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Current Adda ️- करेंट अफेयर्स Current Affairs in Hindi प्रश्न Quiz Questions Online करंट Series Mock Tests SSC UPSC Railway Bank » Telegram Web
विजय रूपाणी (पूर्व मुख्यमंत्री)
– जन्म 2 अगस्त 1956 को म्यांमार (बर्मा) में हुआ। बाद में भारत आए।
– 1987 में राजकोट नगर निगम के सदस्य चुने गए।
– 1996 से 1997 तक राजकोट के मेयर के रूप में कार्य किया।
– 2006 से 2012 तक गुजरात का प्रतिनिधित्व करते हुए राज्यसभा में संसद सदस्य चुने गए।
– 2014 में उन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव जीता
– वह 2016 से 2021 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे।
गुजरात
– सीएम – भूपेंद्र भाई पटेल
– गवर्नर – आचार्य देवव्रत
– राजधानी – गांधीनगर
– जन्म 2 अगस्त 1956 को म्यांमार (बर्मा) में हुआ। बाद में भारत आए।
– 1987 में राजकोट नगर निगम के सदस्य चुने गए।
– 1996 से 1997 तक राजकोट के मेयर के रूप में कार्य किया।
– 2006 से 2012 तक गुजरात का प्रतिनिधित्व करते हुए राज्यसभा में संसद सदस्य चुने गए।
– 2014 में उन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव जीता
– वह 2016 से 2021 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे।
गुजरात
– सीएम – भूपेंद्र भाई पटेल
– गवर्नर – आचार्य देवव्रत
– राजधानी – गांधीनगर
संघर्ष में यौन हिंसा उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस कब मनाया जाता है?
Anonymous Quiz
13%
21 जून
37%
20 जून
42%
19 जून
7%
18 जून
– संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 19 जून, 2015 को इस दिवस को मनाने की घोषणा की थी।
– संघर्ष से संबंधित यौन हिंसा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए यह दिन मनाया जाता है।
– संघर्ष से संबंधित यौन हिंसा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए यह दिन मनाया जाता है।
देश के पहले एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASW-SWC) का नाम बताएं, जिसे जून 2025 में इंडियन नेवी में शामिल किया गया?
Anonymous Quiz
28%
INS अर्णाला
28%
INS सूरत
36%
INS नीलगिरि
8%
INS वाघशीर
– भारत के पहले पनडुब्बी रोधी युद्ध पोत INS अर्नाला को 18 जून 2025 को विशाखापत्तनम स्थित नौसेना डॉकयार्ड में भारतीय नौसेना की पूर्वी नौसेना कमान में शामिल किया गया।
– कार्यक्रम में चीफ गेस्ट CDS जनरल अनिल चौहान मौजूद रहे।
– महाराष्ट्र के वसई के ऐतिहासिक अर्णाला किले के नाम पर इसे यह नाम दिया गया है।
– INS अर्णाला जैसे कुल 16 एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASW-SWC) इंडियन नेवी के पास होंगे। इनमें से पहला INS अर्णाला है।
– आईएनएस अर्नाला से शुरू होने वाले 16 एएसडब्लू-एसडब्ल्यूसी श्रेणी के जहाजों को शामिल करने से “नौसेना की पनडुब्बी रोधी युद्ध स्थिति में बदलाव आएगा, तटीय रक्षा मजबूत होगी और हिंद महासागर क्षेत्र में एक सक्षम और आत्मनिर्भर समुद्री शक्ति के रूप में भारत की स्थिति मजबूत होगी।”
INS अर्णाला के बारे में
– यह जहाज हिंद महासागर में उथले पानी में दुश्मन पनडुब्बियों का पता लगाने, ट्रैक और डिएक्टिवेट करेगा।
