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*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 22 मई 2024*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - चतुर्दशी शाम 06:47 तक तत्पश्चात पूर्णिमा*
*नक्षत्र - स्वाति प्रातः 07:47 तक तत्पश्चात विशाखा*
*योग- वरीयान दोपहर 12:37 तक तत्पश्चात परिघ*
*राहु काल - दोपहर 12:36 से दोपहर 02:17 तक*
*सूर्योदय - 05:56*
*सूर्यास्त - 07:17*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:31 से 05:13 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:15 मई 23 से रात्रि 12:58 मई 23 तक*
*विशेष - चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹वैशाख मास के अंतिम ३ दिन ( 20 मई से 22 मई 2024 ) महा पुण्यदायी🌹*

*🌹‘स्कंद पुराण’ के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में अंतिम ३ दिन, त्रयोदशी से लेकर पूर्णिमा तक की तिथियाँ बड़ी ही पवित्र और शुभकारक हैं । इनका नाम ‘ पुष्करिणी ’ हैं, ये सब पापों का क्षय करनेवाली हैं ।*

*🌹जो सम्पूर्ण वैशाख मास में ब्राम्हमुहूर्त में पुण्यस्नान, व्रत, नियम आदि करने में असमर्थ हो, वह यदि इन ३ तिथियों में भी उसे करे तो वैशाख मास का पूरा फल पा लेता है ।*

*🌹वैशाख मास में लौकिक कामनाओं का नियमन करने पर मनुष्य निश्चय ही भगवान विष्णु का सायुज्य प्राप्त कर लेता है ।*

*🌹जो वैशाख मास में अंतिम ३ दिन ‘गीता’ का पाठ करता है, उसे प्रतिदिन अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है ।*

*🌹जो इन तीनों दिन ‘श्रीविष्णुसहस्रनाम’ का पाठ करता है, उसके पुण्यफल का वर्णन करने में तो इस भूलोक व स्वर्गलोक में कौन समर्थ है । अर्थात् वह महापुण्यवान हो जाता है ।*

*🌹जो वैशाख के अंतिम ३ दिनों में ‘भागवत’ शास्त्र का श्रवण करता है, वह जल में कमल के पत्तों की भांति कभी पापों में लिप्त नहीं होता ।*

*🌹इन अंतिम ३ दिनों में शास्त्र-पठन व पुण्यकर्मों से कितने ही मनुष्यों ने देवत्व प्राप्त कर लिया और कितने ही सिद्ध हो गये । अत: वैशाख के अंतिम दिनों में स्नान, दान, पूजन अवश्य करना चाहिए ।*

*- ऋषिप्रसाद मई २०१३*


*🔷वायु के सर्वरोग🔷*

*👉🏻 काली मिर्च का 1 से 2 ग्राम पाउडर एवं 5 से 10 ग्राम लहसुन को बारीक पीसकर भोजन के समय घी-भात के प्रथम ग्रास में हमेशा सेवन करने से वायु रोग नहीं होता।*

*👉🏻 5 ग्राम सोंठ एवं 15 ग्राम मेथी का चूर्ण 5 चम्मच गुडुच (गिलोय) के रस में मिश्रित करके सुबह एवं रात्रि को लेने से अधिकांश वायु रोग समाप्त हो जाते हैं।*

*👉🏻यदि वायु के कारण मरीज का मुँह टेढ़ा हो गया हो तो अच्छी किस्म के लहसुन की 2 से 10 कलियों को तेल में तलकर शुद्ध मक्खन के साथ मिलाकर, बाजरे की रोटी के साथ थोड़ा नमक डालकर खाने से मरीज का मुँह ठीक हो जाता है।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 23 मई 2024*
*दिन - गुरूवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - पूर्णिमा शाम 07:22 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*नक्षत्र - विशाखा प्रातः 09:15 तक* तत्पश्चात अनुराधा*
*योग- परिघ दोपहर 12:12 तक तत्पश्चात शिव*
*राहु काल - दोपहर 02:17 से दोपहर 03:57 तक*
*सूर्योदय - 05:56*
*सूर्यास्त - 07:17*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:31 से 05:13 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:10 से दोपहर 01:03 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:15 मई 24 से रात्रि 12:58 मई 24 तक*
*व्रत पर्व विवरण - कूर्म जयंती, बुद्ध पूर्णिमा, वैशाखी पूर्णिमा*
*विशेष - पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*


*🔹वैशाखी पूनम🔹*

*वैशाख मास की पूर्णिमा की कितनी महिमा है !! इस पूर्णिमा को जो गंगा में स्नान करता है , भगवत गीता और विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करता है उसको जो पुण्य होता है उसका वर्णन इस भूलोक और स्वर्गलोक में कोई नहीं कर सकता उतना पुण्य होता है । ये बात स्कन्द पुराण में लिखी हुई है । अगर कोई विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ न कर सके तो गुरु मंत्र की १० माला जादा कर ले अपने नियम से ।*

*- श्री सुरेशानंदजी हरिद्वार , 6 मई 2012*

*🔹गुरुवार विशेष 🔹*

*🔸हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।*

*🔸गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :*

*🔸एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।*

*ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।*

*🔸फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।*

*( लोक कल्याण सेतु , अंक - ११६ )*

*🔸गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।*

*🔸गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 24 मई 2024*
*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - ज्येष्ठ*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - प्रतिपदा शाम 07:24 तक तत्पश्चात द्वितीया*
*नक्षत्र - अनुराधा प्रातः 10:10 तक* तत्पश्चात ज्येष्ठा*
*योग- शिव सुबह 11:22 तक तत्पश्चात सिद्ध*
*राहु काल - सुबह 10:57 से दोपहर 12:35 तक*
*सूर्योदय - 05:56*
*सूर्यास्त - 07:17*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:31 से 05:13 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:10 से दोपहर 01:03 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:15 मई 25 से रात्रि 12:58 मई 25 तक*
*व्रत पर्व विवरण - देवर्षि नारद जयंती*
*विशेष - प्रतिपदा के दिन कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) खाने से धन का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹स्वास्थ्य-रक्षा के सरल प्रयोग🔹*

*🔸जिनको सिरदर्द होता हो अथवा रात को ११ से २ के बीच की नींद टूटती हो, नकसीर फूटती हो, उन सबके लिए एक प्रयोग है - धनिया, आँवला और मिश्री समभाग कूटकर रख दो । १० ग्राम रात को भिगा लो, सुबह मसलकर पी लो । सुबह भिगा दो, शाम को पी लो । नींद बढ़िया आयेगी, पेट साफ रहेगा, आँखों की जलन, मासिक की अधिकता, फोड़े-फुंसी सब शांत हो जायेंगे । मूत्रदाह तथा स्वप्नदोष से भी रक्षा होगी । जिनको नकसीर की तकलीफ है (नाक फूटती है), उन लोगों के लिए भी यह प्रयोग आशीर्वादरूप है ।*

*🔸नकसीर : हरे धनिये अथवा तुलसी के रस की २-३ बूँदें नाक में डालें । सुबह-शाम त्रिफला का सेवन करें । इससे २-४ दिन में आराम होता है ।*

*🔸तरबूज खाने अथवा उसका रस पीने से भी नकसीर में आराम होता है ।*

*🔸फोड़े-फुंसियाँ : पालक, गाजर और ककड़ी तीनों मिलाकर उसका रस ले लें अथवा हरे नारियल का पानी पियें । इससे फोड़े-फुंसियाँ दूर होते हैं । भोजन में नमक कम मात्रा में लें ।*


*🔹कितना खतरनाक है टेलकम पाउडर !🔹*

*🔸आजकल सौंदर्य-प्रसाधन आदि के रूप में टेलकम पाउडर का उपयोग धडल्ले से हो रहा है । जबकि बहुत कम लोग इस बात से अवगत हैं कि इसका उपयोग करनेवालों को कई गम्भीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है । जैसे - साँसों की घरघराहट (wheezing), खाँसी, दमा, साँस लेने में तकलीफ, फेफड़ों की जलन (lung irritation), न्यूमोनिया तथा फेफड़ों से संबंधित अन्य कई समस्याएँ ।*

*🔸'जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी २०१६' में प्रकाशित हुए एक अध्ययन के अनुसार महिलाओं द्वारा जननांग क्षेत्र में टेलकम पाउडर का प्रतिदिन इस्तेमाल करने से उनमें डिम्बग्रंथि के कैंसर (ovarian cancer) का खतरा ३३% तक बढ़ जाता है । अतः इसके इस्तेमाल से सावधान !*

*🔹किन बातों से होती है लक्ष्मी की हानि🔹*

*🔸 ‘जो मलिन वस्त्र धारण करता है, दाँतों को स्वच्छ नहीं रखता, अधिक भोजन करनेवाला है, कठोर वचन बोलता है, सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय भी सोता है, वह यदि साक्षात् चक्रपाणि विष्णु हों तो उन्हें भी लक्ष्मी छोड़ देती हैं ।’ (गरुड़ पुराण : ११४.३५)*

*📖 ऋषि प्रसाद – मई २०१८ से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 25 मई 2024*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - ज्येष्ठ*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - द्वितीया शाम 06:58 तक तत्पश्चात तृतिया*
*नक्षत्र - ज्येष्ठा प्रातः 10:36 तक* तत्पश्चात मूल*
*योग- सिद्ध सुबह 10:07 तक तत्पश्चात साध्य*
*राहु काल - सुबह 09:18 से सुबह 10:57 तक*
*सूर्योदय - 05:56*
*सूर्यास्त - 07:17*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:31 से 05:13 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:10 से दोपहर 01:03 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:15 मई 26 से रात्रि 12:58 मई 26 तक*
*विशेष - द्वितीया के दिन बृहति (छोटा बैंगन, कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹युवाधन सुरक्षा (वीर्यरक्षा के उपाय)🔹*

