....
हाय.... सौ समन्दर को खा जाएं तेरी आंखें
तेरे नाक पे सोने का तिनका
वो तेरे कान में चांदी की बाली
तेरे हाथ में चुड़ि है कांच की
वो तेरे होंठ पे हलकी सी लाली
तुझपे सब कुछ संवरता है कैसे
बता ये जांदू तू करता है कैसे
तेरी आवाज़ सुनके जो मुझे महसूस हुआ है
क्या इसको सुकून कहते हैं
तुझको पाने की चाहत है कैसी
क्या इसको जुनून कहते हैं
खैर.... तु फलक की बिछड़ी हुई सल्तनत है शायद
तेरा हुस्न लगता इस जहां का नहीं
एक झलक में हुई तुझसे मोहब्बत
और मैं रहा का रहा का नहीं
मैं दुनिया वालों से कहूंगा की
ये फूल खुशबू झीलें वीलें सब तुम्हारा है
मेरे पास अपना एक सितारा है
और फक्त चांद के चमकने से
ये दुनिया रोशन नहीं
कुछ उसकी भी मेहरबानी हैं...!!
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तेरे लबों से, तेरे माथे तक
हाथों में सने आटे तक...
फिर कांधे पर मेरा सर हो...
तुझे किसी के देखने का डर हो...
हम बेहद सुधर जाये...
तुम साथ मेरे अगर हों...!!
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हाथों में सने आटे तक...
फिर कांधे पर मेरा सर हो...
तुझे किसी के देखने का डर हो...
हम बेहद सुधर जाये...
तुम साथ मेरे अगर हों...!!
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मैं क़रीब नहीं था तो इतना बुरा लगा मुझको...
शुक्र है क़रीब नहीं था वर्ना मर जाता यार...!!
शुक्र है क़रीब नहीं था वर्ना मर जाता यार...!!
तलब कहा कहते हैं बड़े लोग इश्क को...
अकेले रह जाते हैं मगर ताउम्र इश्क को...
जो समझने में लगे थे वो कुछ नहीं समझे...
जो निभाने में व्यस्त थे वो जी गए इश्क को...!!
अकेले रह जाते हैं मगर ताउम्र इश्क को...
जो समझने में लगे थे वो कुछ नहीं समझे...
जो निभाने में व्यस्त थे वो जी गए इश्क को...!!
तू मेरा है, और मैं तुम्हारा
तुम्हारा यूं हर किसी से बातें करना
मुझे बिल्कुल पसन्द नहीं...
हां तेरी आंखें तो मुझे बहुत पसंद हैं
पर तेरी आंखों में आसूं
मुझे बिल्कुल पसन्द नहीं...!!
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तुम्हारा यूं हर किसी से बातें करना
मुझे बिल्कुल पसन्द नहीं...
हां तेरी आंखें तो मुझे बहुत पसंद हैं
पर तेरी आंखों में आसूं
मुझे बिल्कुल पसन्द नहीं...!!
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अधुरी चाहतें मेरी
अधुरी दास्तां मेरी
मेरे जज्बे अधुरे हैं
मेरी ख्वाहिश के पैमाने अधुरे हैं
मोहब्बत के मेरे होंठों पे
अफसाने अधुरे हैं
अधुरे पन की एक दुनिया
मेरे चारों तरफ हैं
फिर भी अपने दिल की सब गहराइयों के साथ
सब सच्चाइयों के साथ मैं इकरार करता हूं
मैं तुमसे प्यार करता हूं....!!
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@kuch_lamhe_zindagi_ke
अधुरी दास्तां मेरी
मेरे जज्बे अधुरे हैं
मेरी ख्वाहिश के पैमाने अधुरे हैं
मोहब्बत के मेरे होंठों पे
अफसाने अधुरे हैं
अधुरे पन की एक दुनिया
मेरे चारों तरफ हैं
फिर भी अपने दिल की सब गहराइयों के साथ
सब सच्चाइयों के साथ मैं इकरार करता हूं
मैं तुमसे प्यार करता हूं....!!
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@kuch_lamhe_zindagi_ke
वो हंसती तो बहुत है
पर कभी खुश नहीं रहती हैं...
वो बोलती तो बहुत है
मगर दिल की बात कभी नहीं कहती हैं...
उससे मिला तो पता चला मुझे
उससे मिला तो पता चला मुझे...