– यह जहाज 30 मीटर से कम गहराई वाले तटीय जल में छोटी या छोटी पनडुब्बियों और छोटे यूयूवी (मानवरहित अंडरवाटर व्हीकल्स) का पता लगाने और उन्हें निशाना बनाने में सक्षम होगा। आईएनएस अर्नाला इन लक्ष्यों के खिलाफ तैनाती के लिए आदर्श होगा। नोट – भारी युद्धपोत उथले पानी में अर्नाला श्रेणी के युद्धपोतों की तरह स्वतंत्रतापूर्वक संचालन नहीं कर सकते।
– मेसर्स गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) कोलकाता और मेसर्स L&T शिपबिल्डर्स के साथ पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के तहत डिजाइन और बनाया गया।
– इसकी लंबाई 77.6 मीटर और वजन 900 टन है।
– इसकी क्रू क्षमता 57 (नाविक) है।
– स्पीड 25 नॉटस तक लगभग 46 किमी/ घंटा है।
– कार्यक्रम में चीफ गेस्ट CDS जनरल अनिल चौहान मौजूद रहे।
– महाराष्ट्र के वसई के ऐतिहासिक अर्णाला किले के नाम पर इसे यह नाम दिया गया है।
– INS अर्णाला जैसे कुल 16 एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASW-SWC) इंडियन नेवी के पास होंगे। इनमें से पहला INS अर्णाला है।
– आईएनएस अर्नाला से शुरू होने वाले 16 एएसडब्लू-एसडब्ल्यूसी श्रेणी के जहाजों को शामिल करने से “नौसेना की पनडुब्बी रोधी युद्ध स्थिति में बदलाव आएगा, तटीय रक्षा मजबूत होगी और हिंद महासागर क्षेत्र में एक सक्षम और आत्मनिर्भर समुद्री शक्ति के रूप में भारत की स्थिति मजबूत होगी।”
INS अर्णाला के बारे में
– यह जहाज हिंद महासागर में उथले पानी में दुश्मन पनडुब्बियों का पता लगाने, ट्रैक और डिएक्टिवेट करेगा।
– यह जहाज 30 मीटर से कम गहराई वाले तटीय जल में छोटी या छोटी पनडुब्बियों और छोटे यूयूवी (मानवरहित अंडरवाटर व्हीकल्स) का पता लगाने और उन्हें निशाना बनाने में सक्षम होगा। आईएनएस अर्नाला इन लक्ष्यों के खिलाफ तैनाती के लिए आदर्श होगा। नोट – भारी युद्धपोत उथले पानी में अर्नाला श्रेणी के युद्धपोतों की तरह स्वतंत्रतापूर्वक संचालन नहीं कर सकते।
– मेसर्स गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) कोलकाता और मेसर्स L&T शिपबिल्डर्स के साथ पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के तहत डिजाइन और बनाया गया।
– इसकी लंबाई 77.6 मीटर और वजन 900 टन है।
– इसकी क्रू क्षमता 57 (नाविक) है।
– स्पीड 25 नॉटस तक लगभग 46 किमी/ घंटा है।
ईरान और इजरायल में संषर्घ के बीच भारत ने अपने नागरिकों को स्वदेश लाने के लिए कौन सा अभियान (रेस्क्यू ऑपरेशन) चलाया
Anonymous Quiz
50%
ऑपरेशन सिंधु
29%
ऑपरेशन मिडिल
16%
ऑपरेशन फतह
4%
ऑपरेशन सियाचीन
– इजराइल ने 13 जून 2025 को ईरान के ‘परमाणु कार्यक्रम’ से जुड़े ठिकानों पर हमला किया था।
– इसके बाद ईरान ने जवाबी कार्रवाई में इजराइल पर हमला किया।
– इसके बाद से दोनों देशों के बीच संघर्ष जारी है और यह बढ़ता जा रहा है।
ईरान से कैसे लौटे भारतीय छात्र?
– ईरान के अलग-अलग शहरों से भारतीय छात्र आर्मेनिया से लगे नॉरदुज बॉर्डर पहुंचे। यहां से इन्हें बस से आर्मेनिया के येरेवन एयरपोर्ट ले जाया गया। इसके बाद इन छात्रों को हवाई रूट से भारत लाया जा रहा है।
– पहले चरण में 110 भारतीय छात्रों को ईरान से सड़क मार्ग द्वारा आर्मेनिया, उसके बाद वहां से 18 जून 2025 को एक विशेष उड़ान के जरिए उन्हें नई दिल्ली लाया गया।
ईरान से भारतीय छात्रों को सीधे क्यों नहीं लाया जा रहा?