*🔸1. सादा रहन-सहन बनायें - लाल रंग के भड़कीले एवं रेशमी कपड़े नहीं पहनो । तेल-फुलेल और भाँति-भाँति के इत्रों का प्रयोग करने से बचो । जीवन में जितनी तड़क-भड़क बढ़ेगी, इन्द्रियाँ उतनी चंचल हो उठेंगी, फिर वीर्यरक्षा तो दूर की बात है ।*

*🔸2. उपयुक्त आहार - आप स्वादलोलुप नहीं बनो । जिह्वा को नियंत्रण में रखो । क्या खायें, कब खायें, कैसे खायें और कितना खायें इसका विवेक नहीं रखा तो पेट खराब होगा, शरीर को रोग घेर लेंगे, वीर्यनाश को प्रोत्साहन मिलेगा और अपने को पतन के रास्ते जाने से नहीं रोक सकोगे ।*

*🔸3. शिश्नेन्द्रिय स्नान - शौच के समय एवं लघुशंका के समय साथ में गिलास अथवा लोटे में ठंड़ा जल लेकर जाओ और उससे शिश्नेन्द्रिय को धोया करो । कभी-कभी उस पर ठंड़े पानी की धार किया करो । इससे कामवृत्ति का शमन होता है और स्वप्नदोष नहीं होता ।*

*🔸4. उचित आसन एवं व्यायाम करो - जिसका शरीर स्वस्थ नहीं रहता, उसका मन अधिक विकारग्रस्त होता है । इसलिये रोज प्रातः व्यायाम एवं आसन करने का नियम बना लो । रोज प्रातः काल 3-4 मिनट दौड़ने और तेजी से टहलने से भी शरीर को अच्छा व्यायाम मिल जाता है । सूर्यनमस्कार 13 अथवा उससे अधिक किया करो तो उत्तम है । इसमें आसन व व्यायाम दोनों का समावेश होता है ।*

*🔸5. ब्रह्ममुहूर्त में उठो - स्वप्नदोष अधिकांशतः रात्रि के अंतिम प्रहर में हुआ करता है । इसलिये प्रातः चार-साढ़े चार बजे यानी ब्रह्ममुहूर्त में ही शैया का त्याग कर दो । जो लोग प्रातः काल देरी तक सोते रहते हैं, उनका जीवन निस्तेज हो जाता है ।*

*🔸6.दुर्व्यसनों से दूर रहो - शराब एवं बीड़ी-सिगरेट-तम्बाकू का सेवन मनुष्य की कामवासना को उद्यीप्त करता है । नशीली वस्तुओं के सेवन से फेफड़े और हृदय कमजोर हो जाते हैं, सहनशक्ति घट जाती है और आयुष्य भी कम हो जाता है ।अमरीकी डॉक्टरों ने खोज करके बतलाया है कि नशीली वस्तुओं के सेवन से कामभाव उत्तेजित होने पर वीर्य पतला और कमजोर पड़ जाता है ।*

*🔸7.सत्संग करो - आप सत्संग नहीं करोगे तो कुसंग अवश्य होगा । इसलिये मन, वचन, कर्म से सदैव सत्संग का ही सेवन करो ।*

*🔸8. शुभ संकल्प करो - दृढ़ संकल्प करने से वीर्यरक्षण में मदद होती है और वीर्यरक्षण से संकल्पबल बढ़ता है । विश्वासो फलदायकः । जैसा विश्वास और जैसी श्रद्धा होगी वैसा ही फल प्राप्त होगा । ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों में यह संकल्पबल असीम होता है । वस्तुतः ब्रह्मचर्य की तो वे जीती-जागती मुर्ति ही होते हैं ।*

*🔸9. त्रिबन्धयुक्त प्राणायाम और योगाभ्यास करो -  त्रिबन्ध करके प्राणायाम करने से विकारी जीवन सहज भाव से निर्विकारिता में प्रवेश करने लगता है । मूलबन्ध से विकारों पर विजय पाने का सामर्थ्य आता है । उड्डियानबन्ध से आदमी उन्नति में विलक्षण उड़ान ले सकता है । जालन्धरबन्ध से बुद्धि विकसित होती है ।*

*🔸10. स्त्री-जाति के प्रति मातृभाव प्रबल करो श्री रामकृष्ण परमहंस कहा करते थे : “ किसी सुंदर स्त्री पर नजर पड़ जाए तो उसमें माँ जगदम्बा के दर्शन करो । ऐसा विचार करो कि यह अवश्य देवी का अवतार है, तभी तो इसमें इतना सौंदर्य है । माँ प्रसन्न होकर इस रूप में दर्शन दे रही है, ऐसा समझकर सामने खड़ी स्त्री को मन-ही-मन प्रणाम करो । इससे तुम्हारे भीतर काम विकार नहीं उठ सकेगा ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 26 मई 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - जयेष्ठ*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - तृतीया शाम 06:06 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*नक्षत्र - मूल प्रातः 10:36 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा*
*योग- साध्य प्रातः 08:31 तक तत्पश्चात शुभ*
*राहु काल - शाम 05:38 से शाम 07:19 तक*
*सूर्योदय - 05:55*
*सूर्यास्त - 07:19*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:10 से दोपहर 01:04 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:16 मई 27 से रात्रि 12:58 मई 27 तक*
*व्रत पर्व विवरण - एकदंत संकष्ट चतुर्थी*
*विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुवृद्धि करता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔸संकष्ट चतुर्थी - 25 मई 2024🔸*

*🔸क्या है संकष्ट चतुर्थी ?*

*🔹संकष्ट चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी । संकष्ट संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’।*

*🔹इस दिन व्यक्ति अपने दुःखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति की अराधना करता है । पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी होता है । इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं । संकष्ट चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा-पाठ की जाती है ।*

*🔸संकष्ट चतुर्थी पूजा विधि🔸*

*🔹गणपति में आस्था रखने वाले लोग इस दिन उपवास रखकर उन्हें प्रसन्न कर अपने मनचाहे फल की कामना करते हैं ।*

*👉 इस दिन आप प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाएँ ।*

*👉 व्रत करने वाले लोग सबसे पहले स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहन लें । इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है और साथ में यह भी कहा जाता है कि ऐसा करने से व्रत सफल होता है ।*

*👉 स्नान के बाद वे गणपति की पूजा की शुरुआत करें । गणपति की पूजा करते समय जातक को अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए ।*

*👉 सबसे पहले आप गणपति की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें ।*

*👉 पूजा में आप तिल, गुड़, लड्डू, फूल ताम्बे के कलश में पानी, धुप, चन्दन , प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रख लें ।*

*👉 ध्यान रहे कि पूजा के समय आप देवी दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति भी अपने पास रखें । ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है ।*

*👉 गणपति को रोली लगाएं, फूल और जल अर्पित करें ।*

*👉 संकष्टी को भगवान् गणपति को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं ।*

*👉 गणपति के सामने धूप-दीप जला कर निम्लिखित मन्त्र का जाप करें ।*

*गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।*
*उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।*

*👉 पूजा के बाद आप फल फ्रूट्स आदि प्रसाद सेवन करें ।*

*👉 शाम के समय चांद के निकलने से पहले आप गणपति की पूजा करें और संकष्ट व्रत कथा का पाठ करें ।*

*👉 पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बाटें । रात को चाँद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्ट चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 27 मई 2024*
*दिन - सोमवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - जयेष्ठ*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - चतुर्थी शाम 04:53 तक तत्पश्चात पंचमी*
*नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा प्रातः 10:13 तक तत्पश्चात उत्तरा आषाढ़ा*
*योग- शुभ प्रातः 06:37 तक तत्पश्चात शुक्ल प्रातः 04.28 मई 28 तक*
*राहु काल - प्रातः 07:35 से प्रातः 09:16 तक*
*सूर्योदय - 05:55*
*सूर्यास्त - 07:19*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:10 से दोपहर 01:04 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:16 मई 28 से रात्रि 12:58 मई 28 तक*
*विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन-नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹विघ्न बाधा निवारक प्रयोग🔹*

*🔸हल्दी और चावल पीसकर उसके घोल से घर के प्रवेश द्वार पर ʹૐʹ बना दें । यह घर को बाधाओं से सुरक्षित रखने में मदद करता है । केवल हल्दी के घोल से भी ʹૐʹ लिखें तो यही फल प्राप्त होगा ।*

*🔹लक्ष्मीवर्धक प्रयोग🔹*

*🔸ʹश्री हरि... श्री हरि... श्री हरिʹ थोड़ी देर जप करें । तीन बार जपने से एक मंत्र हुआ । उत्तराभिमुख होकर इस मंत्र की 1-2 माला शांतिपूर्वक करें और चलते-फिरते भी इसका जप करें तो विशेष लाभ होगा और रोजी रोटी के साथ ही शांति, भक्ति और आनंद भी बढ़ेगा ।*

*🔸जल में गौमूत्र मिलाकर स्नान करने से पापों का नाश होता है । दही लगाकर स्नान करने से लक्ष्मी बढ़ती है । (अग्नि पुराणः 267,6,7)*

*🔸लक्ष्मी की इच्छा रखने वाले को दूध खुला नहीं छोड़ना चाहिए, ढककर रखना चाहिए ।*

*🔹स्मृति एवं स्वास्थ्य वर्धक प्रयोग : आश्रम की गौ चंदन (स्पेशल) धूपबत्ती जलाने से वातावरण ऋणायनों से समृद्ध हो जाता है और कमरा बंद करके उसके पवित्र वातावरण में प्राणायाम करने से स्मृतिशक्ति, आरोग्यशक्ति, रोगप्रतिकारक शक्ति में बढ़ोतरी होती है ।*