कि कौन है जो कहता है
कि लड़कियाँ इश्क़ के बाद बर्बाद नहीं होती हैं....
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पर कभी खुश नहीं रहती हैं...
वो बोलती तो बहुत है
मगर दिल की बात कभी नहीं कहती हैं...
उससे मिला तो पता चला मुझे
उससे मिला तो पता चला मुझे...
कि कौन है जो कहता है
कि लड़कियाँ इश्क़ के बाद बर्बाद नहीं होती हैं....
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बिन तुम्हारे क्यों लिखूँ किस पर लिखूँ।
कैसे लिखूँ या क्या लिखूँ।
आज तक कह ना सका जो,
इश्क़ में लिपटा लिखूँ...
दिल के दर्दों को लिखूँ,
बढ़ती हुई धड़कन लिखूँ।
प्यार की बातें लिखूँ,
या ज़हन की उलझन लिखूँ...!!
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कैसे लिखूँ या क्या लिखूँ।
आज तक कह ना सका जो,
इश्क़ में लिपटा लिखूँ...
दिल के दर्दों को लिखूँ,
बढ़ती हुई धड़कन लिखूँ।
प्यार की बातें लिखूँ,
या ज़हन की उलझन लिखूँ...!!
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मैं बेचैन सा लगता हूँ ,वो राहत जैसी लगती है,
मै सो जाता हूँ ख्वाबों में,वो भीतर मेरे जगती है..!!
मै हूँ जन्म जन्म का प्यासा,भरी हुई नदी वो,
मेरे विचलित मन के भीतर,वो अग्नि सी तपती है...!!
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मै सो जाता हूँ ख्वाबों में,वो भीतर मेरे जगती है..!!
मै हूँ जन्म जन्म का प्यासा,भरी हुई नदी वो,
मेरे विचलित मन के भीतर,वो अग्नि सी तपती है...!!
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गौर से देख ख़ाक तन्हा नहीं हम
साथ तेरी यादों के क़ाफ़िले चलते हैं...
ज़ख़्म मुस्कुरा के खिल उठे कल
जब दर्द के नुज़ूम दिल में उतरते हैं...!!
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साथ तेरी यादों के क़ाफ़िले चलते हैं...
ज़ख़्म मुस्कुरा के खिल उठे कल
जब दर्द के नुज़ूम दिल में उतरते हैं...!!
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तबाहियों को इतना चाहना गुनाह ही है...
मगर उस हादसे के बाद हमें सब कुबूल...!!
मगर उस हादसे के बाद हमें सब कुबूल...!!
यहां समंदर हैं की बढ़ते जा रहे हैं इश्क में...
एक तरफ हम हैं कि मरे जा रहे हर शाम...
एक वहां तुम हो जो कि भूल जाते हो हमको...
एक यहां हम हैं बिना तुम्हारे करते नहीं कोई काम...!!
एक तरफ हम हैं कि मरे जा रहे हर शाम...
एक वहां तुम हो जो कि भूल जाते हो हमको...
एक यहां हम हैं बिना तुम्हारे करते नहीं कोई काम...!!
एक वक्त बाद हमनें भी छोड़ दी उसे समझानें की बात...
अब सोचते हैं आख़िरी बार नीद आ जाए,
क्योंकि वो ज़िद्दी है, आएगा नहीं साथ...!!
अब सोचते हैं आख़िरी बार नीद आ जाए,
क्योंकि वो ज़िद्दी है, आएगा नहीं साथ...!!
फिर से अब मेरा जी भर गया है जीनेँ से...
कोई आओ फिर लगाओ मुझे सीनें से...
दो दिलासा कि ज़रूरी हैं हंसते रहना...
बुरी लगती है अंगूठी टूटे नगीनें से...
मैं क़िस्मत में नहीं मानता था पहले...
मगर मानने लगा हूं अब चंद महीने से...
सुना था बुरा करनें पर बुरा होता है...
गलत लगी ये बात आज देखा जब खुद आईने में...!!
कोई आओ फिर लगाओ मुझे सीनें से...
दो दिलासा कि ज़रूरी हैं हंसते रहना...
बुरी लगती है अंगूठी टूटे नगीनें से...
मैं क़िस्मत में नहीं मानता था पहले...
मगर मानने लगा हूं अब चंद महीने से...
सुना था बुरा करनें पर बुरा होता है...
गलत लगी ये बात आज देखा जब खुद आईने में...!!