– ईरान के ज्यादातर इंटरनेशनल एयरपोर्ट इस समय नागरिक उड़ानों के लिए बंद हैं। युद्ध जैसे हालात की वजह से वहां से फ्लाइट उड़ाना सुरक्षित नहीं है।
– ईरान के कई इलाकों में इजराइली हमले हो चुके हैं। ऐसे में फ्लाइट्स पर भी हमले का खतरा बना रहता है।
– सीधे ईरान से भारतीय एयरलाइंस को भेजना काफी जोखिम भरा है। इसके लिए ईरान की इजाजत के साथ-साथ मजबूत सुरक्षा इंतजाम भी चाहिए होंगे, जो युद्ध की स्थिति में संभव नहीं हैं।
भारत ने आर्मेनिया को ही क्यूं चुना?
– ईरान का बॉर्डर 7 देशों से लगता है। ये देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, अजरबैजान, आर्मेनिया, तुर्किये और इराक हैं। इसके अलावा समुद्री सीमा ओमान के साथ है।
– आर्मेनिया का बॉर्डर ईरान के प्रमुख शहरों से कम दूरी पर है। आर्मेनिया के साथ भारत के संबंध काफी अच्छे हैं। दोनों देशों के बीच रक्षा समझौते भी हुए हैं।
– आर्मेनिया राजनीतिक रूप से स्थिर है और भारत से उसके दोस्ताना संबंध हैं। वहां से फ्लाइट ऑपरेशन तेजी से संभव है, क्योंकि येरेवन एयरपोर्ट पूरी तरह चालू है।
– ईरान और आर्मेनिया के बीच फिलहाल कोई सीमा विवाद या सैन्य तनाव नहीं है।
– दूसरी तरफ ईरान का पूर्वी पड़ोसी पाकिस्तान है। पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्ते ऑपरेशन सिंदूर के बाद और उसके पहले से ही तनावपूर्ण हैं। ऐसे में भारत के पास पाकिस्तान के रास्ते छात्रों को लाने का विकल्प नहीं है।
– इराक पहले से ही ईरान के साथ चल रहे तनाव में शामिल है। कई बार इजराइल ने इराक में भी ईरानी ठिकानों को निशाना बनाया है। इसलिए वहां से गुजरना खतरे से भरा हो सकता था।
– हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अजरबैजान खुलकर पाकिस्तान के समर्थन में आया था। उसने भारत की कार्रवाई की निंदा भी की थी। ऐसे में भारत उसकी मदद नहीं लेगा।
– तुर्किये भले ही स्थिर देश है, लेकिन ईरान से सड़क के जरिए वहां तक पहुंचना काफी लंबा है। हाल ही में भारत और तुर्किये के बीच तनातनी देखने को मिली है। दरअसल तुर्किये ने भी ऑपरेशन सिंदूर की निंदा करते हुए खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया था।
कुछ रेस्क्यू अभियान के नाम
– ऑपरेशन इंद्रावती (वर्ष 2024) : हैती देश में क्रिमिनल गैंग की हिंसा के दौरान
– ऑपरेशन अजय (वर्ष 2023) : हमास – इजरायल युद्ध के दौरान
– ऑपरेशन कावेरी (वर्ष 2023) : सूडान में गृहयुद्ध के दौरान
– ऑपरेशन गंगा (वर्ष 2022) : यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद
– ऑपरेशन राहत (वर्ष 2015) : यमन में संघर्ष के दौरान
अन्य राहत अभियान
– जापान: वर्ष 2011 की सुनामी में NDRF टीम और राहत सामग्री भेजी।
– म्यांमार: वर्ष 2008 में चक्रवात नरगिस के कारण मदद भेजी।
– संयुक्त राज्य अमेरिका: वर्ष 2005 में हरिकेन कैटरीना चक्रवात पीड़ितों को राहत सामग्री भेजी।
भारत ने किन देशों के लिए आपदा राहत अभियान चलाए?
– ऑपरेशन ब्रह्मा : 2025 में म्यांमार में भूकंप के बाद राहत अभियान
– ऑपरेशन दोस्त : वर्ष 2023 में तुर्किये में भूकंप के बाद राहत अभियान
– ऑपरेशन मैत्री : वर्ष 2015 : नेपाल में भूकंप के बाद राहत अभियान
– ऑपरेशन रेनबो : श्रीलंका में वर्ष 2004 में आयी सुनामी के बाद राहत अभियान।
– ऑपरेशन कैस्टर : मालदीव में वर्ष 2004 में आयी सुनामी के समय राहत अभियान।
– इसके बाद ईरान ने जवाबी कार्रवाई में इजराइल पर हमला किया।
– इसके बाद से दोनों देशों के बीच संघर्ष जारी है और यह बढ़ता जा रहा है।
ईरान से कैसे लौटे भारतीय छात्र?