*🔹बोधायन ऋषि प्रणीत दरिद्रतानाशक प्रयोग🔹*

*🔸28 दिन (4 सप्ताह) तक सफेद बछड़े वाली सफेद गाय के दूध की खीर बनायें । खीर बनाते समय दूध को ज्यादा उबालना नहीं चाहिए । चावल पानी में पकायें, फिर दूध डालकर एक-दो उबाल दे दें । उस खीर का सूर्यनारायण को भोग लगायें सूर्यनारायण का स्मरण करें और खीर को देखते-देखते एक हजार बार ओंकार का जप करें । फिर स्वयं भोग लगायें । जप के प्रारम्भ में यह विनियोग बोलें – ૐकार मंत्र गायत्री छंदः अंतर्यामी ऋषि परमात्मा देवता अंतर्यामी प्रीतिअर्थे, परमात्मप्राप्ति अर्थे जपे विनियोग । इससे ब्रह्मचर्य की रक्षा होगी, तेजस्विता बढ़ेगी तथा सात जन्मों की दरिद्रता दूर होकर सुख-सम्पदा की प्राप्ति होगी ।*

*🔹पित्त की समस्याओं के लिए🔹*

*🔸मोबाइल फोन से सिरदर्द, आँखों की जलन और बहुत सारी गड़बड़ियाँ पायी गयी हैं । अत: मोबाइल का उपयोग कम करें । जिनको सिरदर्द हो या आँखों में जलन हो, मुँह में छाले हों उनको पित्त की तकलीफ है । वे सुबह मंजन करते समय एक कटोरी में ठंडा पानी लें, उसका एक कुल्ला मुँह में रखें, बाकी के पानी में एक-एक आँख डुबा के आधा-आधा, एक-एक मिनट मिचकाये फिर मुँह का पानी बाहर कुल्ला कर दें तो मस्तक में चढ़ी हुई गर्मी आँखों व दाँतों के द्वारा भी नीचे आयेगी । सुबह सूर्योदय से पूर्व स्नान करें और सर्वप्रथम अपने सिर पर पानी डालें । पहले पैरों पर पानी डालने से पैरों की गर्मी सिर पर चढ़ती हैं ।*

*लोक कल्याण सेतु – अप्रैल- मई २०२० से*

*🔹स्वास्थ्य-रक्षा के सरल प्रयोग🔹*

*🔸रक्तवृद्धि : बेल के फल को सुखा के उसके गूदे का चूर्ण बना लें । यह चूर्ण और मिश्री दूध में मिलाकर लेने से खून की बढ़ोतरी होती है । गन्ना चूसने से भी खून बढ़ता है । बीट (जो गोल-गोल और लाल होते हैं, जिसकी सब्जी बनती है) की कैंडी बना के रखें । उसका उपयोग करने से भी खून बढ़ता है ।*

*🔸शीतलता व पुष्टि के लिए : जौ, चावल गेहूँ और चने का सत्तू बना लें और इसमें ठंडा पानी मिलाकर घोल बनायें । मीठा खाना है तो मिश्री डाल दें, नमकीन खाना हो तो नमक डाल दें, जैसी मर्जी हो । थोड़ा घी मिला लें । इसे खाने से शीतलता व पुष्टि की प्राप्ति के साथ ब्रह्मचर्य की रक्षा होगी ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 28 मई 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - जयेष्ठ*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - पंचमी दोपहर 03:23 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*नक्षत्र - उत्तरा आषाढ़ा प्रातः 09:33 तक तत्पश्चात श्रवण*
*योग- ब्रह्म रात्रि 02:06 मई 29 तक तत्पश्चात इन्द्र*
*राहु काल - दोपहर 03:58 से शाम 05:39 तक*
*सूर्योदय - 05:54*
*सूर्यास्त - 07:20*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:10 से दोपहर 01:04 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:16 मई 29 से रात्रि 12:58 मई 29 तक*
*विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹स्मरणशक्ति, बुद्धि व धारणा शक्ति बढ़ाने के लिए🔹*

*🔹दिमाग को कमजोर करनेवाली आदतें🔹*

*🔸१] पर्याप्त नींद न लेना २] अधिक भोजन ३] ज्यादा तली, अधिक मिर्च- मसालेवाली चीजें व बासी भोजन खाना ४] एक समय में एक से अधिक काम में दिमाग लगाना, जैसे कि पढ़ाई करते समय गाने सुनना ५] रात को खूब जागना व सूर्योदय के बाद भी सोते रहना ६] चिंता-तनाव ७] मोबाइल फोन का अति उपयोग ८] चाय- कॉफ़ी पीना ९] रज, वीर्य नाश आदि ।*

*🔹ये गलत आदतें दिमाग को कमजोर करती हैं । इनसे बचें व नीचे दिये गये उपायों को अपनायें ।*

*🔹स्मरणशक्ति – वृद्धि व मस्तिष्क-पुष्टि के उपाय*

*👉 १] देशी गाय के शुद्ध घी से सिर पर मालिश करने से दिमाग की कमजोरी दूर होती है ।*

*👉 २] सुबह खाली पेट आँवले का मुरब्बा खाने से ह्रदय और दिमाग को शक्ति मिलती है । १- १ चम्मच आँवला रस व शहद का मिश्रण लेने से स्मृतिशक्ति बढ़ती है ।*

*👉 ३] सिर में लौकी का तेल लगाने से मस्तिष्क को शक्ति, ठंडक व विश्रांति मिलती है ।*

*👉 ४] गाय के दूध में घी मिला के पीने से स्मृतिशक्ति व बुद्धि बढ़ती है । असली गोघृत मिले तो अति उत्तम है । बाजारू पैकवाला गोघृत विश्वासयोग्य नहीं होता ।*

*👉 ५] पूज्य बापूजी से दीक्षा में प्राप्त सारस्वत्य मंत्र के जप से, भगवन्नाम के जप व ध्यान से स्मरणशक्ति , बुद्धि, निर्णयशक्ति, एकाग्रता,अनुमान शक्ति आदि के साथ सब प्रकार की योग्यताओं का अतुलनीय विकास होता है ।*

*👉 ६] रोज सूर्यनमस्कार, सर्वांगासन आदि योगासन एवं भ्रामरी प्राणायाम करने से स्वास्थ्य, बौद्धिक व स्मरण शक्ति का विकास होता है तथा हास्य-प्रयोग करने से प्रसन्नता व स्वास्थ्य का विकास होता है ।*

*👉 ७] नियोजन व विचार करके कार्य करने की आदत बनाने से बुद्धिशक्ति बढ़ती है ।*

*👉 ८] लोहे के बर्तन में भोजन करने से बुद्धि का नाश होता है (उसमें भोजन बनाना हितकारी है ) । माइक्रोवेव ओवन से बने भोजन से याददाश्त व एकाग्रता में कमी, भावनात्मक अस्थिरता और बुद्धि की हानि होने की सम्भावना रहती है । स्टील के बर्तन में बुद्धिनाश का दोष नहीं माना जाता । काँसे के पात्र बुद्धिवर्धक तथा रूचि उत्पन्न करनेवाले होते हैं ( चतुर्मास में काँसे के पात्र का उपयोग वर्जित है ) ।*

*👉 ९] रोज सिरहाने के पास गुलाब का फूल रख के सोने से स्मरणशक्ति में वृद्धि होती है व मस्तिष्क शांत रहता है । मानसिक तनाव हो तो गुलाब को नियमित रूप से सूँघने से लाभ होगा ।*

*👉 १०] नित्य सूर्योदय से पूर्व उठें । प्रात:काल वातावरण में प्राणवायु और ऋणायन प्रचुरता में होते हैं । इस समय उठ के प्राणायाम एवं पैदल सैर करने से ताजा ऑक्सिजन मिलता है । ऋणायन से शरीर, मन – मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है । जो विद्यार्थी प्रात: उठ के पढ़ते हैं उनका वह पढ़ा हुआ दिमाग की गहराई में सुरक्षित हो जाता है अर्थात लम्बे समय तक याद रहता है ।*

*👉 ११] शोधों से सिद्ध हुआ हैं कि कागज पर बनाये गये संक्षिप्त आलेखों से दिमाग तेज होता है । विद्यार्थियों को अपने संक्षिप्त आलेख कम्प्यूटर, टेबलेटस, मोबइल फोन पर बनाने के बजाय कागज पर बनाने चाहिए ।*

*👉 १२] चुस्ततापूर्वक ब्रह्मचर्य का पालन करें ।*

*🔹विशेष : संत श्री आशारामजी आश्रम व समिति के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध शंखपुष्पी सिरप, च्यवनप्राश, ब्राह्मी शरबत, तुलसी अर्क, ब्राह्मी घृत, आँवला चूर्ण आदि औषधियों के उपयोग से स्मरणशक्ति, धारणाशक्ति और एकाग्रता बढ़ाने में अदभुत लाभ होता है ।*

*📖 ऋषि प्रसाद – अप्रैल २०१८ से*   
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 29 मई 2024*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - जयेष्ठ*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - षष्ठी दोपहर 01:39 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*नक्षत्र - श्रवण प्रातः 08:38 तक तत्पश्चात धनिष्ठा*
*योग- इन्द्र दोपहर 11:34 तक तत्पश्चात वैधृति*
*राहु काल - दोपहर 12:37 से दोपहर 02:18 तक*
*सूर्योदय - 05:54*
*सूर्यास्त - 07:20*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:16 मई 30 से रात्रि 12:58 मई 30 तक*
*विशेष - षष्ठी को नीम-भक्षण (पत्ती, फल खाने या दातुन मुंह में डालने) से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 ब्रह्मचर्य-पालन के नियम 🌹*

*(ब्रह्मलीन ब्रह्मनिष्ठ स्वामी श्री लीलाशाहजी महाराज के प्रवचन से)*

*ऋषियों का कथन है कि ब्रह्मचर्य ब्रह्म-परमात्मा के दर्शन का द्वार है, उसका पालन करना अत्यंत आवश्यक है । इसलिए यहाँ हम ब्रह्मचर्य-पालन के कुछ सरल नियमों एवं उपायों की चर्चा करेंगेः*

*1. ब्रह्मचर्य तन से अधिक मन पर आधारित है । इसलिए मन को नियंत्रण में रखो और अपने सामने ऊँचे आदर्श रखो ।*

*2. आँख और कान मन के मुख्यमंत्री हैं । इसलिए गंदे चित्र व भद्दे दृश्य देखने तथा अभद्र बातें सुनने से सावधानी पूर्वक बचो ।*

*3. मन को सदैव कुछ-न-कुछ चाहिए । अवकाश में मन प्रायः मलिन हो जाता है । अतः शुभ कर्म करने में तत्पर रहो व भगवन्नाम-जप में लगे रहो ।*

*4. 'जैसा खाये अन्न, वैसा बने मन ।' - यह कहावत एकदम सत्य है । गरम मसाले, चटनियाँ, अधिक गरम भोजन तथा मांस, मछली, अंडे, चाय कॉफी, फास्टफूड आदि का सेवन बिल्कुल न करो ।*

*5. भोजन हल्का व चिकना स्निग्ध हो । रात का खाना सोने से कम-से-कम दो घंटे पहले खाओ ।*

*6. दूध भी एक प्रकार का भोजन है । भोजन और दूध के बीच में तीन घंटे का अंतर होना चाहिए ।*

*7. वेश का प्रभाव तन तथा मन दोनों पर पड़ता है । इसलिए सादे, साफ और सूती वस्त्र पहनो । खादी के वस्त्र पहनो तो और भी अच्छा है । सिंथेटिक वस्त्र मत पहनो । खादी, सूती, ऊनी वस्त्रों से जीवनीशक्ति की रक्षा होती है व सिंथेटिक आदि अन्य प्रकार के वस्त्रों से उनका ह्रास होता है ।*

*8. लँगोटी बाँधना अत्यंत लाभदायक है । सीधे, रीढ़ के सहारे तो कभी न सोओ, हमेशा करवट लेकर ही सोओ । यदि चारपाई पर सोते हो तो वह सख्त होनी चाहिए ।*

*9. प्रातः जल्दी उठो । प्रभात में कदापि न सोओ । वीर्यपात प्रायः रात के अंतिम प्रहर में होता है ।*

*10. पान मसाला, गुटखा, सिगरेट, शराब, चरस, अफीम, भाँग आदि सभी मादक (नशीली) चीजें धातु क्षीण करती हैं । इनसे दूर रहो ।*

*11. लसीली (चिपचिपी) चीजें जैसे – भिंडी, लसौड़े आदि खानी चाहिए । ग्रीष्म ऋतु में ब्राह्मी बूटी का सेवन लाभदायक है । भीगे हुए बेदाने और मिश्री के शरबत के साथ इसबगोल लेना हितकारी है ।*

*12. कटिस्नान करना चाहिए । ठंडे पानी से भरे पीपे में शरीर का बीच का भाग पेटसहित डालकर तौलिये से पेट को रगड़ना एक आजमायी हुई चिकित्सा है । इस प्रकार 15-20 मिनट बैठना चाहिए । आवश्यकतानुसार सप्ताह में एक-दो बार ऐसा करो ।*

*13. प्रतिदिन रात को सोने से ठंडा पानी पेट पर डालना बहुत लाभदायक है ।*

*14. बदहज्मी व कब्ज से अपने को बचाओ ।*

*15. सेंट, लवेंडर, परफ्यूम आदि से दूर रहो । इन्द्रियों को भड़काने वाली किताबें न पढ़ो, न ही ऐसी फिल्में और नाटक देखो ।*

*16. विवाहित हो तो भी अलग बिछौने पर सोओ ।*

*17. हर रोज प्रातः और सायं व्यायाम, आसन और प्राणायाम करने का नियम रखो ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 30 मई 2024*
*दिन - गुरूवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - जयेष्ठ*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - सप्तमी प्रातः 11:43 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*नक्षत्र - धनिष्ठा प्रातः 07:31 तक तत्पश्चात शतभिषा*
*योग- वैधृति रात्रि 08:53 तक तत्पश्चात विष्कम्भ*
*राहु काल - दोपहर 02:18 से दोपहर 03:59 तक*
*सूर्योदय - 05:54*
*सूर्यास्त - 07:21*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:10 से दोपहर 01:04 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:16 मई 31 से रात्रि 12:58 मई 31 तक*
*व्रत पर्व विवरण - कालाष्टमी, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी*
*विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ते हैं और शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔸भगवदप्राप्ति के १४ विघ्न🔸*

*👉 १) स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही ।*
*👉 २) खानपान में अनियमितता ।*
*👉 ३) साधन आदि में संदेह ।*
*👉 ४) सद्गुरु का संग या सत्संग न मिलना ।*
*👉 ५) नियमनिष्ठा न होना ।*
*👉 ६) प्रसिद्धि की चाह ।*
*👉 ७) कुतर्क ।*
*👉 ८) प्राणायाम व जप का नियम छोड़ना ।*
*👉 ९) बाहरी सुख में ही संतुष्ट होना ।*
*👉 १०) भगवान को छोड़कर संसार की तुच्छ चीजों की कामना करना ।*
*👉 ११) ब्रह्मचर्य का अभाव ।*
*👉 १२) कुसंग ।*
*👉 १३) दोष दर्शन ।*
*👉 १४) साम्प्रदायिकता ।*

*🔹रोगप्रतिरोधक शक्ति (Immunity) बढाने हेतु सशक्त उपाय 🔹*

*🔸१. जो लोग सुबह की शुद्ध हवा में प्राणायाम करते हैं उनमें प्राणबल बढ़ने से रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है और इससे कई रोगकारी जीवाणु मर जाते हैं । जो प्राणायाम के समय एवं उसके अलावा भी गहरा श्वास लेते हैं उनके फेफड़ों के निष्क्रिय पड़े वायुकोशों को प्राणवायु मिलने लगती है और वे सक्रिय हो उठते हैं । फलत: शरीर की कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है, जिससे मन प्रसन्न रहता है ।*

*🔸२. सूर्यकिरणों में अद्भुत् रोगप्रतिकारक शक्ति है । संसार का कोई वैद्य अथवा कोई मानवी उपचार उतना दिव्य स्वास्थ्य और बुद्धि की दृढ़ता नहीं दे सकता है जितना सुबह की कोमल सूर्य-रश्मियों में छुपे ओज-तेज से मिलता है । प्रात:काल सूर्य को अर्घ्य-दान, सूर्यस्नान ( सिर को कपड़े से ढककर ८ मिनट सूर्य की ओर मुख व १० मिनट पीठ करके बैठना ) और सूर्यनमस्कार करने से शरीर ह्रष्ट-पुष्ट व बलवान बनता है ।*

*🔸३. तुलसी के १-२ पौधे घर में जरूर होने चाहिए । दूसरी दवाएँ कीटाणु नष्ट करती है लेकिन तुलसी की हवा तो कीटाणु पैदा ही नही होने देती है । तुलसी के पौधे का चहुँ ओर २०० मीटर तक प्रभाव रहता है । जो व्यक्ति तुलसी के ५-७ पत्ते सुबह चबाकर पानी पीता हैं उसकी स्मरणशक्ति बढ़ती है, ब्रह्मचर्य मजबूत होता है । सैकड़ो बीमारियाँ दूर करने की शक्ति तुलसी के पत्तों में है । तुलसी के एक चुटकी बीज रात को पानी में भिगोकर सुबह पीने से आप दीर्घजीवी रहेंगे और बहुत सारी बीमारियों को भगाने में आपकी जीवनीशक्ति सक्षम एवं सबल रहेगी ।*

*🔸४. नीम के पत्ते, फल, फूल, डाली, जड़ इन पाँचों चीजों को देशी घी के साथ मिश्रित करके घर में धूप किया जाय तो रोगी को तत्काल आराम मिलता है, रोगप्रतिकारक शक्तिवर्धक वातावरण सर्जित हो जाता है ।*

*🔸५. टमाटर, फूलगोभी, अजवायन व संतरा रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाते हैं अत: भोजन में इनका उपयोग करें । हल्दी, जीरा, दालचीनी एवं धनिया का उपयोग करें । परिस्थितियों को देखते हुए अल्प मात्रा में लहसुन भी डाल सकते हैं ।*

*🔸६. १५० मि.ली. दूध में आधा छोटा चम्मच हल्दी डाल के उबालकर दिन में १-२ बार लें ।*

*🔸७. रोगप्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने हेतु प्राणदा टेबलेट, ब्राह्म रसायन, होमियो तुलसी गोलियाँ, तुलसी अर्क (१०० मि.ली. पानी में १ से ५ बूँद आयु व प्रकृति अनुसार), होमियों पॉवर केअर आदि का सेवन लाभदायी है ।*

*📖 ऋषि प्रसाद – मई २०२० से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 31 मई 2024*
*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - जयेष्ठ*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - अष्टमी प्रातः 09:38 तक तत्पश्चात नवमी*
*नक्षत्र - शतभिषा प्रातः 06:14 तक तत्पश्चात पूर्वा भाद्रपद*
*योग- विष्कम्भ शाम 06:05 तक तत्पश्चात प्रीति*
*राहु काल - प्रातः 10:57 से दोपहर 12:38 तक*
*सूर्योदय - 05:54*
*सूर्यास्त - 07:21*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:11 से दोपहर 01:04 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:16 जून 01 से रात्रि 12:59 जून 01 तक*
*व्रत पर्व विवरण - विश्व तम्बाकू निषेध दिवस*
*विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है और नवमी को लौकी खाना गौ मांस के समान त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹चेहरे की झुर्रियां व चमक बढ़ाने के लिए🔹*

*🔸चेहरे पर बुढ़ापे की झुर्रियां पड़ गयी हों तो कड़वे बादाम का तेल, सोने से पहले जरा चेहरे पर रगड़ दो तो बुढ़ापे की झुर्रियों में फायदा होता है ।*

*🔸सरसों के तेल में दही मिलाकर मलें तो भी चेहरे की झुर्रियां व चेहरे का सूखापन हट जायेगा ।*