– ईरान के अलग-अलग शहरों से भारतीय छात्र आर्मेनिया से लगे नॉरदुज बॉर्डर पहुंचे। यहां से इन्हें बस से आर्मेनिया के येरेवन एयरपोर्ट ले जाया गया। इसके बाद इन छात्रों को हवाई रूट से भारत लाया जा रहा है।
– पहले चरण में 110 भारतीय छात्रों को ईरान से सड़क मार्ग द्वारा आर्मेनिया, उसके बाद वहां से 18 जून 2025 को एक विशेष उड़ान के जरिए उन्हें नई दिल्ली लाया गया।
ईरान से भारतीय छात्रों को सीधे क्यों नहीं लाया जा रहा?
– ईरान के ज्यादातर इंटरनेशनल एयरपोर्ट इस समय नागरिक उड़ानों के लिए बंद हैं। युद्ध जैसे हालात की वजह से वहां से फ्लाइट उड़ाना सुरक्षित नहीं है।
– ईरान के कई इलाकों में इजराइली हमले हो चुके हैं। ऐसे में फ्लाइट्स पर भी हमले का खतरा बना रहता है।
– सीधे ईरान से भारतीय एयरलाइंस को भेजना काफी जोखिम भरा है। इसके लिए ईरान की इजाजत के साथ-साथ मजबूत सुरक्षा इंतजाम भी चाहिए होंगे, जो युद्ध की स्थिति में संभव नहीं हैं।
भारत ने आर्मेनिया को ही क्यूं चुना?
– ईरान का बॉर्डर 7 देशों से लगता है। ये देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, अजरबैजान, आर्मेनिया, तुर्किये और इराक हैं। इसके अलावा समुद्री सीमा ओमान के साथ है।
– आर्मेनिया का बॉर्डर ईरान के प्रमुख शहरों से कम दूरी पर है। आर्मेनिया के साथ भारत के संबंध काफी अच्छे हैं। दोनों देशों के बीच रक्षा समझौते भी हुए हैं।
– आर्मेनिया राजनीतिक रूप से स्थिर है और भारत से उसके दोस्ताना संबंध हैं। वहां से फ्लाइट ऑपरेशन तेजी से संभव है, क्योंकि येरेवन एयरपोर्ट पूरी तरह चालू है।
– ईरान और आर्मेनिया के बीच फिलहाल कोई सीमा विवाद या सैन्य तनाव नहीं है।
– दूसरी तरफ ईरान का पूर्वी पड़ोसी पाकिस्तान है। पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्ते ऑपरेशन सिंदूर के बाद और उसके पहले से ही तनावपूर्ण हैं। ऐसे में भारत के पास पाकिस्तान के रास्ते छात्रों को लाने का विकल्प नहीं है।
– इराक पहले से ही ईरान के साथ चल रहे तनाव में शामिल है। कई बार इजराइल ने इराक में भी ईरानी ठिकानों को निशाना बनाया है। इसलिए वहां से गुजरना खतरे से भरा हो सकता था।
– हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अजरबैजान खुलकर पाकिस्तान के समर्थन में आया था। उसने भारत की कार्रवाई की निंदा भी की थी। ऐसे में भारत उसकी मदद नहीं लेगा।
– तुर्किये भले ही स्थिर देश है, लेकिन ईरान से सड़क के जरिए वहां तक पहुंचना काफी लंबा है। हाल ही में भारत और तुर्किये के बीच तनातनी देखने को मिली है। दरअसल तुर्किये ने भी ऑपरेशन सिंदूर की निंदा करते हुए खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया था।
कुछ रेस्क्यू अभियान के नाम
– ऑपरेशन इंद्रावती (वर्ष 2024) : हैती देश में क्रिमिनल गैंग की हिंसा के दौरान
– ऑपरेशन अजय (वर्ष 2023) : हमास – इजरायल युद्ध के दौरान
– ऑपरेशन कावेरी (वर्ष 2023) : सूडान में गृहयुद्ध के दौरान
– ऑपरेशन गंगा (वर्ष 2022) : यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद
– ऑपरेशन राहत (वर्ष 2015) : यमन में संघर्ष के दौरान
अन्य राहत अभियान
– जापान: वर्ष 2011 की सुनामी में NDRF टीम और राहत सामग्री भेजी।
– म्यांमार: वर्ष 2008 में चक्रवात नरगिस के कारण मदद भेजी।
– संयुक्त राज्य अमेरिका: वर्ष 2005 में हरिकेन कैटरीना चक्रवात पीड़ितों को राहत सामग्री भेजी।
भारत ने किन देशों के लिए आपदा राहत अभियान चलाए?