*🔸आँख के नीचे झुर्रियां पड़ गयी हों तो दूध की ताजी मलाई वहां हलके-हलके मलने से झुर्रियां ठीक होने लगती हैं । अथवा शहद व नींबू का रस मलें ।*

*🔸नींबू का रस व ग्लिसरीन मिलाकर चेहरे पर मलें तो चेहरे की चमक बढ़ेगी ।*

*🔹मेधावी व निरोगी संतान हेतु अनुभूत प्रयोग🔹*

*🔸गर्भवती महिला रोज श्रद्धापूर्वक गाय का पूजन कर उसकी कम-से-कम एक परिक्रमा करे, उसे अपने हाथ से रोटी तथा गुड़ खिलाये और सुबह-शाम गोदुग्ध का पान करे तो निश्चित ही आनेवाली संतान फुर्तीली, सशक्त, मेधावी एवं निरोगी होगी और प्रसव भी सहज ढंग से होगा ।*

*🔸प्रसव-पीड़ा कम होगी । उपरोक्त लाभों के लिए यह प्रयोग प्रतिदिन करना अनिवार्य है । प्रतिदिन सम्भव न हो तो जितने दिन सम्भव हो करे, तब भी लाभ होगा ।*

*📖 लोक कल्याण सेतु –अक्टूबर २०१९*

*🔹धन व विद्या प्रदायक मंत्र🔹*

*🌹 श्रीहरि भगवान सदाशिव से कहते हैं : “हे रूद्र ! भगवान श्री गणेश का यह मंत्र ‘ॐ गं गणपतये नम: ।’ धन और विद्या प्रदान करनेवाला है । १०० बार इसका जप करनेवाला प्राणी अन्य लोगों का प्रिय बन जाता है ।” (गरुड़ पुराण, आचार कांड, अध्याय:१८५ )*

*वह अन्य लोगों का प्रिय तो होगा किंतु ईश्वर का प्रिय होने के लिए जपे तो कितना अच्छा !*

*ऋषि प्रसाद – मार्च २०२०*

*🔹गौमाता रोग-दोष निवारिणी🔹*

*🔸कमजोर बच्चों के लिए : अत्यधिक निर्बल, रोगी तथा सूखाग्रस्त बच्चों को गाय के थन से सीधे ही धार बच्चे के मुँह में डालें । प्रतिदिन दो-चार धार बच्चे के मुँह में डालने से बच्चे का स्वास्थ्य धीरे-धीरे ठीक होने लगेगा ।*

*🔸निर्बल तथा रोगी व्यक्तियों को गाय के धारोष्ण दूध (तुरंत निकाला गया दूध) का झाग चाट चाटकर धीरे-धीरे पीना चाहिए । इस प्रकार मात्र २० मिलिलिटर दूध पीने से ही एक लिटर दूध के बराबर लाभ मिलता है ।*

*🔸चक्कर आना तथा प्यास लगना : गोदुग्ध चक्कर आना, अधिक प्यास लगना, पुराना ज्वर, रक्त विकार आदि तकलीफों को दूर करता है तथा क्रोध को शांत करता है ।*

*🔸आँख में चमक लगना या गर्मी के कारण आँख लाल होना : वैल्डिंग की चमक से या गर्मी के दिनों में तेज धूप से कभी-कभी आँखों में चमक लग जाती है, आँखें लाल हो जाती हैं तथा दर्द करने लगती हैं । इसके निवारण के लिए गाय के दूध में फिटकरी डालकर उसे उबालें ताकि दूध फट जाय । फटे दूध का छैना साफ-स्वच्छ रूई के फाहे पर रख लें । उस छैने को फाहेसहित आँखों पर बाँधकर आराम से लेट जायें । आँखें बहुत जल्दी ठीक हो जाएँगी ।*

*🔸दुग्ध वर्जित : बासी दूध, ठंडा, खट्टा, दुर्गंधयुक्त, फटा, खराब रंग का दूध नहीं पीना चाहिए । कफ, खाँसी, अतिसार, श्वास और गैस के रोगी दूध का प्रयोग न करें । अगर करें तो बताई गई विधि और दवा के साथ ही प्रयोग करें ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 1 जून 2024*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - जयेष्ठ*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि -  नवमी प्रातः 07:24 तक तत्पश्चात दशमी*
*नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद प्रातः 03:16 जून 02 तक तत्पश्चात रेवती*
*योग- प्रीति दोपहर 03:10 तक तत्पश्चात आयुष्मान* 
*राहु काल -   प्रातः 09:18 से  प्रातः 10:57 तक*
*सूर्योदय - 05:54*
*सूर्यास्त - 07:21*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक*
* अभिजीत मुहूर्त -  दोपहर 12:11 से दोपहर 01:04 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:16 जून 02 से रात्रि 12:59 जून 02 तक*
*विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹गर्मी के प्रभाव से सुरक्षा हेतु – प्रकृति के उपहार🔹*

*🥥🫒नारियल पानी :- नारियल का पानी पित्तशामक, स्वादिष्ट, स्निग्ध और ताजगी प्रदान करनेवाला है । यह प्यास को शांत कर ग्रीष्म ऋतू की उष्णता से सुरक्षा करता है । अत: गर्मियों में नारियल पानी का सेवन विशेष लाभदायी हैं ।*

*🔸लू लगने पर नारियल पानी के साथ काला जीरा पीस के शरीर पर लेप करने से लाभ होता है ।*

*🔸प्रतिदिन नारियल खाने व नारियल पानी पीने से शारीरिक शक्ति का विकास होता है, वीर्य की तेजी से वृद्धि होती है । ( अष्टमी को नारियल न खायें । )*

*🔸मूत्र में जलन होने पर पिसा हरा धनिया तथा मिश्री नारियल पानी में मिला के पीने से जलन दूर होती है ।*

*🥒खीरा : - खीरा शरीर को शीतलता प्रदान करता है । इसमें बड़ी मात्रा में पानी और खनिज तत्त्व पाये जाते हैं ।*
*अत: इसके सेवन से शरीर में खनिज तत्त्वों का संतुलन बना रहता हैं । यह मूत्र की जलन शांत करता है एवं यकृत ( लीवर ) के लिए भी हितकारी है । खीरा भूख बढाने के साथ ही आँतों को सक्रिय करता हैं ।*

*🔸 अधिक पढने – लिखने, चित्रकला, संगणक व सिलाई का काम करने से आँखों में थकावट होने पर खीरे के दुकड़े काटकर आँखों पर रखें । इससे उनको आराम मिलता है तथा थकावट दूर होती है ।*

*🔸नींबू और खीरे का रस मिलाकर लगाने से धूप से झुलसी हुई त्वचा ठीक होती है ।*

*🍉तरबूज : ग्रीष्म ऋतू में प्यास की अधिकता से मुक्ति दिलाता है तरबूज । इसके सेवन से शरीर में लू का प्रकोप कम होता है और बेचैनी से रक्षा होती है ।*

*🔸 तरबूज के रस में सेंधा नमक और नींबू का रस मिलाकर पीने से लू से सुरक्षा होती है ।*

*🔸 गर्मी के प्रकोप से मूत्रावरोध होने पर तरबूज का रस पिलाने से मूत्र शीघ्र निष्कासित होता है ।*

*🔸तरबूज के छोटे – छोटे टुकड़ों पर थोडा – सा जीरा चूर्ण और मिश्री डाल के सेवन करने से शरीर की उष्णता दूर होती है ।*

*☘️धनिया : - धनिया ग्रीष्म ऋतू में अधिक प्यास के प्रकोप को शांत करता है ।*
*🔸१० ग्राम सूखा धनिया व ५ ग्राम आँवला चूर्ण रात को मिटटी के पात्र में १ गिलास पानी में भिगो दें । प्रात: मसलकर मिश्री मिला के छान के पियें । यह गर्मी के कारण होनेवाले सिरदर्द व मूँह के छालों में हितकर हैं । धनिया पीसकर सिर पर लेप करने से भी आशातीत लाभ होगा । इससे पेशाब की जलन, गर्मी के कारण चक्कर आना तथा उलटी होना आदि समस्याएँ दूर होती हैं ।*
*📖स्त्रोत – लोककल्याण सेतु – अप्रैल २०१६ से*

*🌹 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 🌹*

*🌹 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*

*🌹 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*

*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹*

*🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*
*📖 ऋषि प्रसाद - मई 2018 से*

*🔹अकाल मृत्यु व घर में बार बार मृत्यु होने पर🔹*

*🔸जिसे मौत का भय होता है या घर में मौतें बार-बार होती हों, तो शनिवार को "ॐ नमः शिवाय" का जप करें और पीपल को दोनों हाथों से स्पर्श करें । खाली १०८ बार जप करें तो दीर्घायुष्य का धनी होगा । अकाल मृत्यु व एक्सिडेंट आदि नहीं होगा । ऐसा १० शनिवार या २५ शनिवार करें, नहीं तो कम से कम ७ शनिवार तो जरूर करें ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 2 जून 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - जयेष्ठ*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि -  एकादशी प्रातः 02:41 जून 03 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*नक्षत्र - रेवती रात्रि 01:40 जून 03 तक तत्पश्चात अश्विनी*
*योग- आयुष्मान दोपहर 12:12 तक तत्पश्चात सौभाग्य* 
*राहु काल -   शाम 05:34 से  शाम 07:13 तक*
*सूर्योदय - 05:54*
*सूर्यास्त - 07:21*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक*
* अभिजीत मुहूर्त -  दोपहर 12:11 से दोपहर 01:04 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:16 जून 03 से रात्रि 12:59 जून 03 तक*
*⛅️व्रत पर्व विवरण - अपरा एकादशी*
*विशेष - एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*एकादशी व्रत 3 जून को रखें ।*

*🔸एकादशी व्रत के लाभ🔸*

*👉 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।*

*👉 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*

*👉 जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*

*👉 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*

*👉 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*

*👉 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*

*👉 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।*

*🔹 रविवार विशेष🔹*

*🔹 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

*🔹 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*

*🔹 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*

*🔹 रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।*

*🔹 रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*

*🔹 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।*

*🔹 रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।*

*🔹 रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 4 जून 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - ज्येष्ठ*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - त्रयोदशी रात्रि 10:01 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*नक्षत्र - भरणी रात्रि 10:35 तक तत्पश्चात कृतिका*
*योग- शोभना प्रातः 06:12 तक तत्पश्चात अतिगंड रात्रि 03.18 जून 5 तक*
*राहु काल - शाम 04:00 से शाम 05:42 तक*
*सूर्योदय - 05:54*
*सूर्यास्त - 07:23*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:29 से प्रातः 05:11 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:11 से दोपहर 01:05 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:17 जून 5 से रात्रि 12:59 जून 5 तक*
*व्रत पर्व विवरण - भौमप्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि*
*विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹मासिक शिवरात्रि : 4 जून 2024*🌹

*🌹जिस तिथि का जो स्वामी हो उस तिथि में उसकी आराधना-उपासना करना अतिशय उत्तम होता है । चतुर्दशी के स्वामी भगवान शिव है । अतः उनकी रात्रि में किया जानेवाला यह व्रत ‘शिवरात्रि' कहलाता है । प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को रात्रि में गुरु से प्राप्त हुए मंत्र का जप करें । गुरुप्रदत्त मंत्र न हो तो पंचाक्षर (नमः शिवाय) मंत्र के जप से भगवान शिव को संतुष्ट करें ।*

*🌹कर्ज मुक्ति हेतु -*

*🌹हर मासिक शिवरात्रि को सूर्यास्त के समय घर में बैठकर अपने गुरुदेव का स्मरण करके शिवजी का स्मरण करते-करते ये 17 मंत्र बोलें ! जिनके सिर पर कर्जा ज्यादा हो वो शिवजी के मंदिर में जाकर दिया जलाकर ये 17 मंत्र बोलें ! इससे कर्जे से मुक्ति मिलेगी...*

🌹1) *ॐ शिवाय नमः*
🌹2) *ॐ सर्वात्मने नमः*
🌹3) *ॐ त्रिनेत्राय नमः*
🌹4) *ॐ हराय नमः*
🌹5) *ॐ इन्द्रमुखाय नमः*
🌹6) *ॐ श्रीकंठाय नमः*
🌹7) *ॐ सद्योजाताय नमः*
🌹8) *ॐ वामदेवाय नमः*
🌹9) *ॐ अघोरहृदयाय नम:*
🌹10) *ॐ तत्पुरुषाय नमः*
🌹11) *ॐ ईशानाय नमः*
🌹12) *ॐ अनंतधर्माय नमः*
🌹13) *ॐ ज्ञानभूताय नमः*
🌹14) *ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नमः*
🌹15) *ॐ प्रधानाय नमः*
🌹16) *ॐ व्योमात्मने नमः*
🌹17) *ॐ व्यूक्तकेशात्मरूपाय नम:*

*🔸गर्मी से बचने हेतु उपाय 🔸*

*🔹 बायें नथुने से श्वास लें, ६० से ९० सेकंड श्वास अंदर रोककर गुरुमंत्र या भगवन्नाम का मानसिक जप करें और दायें नथुने से धीरे-धीरे छोड़े । ऐसा ३ से ५ बार करें । इससे कैसी भी गर्मी हो, आँखे जलती हों, चिड़चिड़ा स्वभाव हो, फोड़े-फुंसियाँ हो उनमे आराम हो जायेगा । रात को सोते समय थोडा-सा त्रिफला चूर्ण फाँक लेवें ।*

*🔹 गर्मी के दिनों में गर्मी से बचने के लिए लोग ठंडाइयाँ पीते हैं । बाजारू पेय पदार्थ, ठंडाइयाँ पीने की अपेक्षा नींबू की शिकंजी बहुत अच्छी है । दही सीधा खाना स्वास्थ्य के लिए हितकारी नहीं हैं, उसमें पानी डाल के छाछ बनाकर जीरा, मिश्री आदि डाल के उपयोग करना हितकारी होता है ।*

*🔹जिसके शरीर में बहुत गर्मी होती हो, आँखे जलती हो उसको दायीं करवट लेकर थोडा सोना चाहिए, इससे शरीर की गर्मी कम हो जायेगी । और जिसका शरीर ठंडा पड जाता हो और ढीला हो उसको बायीं करवट सोना चाहिए, इससे स्फूर्ति आ जायेगी ।*

*🔹पित्त की तकलीफ है तो पानी-प्रयोग करें (अर्थात रात का रखा हुआ आधा से डेढ़ गिलास पानी सुबह सूर्योदय से पूर्व पिया करें ) । दूसरा, आँवले का मुरब्बा लें अथवा आँवला रस व घृतकुमारी रस (Aloe Vera Juice)मिलाकर बना पेय पियें । इससे पित्त-शमन होता है ।*

*🔹वातदोष हो तो आधा चम्मच आँवला पावडर, १ चम्मच घी और १ चम्मच मिश्री मिला के सुबह खाली पेट लेने से वातदोष दूर होते है ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 5 जून 2024*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - ज्येष्ठ*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - चतुर्दशी शाम 07:54 तक तत्पश्चात अमावस्या*
*नक्षत्र - कृतिका रात्रि 09:16 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*योग- सुकर्मा रात्रि 12:36 जून 6 तक तत्पश्चात धृति*
*राहु काल - दोपहर 12:38 से दोपहर 02:20 तक*
*सूर्योदय - 05:54*
*सूर्यास्त - 07:23*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:29 से 05:11 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:17 जून 6 से रात्रि 12:59 जून 6 तक*
*व्रत पर्व विवरण - विश्व पर्यावरण दिवस*
*विशेष - चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹विश्व पर्यावरण दिवस 05 जून 2024🔹*

*🌹हमारे पूजनीय वृक्ष - आँवला🌹*

*🔹आँवला खाने से आयु बढ़ती है । इसका रस पीने से धर्म का संचय होता है और रस को शरीर पर लगाकर स्नान करने से दरिद्रता दूर होकर ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ।*

*🔹जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।*

*🔹मृत व्यक्ति की हड्डियाँ आँवले के रस से धोकर किसी भी नदी में प्रवाहित करने से उसकी सदगति होती है ।*
*(स्कंद पुराण, वैष्णव खंड, का.मा. 12.75)*

*🔹प्रत्येक रविवार, विशेषतः सप्तमी को आँवले का फल त्याग देना चाहिए । शुक्रवार, प्रतिपदा, षष्ठी, नवमी, अमावस्या और सक्रान्ति को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*

*🔹आँवला-सेवन के बाद 2 घंटे तक दूध नहीं पीना चाहिए ।*

*🔸बेल (बिल्व)🔸*

*🔹स्कंद पुराण के अनुसार रविवार और द्वादशी के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।*

*🔹जिस स्थान में बिल्ववृक्षों का घना वन है, वह स्थान काशी के समान पवित्र है ।*

*🔹बिल्वपत्र छः मास तक बासी नहीं माना जाता ।*

*🔹चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रान्ति और सोमवार को तथा दोपहर के बाद बिल्वपत्र न तोड़ें ।*

*🔹40 दिन तक बिल्ववृक्ष के सात पत्ते प्रतिदिन खाकर थोड़ा पानी पीने से स्वप्न दोष की बीमारी से छुटकारा मिलता है ।*
*🔹घर के आँगन में बिल्ववृक्ष लगाने से घर पापनाशक और यशस्वी होता है । बेल का वृक्ष उत्तर-पश्चिम में हो तो यश बढ़ता है, उत्तर-दक्षिण में हो तो सुख शांति बढ़ती है और बीच में हो तो मधुर जीवन बनता है ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 6 जून 2024*
*दिन - गुरूवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - ज्येष्ठ*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - अमावस्या शाम 06:07 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*नक्षत्र - रोहिणी रात्रि 08:16 तक तत्पश्चात मृगशिरा*
*योग- धृति रात्रि 10:09 तक तत्पश्चात शूल*
*राहु काल - दोपहर 02:20 से शाम 04:01 तक*
*सूर्योदय - 05:53*
*सूर्यास्त - 07:24*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:29 से 05:11 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:12 से दोपहर 01:06 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:18 जून 7 से रात्रि 12:59 जून 7 तक*
*व्रत पर्व विवरण - वट सावित्री व्रत, दर्श अमावस्या, शनि जयंती, रोहिणी व्रत*
*विशेष - अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 दर्श अमावस्या : 6 जून 2024🌹*

*🌹1. जिनको पैसो की कमजोरी है वह तुलसी माता की 108 प्रदिक्षणा करें । और श्री हरि..., श्री हरि..., श्री हरि..., मंत्र जप करें । 'श्री' माना सम्पदा, 'हरि' माना भगवान की दया पाना । तो गरीबी चली जायेगी । - पूज्य बापूजी*

*🌹2. इस दिन भी मौन रहकर स्नान करने से हजार गौदान का फल होता है ।*

*🌹3. इस दिन पीपल और भगवान विष्णु का पूजन तथा उनकी 108 प्रदक्षिणा करने का विधान है । 108 में से 8 प्रदक्षिणा पीपल के वृक्ष को कच्चा सूत लपेटते हुए की जाती है । प्रदक्षिणा करते समय 108 फल पृथक रखे जाते हैं । बाद में वे भगवान का भजन करने वाले ब्राह्मणों या ब्राह्मणियों में वितरित कर दिये जाते हैं । ऐसा करने से संतान चिरंजीवी होती है ।*

*🌹4. जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरे का अन्न खाता है उसका महीने भर का किया हुआ पुण्य दूसरे को (अन्नदाता को) मिल जाता है ।*
*(स्कंद पुराण, प्रभास खं. 207.11.13)*

*🌹5. अमावस्या के दिन पेड़-पौधों से फूल-पत्ते, तिनके आदि नहीं तोड़ने चाहिए, इससे ब्रह्महत्या का पाप लगता है ! (विष्णु पुराण)*

*🌹6. अमावस्या के दिन खेती का काम न करें, न मजदूर से करवाएं ।*

*🌹7. अमावस्या के दिन श्रीमद्भगवद्गीता का सातवाँ अध्याय पढ़ें और उस पाठ का पुण्य अपने पितरों को अर्पण करें । सूर्य को अर्घ्य दें और प्रार्थना करें । आज जो मैंने पाठ किया मेरे घर में जो गुजर गए हैं, उनको उसका पुण्य मिल जाए । इससे उनका आर्शीवाद हमें मिलेगा और घर में सुख-सम्पत्ति बढ़ेगी ।*

*🔹गरीबी भगाने का शास्त्रीय उपाय🔹*

*🌹गरीबी है, बरकत नहीं है, बेरोजगारी ने गला घोंटा है तो फिक्र न करो । हर अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें ।*

*🔹सामग्री : १. काले तिल २. जौ ३. चावल ४. गाय का घी ५. चंदन पाउडर ६. गूगल ७. गुड़ ८. देशी कपूर एवं गौ चंदन या कण्डा ।*

*🌹विधि: गौ चंदन या कण्डे को किसी बर्तन में डालकर हवन कुण्ड बना लें, फिर उपरोक्त ८ वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये मंत्रों से ५ आहुति दें ।*
*आहुति मंत्र*
*🌹 १. ॐ कुल देवताभ्यो नमः*
*🌹 २. ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः*
*🌹 ३. ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः*
*🌹 ४. ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः*
*🌹 ५. ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः*

*🌹इस प्रयोग से थोड़े ही दिनों में स्वास्थ्य, समृद्धि और मन की प्रसन्नता दिखायी देगी ।*
*🌹- पूज्य बापूजी🌹*

*🔹आरोग्यप्रदायक - सूर्य मन्त्र🔹*

*ॐ नमोऽस्तु दिवाकराय अग्नि तत्वप्रवर्धकाय शमय शमय शोषय शोषय अग्नितत्वं समतां कुरु कुरु ॐ ।*

*🔸गर्मी से उत्पन्न शारीरिक रोग, बुद्धि की विकलता ( उन्माद ,पागलपन ) अथवा दुर्बलता, दृष्टि-रोग, अग्नि- तत्व की बिषमता, शरीर में जलन आदि हो तो इनके निवारण के लिए सूर्य मन्त्र हैं । किसी भी अमावस्या को 40 बार जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता हैं । - पूज्य बापूजी*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 7 जून 2024*
*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - ज्येष्ठ*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - प्रतिपदा शाम 04:44 तक तत्पश्चात द्वितीया*
*नक्षत्र - मृगशिरा शाम 07:43 तक तत्पश्चात आर्द्रा*
*योग- शूल रात्रि 08:05 तक तत्पश्चात गण्ड*
*राहु काल - प्रातः 10:57 से दोपहर 12:39 तक*
*सूर्योदय - 05:53*
*सूर्यास्त - 07:24*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:29 से 05:11 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:12 से दोपहर 01:06 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:18 जून 8 से रात्रि 01:00 जून 8 तक*
*विशेष - प्रतिपदा को कुष्मांड (कुम्हड़ा, पेठा) न खायें क्योंकि यह धन का नाश करनेवाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🍍गर्मिशामक, शक्तिप्रदायक व स्वास्थ्यरक्षक अनन्नास पेय🍍*

*🔹ग्रीष्म ऋतु में शरीर में जलीय अंश की कमी तथा दुर्बलता, थकान, जठराग्नि की मंदता आदि समस्याएँ होती हैं । इनसे सुरक्षित रखेगा अनन्नास पेय ।*

*🔹आयुर्वेदानुसार अनन्नास मधुर, स्निग्ध, रुचिकर, शीतल, बलवर्धक, रक्तपित्त व वात-पित्त शामक, हृदय के लिए हितकर, पाचनशक्तिवर्धक तथा मूत्र खुलकर लानेवाला है ।*

*🔹इसमें कैल्शियम, मैग्नेशियम, फॉस्फोरस जैसे अनेक खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं । हड्डियों तथा उत्तकों ( टिश्यू ) के विकास में सहायक मैंगनीज भी प्रचुर मात्रा में होता है । विटामिन सी की प्रचुरता होने से यह रोगप्रतिरोधक शक्ति बढ़ाता है ।*

*🔹यह भोजन में से लौह तत्व के अवशोषण को बढ़ाता है, जिससे खून की कमी दूर होती है । आधुनिक अनुसंधान के अनुसार यह टी.बी. में भी फायदेमंद है । यह आँतों की कीड़ों से रक्षा करता है तथा आँतों एवं गुर्दों (kidneys) को साफ रखता है । यह शरीर में से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है, जिससे चयापचय ठीक होता है ।*

*🔹स्वास्थ्य-समस्याओं में :🔹*

*🔅 पेशाब-संबंधी समस्या हो तो 100 मि.ली. अनन्नास पेय में 4 - 5 ग्राम गुड़ मिलाकर पियें ।*

*🔅 पीलिया हो तो 100 मि.ली. पेय में 2 ग्राम हल्दी का चूर्ण व 3 ग्राम मिश्री मिलाकर पियें ।*

*🔅 पाचन के समस्या हो तो 100 मि.ली. पेय में 1 - 2 ग्राम सेंधा नमक और 2 - 3 चुटकी काली मिर्च का चूर्ण मिला के पियें ।*

*🔅 अतः बेहतरीन स्वाद व पौष्टिकता से भरपूर अनन्नास पेय का ग्रीष्म ऋतु में अवश्य लाभ लें । यह आश्रम में व समितियों के सेवाकेंद्र से प्राप्त हो सकता है । ताजा अनन्नास ले के घर में बनायें तो अति उत्तम है ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 8 जून 2024*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - ज्येष्ठ*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - द्वितीया दोपहर 03:55 तक तत्पश्चात तृतीया*
*नक्षत्र - आर्द्रा रात्रि 07:42 तक तत्पश्चात पुनर्वसु*
*योग- गण्ड शाम 06:27 तक तत्पश्चात वृद्धि*
*राहु काल - प्रातः 09:16 से प्रातः 10:58 तक*
*सूर्योदय - 05:53*
*सूर्यास्त - 07:24*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:11 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:12 से दोपहर 01:06 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:18 जून 9 से रात्रि 01:00 जून 9 तक*
*विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹बल, बुद्धि व पुष्टि दायक कद्दू के बीज*

*पका हुआ कद्दू (कुम्हड़ा या पेठा) त्रिदोषशामक एवं अमृत के समान है । इसके बीज बादाम के समान गुणकारी है । ये पौष्टिक, बल-वीर्यवर्धक, धारणाशक्ति बढ़ानेवाले, मस्तिष्क को शांत करनेवाले व कृमिनाशक है । इनमें जिंक प्रचुर मात्रा में पाया जाता है । इन्हें धीमी आँच पर सेंककर अथवा मिठाई, ठंडाई, सब्जी या अन्य व्यंजनों में डाल के भी खा सकते है ।*

*इनको पीस के दूध में एक चम्मच मिला के भी सेवन कर सकते हैं ।*

*🔹कद्दू-बीज के ढेरों लाभ🔹*

*👉 (१) हृदय के लिए : कद्दू के बीज का प्रतिदिन सेवन करने से शरीर में मैग्नेशियम की कमी पूरी होती है । इससे हृदय तंदुरुस्त रहता है और रक्तचाप (B.P.) भी नियंत्रण में रहता है ।*

*👉 (२) रोगप्रतिकारक शक्तिवर्धक : इनमें पाया जानेवाला जिंक रोगों से लड़ने की शक्ति को बढ़ाता है ।*

*👉 (३) वीर्य वृद्धि के लिए : कद्दू के बीज वीर्यवर्धक होने से पुरुषों के लिए इनका सेवन लाभकारी है ।*

*👉 (४) नींद लाने हेतु : नींद न आने की समस्या हो तो सोने से पहले कद्दू के बीज दूध के साथ सेवन करने से तनाव कम होता है और नींद अच्छी आती है ।*

*👉 (५) बल-बुद्धि बढ़ाने के लिए : कद्दू को उबालकर घी में सेंक के हलवा बनायें । इसमें कद्दू के सेंके हुए बीज डालकर खायें ।*

*🔹विशेष : प्राय: सूखे मेवे गर्म तासीर के होते हैं जबकि कद्दू के बीज की तासीर ठंडी होती है । अतः इन्हें सभी ऋतुओं में खाया जा सकता है ।*

*🔹सेवन-मात्रा : १५ से २० बीज अथवा बीजों का १-२ ग्राम चूर्ण । कद्दू के बीज पचने में भारी होने से इन्हें अधिक मात्रा में न लें ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 9 जून 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - ज्येष्ठ*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - तृतीया दोपहर 03:44 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*नक्षत्र - पुनर्वसु रात्रि 08:20 तक तत्पश्चात पुष्य*
*योग- वृद्धि शाम 05:21 तक तत्पश्चात ध्रुव*
*राहु काल - शाम 05:43 से शाम 07:25 तक*
*सूर्योदय - 05:53*
*सूर्यास्त - 07:24*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:12 से दोपहर 01:06 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:18 जून 10 से रात्रि 01:00 जून 10 तक*
*व्रत पर्व विवरण - महाराणा प्रताप जयंती, छत्रसाल जयंती, रविपुष्यअमृत योग*
*विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रु वृद्धि करता है (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*


*🔹गर्मियों में खरबूजा सेवन से स्वास्थ्य लाभ*

*🔸खरबूजा गर्मियों का एक गुणकारी फल है। यह शरीर में पानी की कमी को दूर करता है और उसे तरोताजा बनाये रखता है। खरबूजा सेहत से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में मददगार है। यह विटामिन्स का अच्छा स्रोत है।*

*🔸आयुर्वेद के अनुसार खरबूजा स्निग्ध, शीतल, बल-वीर्यवर्धक, पेट एवं आंतों की शुद्धि करनेवाला तथा वायु व पित्त शामक होता है। इसके बीज शीतल, मूत्रजनक व बलवर्धक होते हैं।*

*🔸खरबूजा हृदयरोग, उच्च रक्तचाप (हाई बी.पी.) और रक्त-संचारसंबंधी रोगों में लाभकारी है। शारीरिक श्रम के बाद इसे खाने से थकान दूर होती है और तृप्ति मिलती है । खरबूजे के सेवन से पेशाब खुलकर आता है व पेशाब की मात्रा भी बढ़ती है। अतः यह पथरी व गुर्दे संबंधी रोगों को ठीक करने में मदद करता है। आंतों में चिपके मल को बाहर निकालता है। आँखों व त्वचा को स्वस्थ रखता है। यह नेत्रज्योति व रोगप्रतिरोधकता को बढ़ाता है।*

*🔸खरबूजे के छिलके रहित बीजों को बारीक पीस के देशी घी में भून लें। इसमें मिश्री मिला के खाने से चक्कर आना, पागलपन, सुस्ती, आलस्य आदि विकारों में लाभ होता है।*

*🔸सावधानियाँ : 1. खरबूजे को ठंडा करके संतुलित मात्रा में खायें। ज्यादा मात्रा में सेवन हानिकारक है।*

*2. खरबूजे को किसी अन्य आहार के साथ न खायें। खट्टे, खारे रसवाले तथा रासायनिक ढंग से पके खरबूजे का सेवन न करें।*

*3. सुबह खाली पेट खरबूजा न खायें । इसे खाने के बाद तुरंत पानी न पियें।*


*🔹घरेलु सात्त्विक शिशु आहार (Baby Food)*

*🔸आजकल बालकों को दूध के आलावा बाजारू बेबीफूड (फँरेक्स आदि) खिलाने की रीति चल पड़ी है। बेबीफूड बनाने की प्रक्रिया में अधिकांश पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं, कई बार कृत्रिम रूप से वापस मिलाये जाते हैं, जिसे बालकों की आंतें अवशोषित नही कर पाती। बेबीफूड का मुख्य घटक अतिशय महीन पिसा हुआ गेहूँ का आटा है, जो चिकना होने के कारण आंतों में चिपक जाता है। आटा पीसने के बाद एक हप्ते में ही गुणहीन हो जाता है जबकि बेबीफूड तैयार होने के बाद हाथ में आने तक तो कई हफ्ते गुजर जाते हैं। ऐसे हानिकारक बेबीफूड की अपेक्षा शिशुओं के लिए ताजा, पौष्टिक व सात्त्विक खुराक परम्परागत रीति से हम घर में ही बना सकते हैं।*

*🔸विधि : १ कटोरी चावल (पुराने हो तो अच्छा), २ - २ चम्मच मूँग की दाल व गेंहूँ – इन सबको साफ करके धोकर छाँव में अच्छी तरह से सुखा लें। धीमी आँच पर अच्छे – से सेंक लें। मिक्सर में महीन पीस के छान लें। ३ – ४ माह के बालक के लिए शुरुआत में आधा कप पानी में आधा छोटा चम्मच मिलाकर पका लें। थोडा–सा सेंधा नमक डालकर पाचनशक्ति अनुसार दिन में एक या दो बार दे सकते हैं। धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाते जायें। बालक बड़ा होने पर इसमें उबली हुई हरी सब्जियाँ, पिसा जीरा, धनिया भी मिला सकते हैं। हर ७ दिन बाद ताजा खुराक बना लें।*

*🔸यह स्वादिष्ट व पचने में अतिशय हल्का होता है। साथ ही शारीरिक विकास के लिए आवश्यक प्रोटीन्स, खनिज व कार्बोहाइड्रेटस की उचित मात्रा में पूर्ति करता है।*

*लोक कल्याण सेतु – नवम्बर २०१३*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 10 जून 2024*
*दिन - सोमवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - ज्येष्ठ*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - चतुर्थी शाम 04:14 तक तत्पश्चात पंचमी*
*नक्षत्र - पुनर्वसु रात्रि 09:40 तक तत्पश्चात अश्लेषा*
*योग- ध्रुव शाम 04:48 तक तत्पश्चात व्याघात*
*राहु काल - प्रातः 07:35 से प्रातः 09:16 तक*
*सूर्योदय - 05:54*
*सूर्यास्त - 07:25*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:12 से दोपहर 01:06 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:18 जून 11 से रात्रि 01:00 जून 11 तक*
*व्रत पर्व विवरण - विनायक चतुर्थी, गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस*
*विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन-नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔷सिर व बालों की समस्याओं से बचने हेतु🔷*

*🔸सर्वांगासन ठीक ढंग से करते रहने से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं, बाल झड़ने बंद हो जाते हैं और जल्दी सफेद नहीं होते अपितु काले, चमकीले और सुंदर बन जाते हैं । आँवले का रस कभी – कभी बालों की जड़ों में लगाने से उनका झड़ना बंद हो जाता है । ( सर्वांगासन की विधि आदि पढ़े आश्रम से प्रकाशित पुस्तक ‘योगासन’ के पृष्ठ १५ पर । )*

*🔸युवावस्था से ही दोनों समय भोजन करने के बाद वज्रासन में बैठकर दो – तीन मिनट तक लकड़ी की कंघी सिर में घुमाने से बाल जल्दी सफेद नहीं होते तथा बाल और मस्तिष्क की पीड़ा संबंधी रोग नहीं होते । सिरदर्द दूर होकर मस्तिष्क बलवान बनता है । बालों का जल्दी गिरना, सिर की खुजली व गर्मी आदि रोग दूर होने में सहायता मिलती है । गोझरण अर्क में पानी मिलाकर बालों को मलने से वे मुलायम, पवित्र, रेशम जैसे हो जाते हैं । घरेलू उपाय बाजारू चीजों से सात्त्विक, सचोट और सस्ते हैं ।*
*स्त्रोत – ऋषिप्रसाद –जून २०१६ से*

*🔹प्यास व भूख लगने पर..*

*प्यास लगे तो जल पियें, भूख तो भोजन खायें ।*
*भ्रमण करे नित भोर में, ता घर वैद्य न जायें ।।*

*जो सदा प्यास लगने पर ही पानी पीता है, भूख लगने पर ही भोजन करता है और नियमितरुप से प्रात:काल में भ्रमण करता है, उसके घर वैद्य नहीं जाते, अर्थात वह स्वस्थ्य रहता है ।*

*ऋषिप्रसाद – दिसम्बर २०२० से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 11 जून 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - ज्येष्ठ*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - पंचमी शाम 05:27 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*नक्षत्र - अश्लेषा रात्रि 11:39 तक तत्पश्चात मघा*
*योग- व्याघात शाम 04:47 तक तत्पश्चात हर्षण*
*राहु काल - शाम 04:02 से शाम 05:44 तक*
*सूर्योदय - 05:54*
*सूर्यास्त - 07:25*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:12 से दोपहर 01:07 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:19 जून 12 से रात्रि 01:00 जून 12 तक*
*व्रत पर्व विवरण - स्कंद षष्ठी*
*विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔸आहार-सम्बन्धी कुछ आवश्यक नियम🔸*

*🔹१-सदैव अपने कार्य के अनुसार आहार लेना चाहिये। यदि आपको कठोर शारीरिक परिश्रम करना पड़ता है तो अधिक पौष्टिक आहार लेवें। यदि आप हलका शारीरिक परिश्रम करते हैं तो हलका सुपाच्य आहार लेवें।*

*🔷२-प्रतिदिन निश्चित समय पर ही भोजन करना चाहिये।*

*🔷३-भोजन को मुँह में डालते ही निगले नहीं, बल्कि खूब चबाकर खायें, इससे भोजन शीघ्र पचता है।*

*🔷४-भोजन करने में शीघ्रता न करें और न ही बातों में व्यस्त रहें।*

*🔷५-अधिक मिर्च-मसालों से युक्त तथा चटपटे और तले हुए खाद्य पदार्थ न खायें। इससे पाचन-तन्त्र के रोग विकार उत्पन्न होते हैं।*

*🔷६-आहार ग्रहण करने के पश्चात् कुछ देर आराम अवश्य करें।*

*🔷७-भोजन के मध्य अथवा तुरंत बाद पानी न पीयें। उचित तो यही है कि भोजन करने के कुछ देर बाद पानी पिया जाय, किंतु यदि आवश्यक हो तो खाने के बाद बहुत कम मात्रा में पानी पी लेवें और इसके बाद कुछ देर ठहर कर ही पानी पीयें।*

*🔷८-ध्यान रखें, कोई भी खाद्य पदार्थ बहुत गरम या बहुत ठंडा न खायें और न ही गरम खाने के साथ या बाद में ठंडा पानी पीयें।*

*🔷९-आहार लेते समय अपना मन-मस्तिष्क चिन्तामुक्त रखें।*

*🔷१०-भोजन के बाद पाचक चूर्ण या ऐसा ही कोई भी अन्य औषध-पदार्थ सेवन करने की आदत कभी न डालें। इससे पाचन-शक्ति कमजोर हो जाती है।*

*🔷११-भोजनोपरान्त यदि फलों का सेवन किया जाय तो यह न केवल शक्तिवर्द्धक होता है, बल्कि इससे भोजन शीघ्र पच भी जाता है।*

*🔷१२-जितनी भूख हो, उतना ही भोजन करें। स्वादिष्ठ पकवान अधिक मात्रा में खाने का लालच अन्ततः अहितकर होता है।*

*🔷१३-रात्रि के समय दही या लस्सी का सेवन न करें।*
2024/06/11 11:58:56
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