– ऑपरेशन ब्रह्मा : 2025 में म्यांमार में भूकंप के बाद राहत अभियान
– ऑपरेशन दोस्त : वर्ष 2023 में तुर्किये में भूकंप के बाद राहत अभियान
– ऑपरेशन मैत्री : वर्ष 2015 : नेपाल में भूकंप के बाद राहत अभियान
– ऑपरेशन रेनबो : श्रीलंका में वर्ष 2004 में आयी सुनामी के बाद राहत अभियान।
– ऑपरेशन कैस्टर : मालदीव में वर्ष 2004 में आयी सुनामी के समय राहत अभियान।
विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस कब मनाया जाता है?
Anonymous Quiz
11%
18 जून
45%
19 जून
37%
20 जून
7%
21 जून
वर्ष 2025 की थीम
– इसे ज़ोर से कहें – साझा करें, जश्न मनाएं, वकालत करें
– Tell it Loud – Share, Celebrate, Advocate
– संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2008 को इस दिवस की घोषणा की थी।
सिकल सेल रोग क्या होता है?
– सिकल सेल रोग (एससीडी) या सिकल सेल एनीमिया लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी) की एक प्रमुख वंशानुगत असामान्यता (जेनेटिक इंबैलेंस) है।
– जिसमें इन लाल रक्त कोशिकाएं का आकार अर्धचंद्र/हंसिया(सिकल) जैसा हो जाता है।
– लाल रक्त कोशिकाएं कठोर और चिपचिपी हो जाती हैं।
– खून, नसों में फंस जाती हैं, जिससे शरीर के कई हिस्सों में ब्लड और ऑक्सीजन का फ्लो कम या रुक जाता है।
– बॉडी के ऑर्गन को परेशानी होती है।
– इससे एनीमिया या कहें तो खून की कमी हो जाती है।
– इसे ज़ोर से कहें – साझा करें, जश्न मनाएं, वकालत करें
– Tell it Loud – Share, Celebrate, Advocate
– संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2008 को इस दिवस की घोषणा की थी।
सिकल सेल रोग क्या होता है?
– सिकल सेल रोग (एससीडी) या सिकल सेल एनीमिया लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी) की एक प्रमुख वंशानुगत असामान्यता (जेनेटिक इंबैलेंस) है।
– जिसमें इन लाल रक्त कोशिकाएं का आकार अर्धचंद्र/हंसिया(सिकल) जैसा हो जाता है।
– लाल रक्त कोशिकाएं कठोर और चिपचिपी हो जाती हैं।
– खून, नसों में फंस जाती हैं, जिससे शरीर के कई हिस्सों में ब्लड और ऑक्सीजन का फ्लो कम या रुक जाता है।
– बॉडी के ऑर्गन को परेशानी होती है।
– इससे एनीमिया या कहें तो खून की कमी हो जाती है।
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Test Tak - Online Tests | Quiz | Mock Tests | Test Series
Test Tak - Online Tests | Quiz | Mock Tests | Test Series: Current Affairs - करंट अफेयर्स - Quiz Test - Today Daily Top MCQs -…
Test Tak’s Daily Current Affairs Test / Quiz 2025 is published daily with Multiple Choice (MCQs) / Objective Current Affairs Questions and Answers.
यूनेस्को ने 1.4 अरब वर्ष पुराने फॉसिल्स पार्क को वर्ल्ड हेरिटेज की अस्थाई सूची में शामिल किया, यह किस राज्य और उसके जिले में स्थित है?
Anonymous Quiz
38%
उत्तर प्रदेश का सोनभद्र
37%
बिहार का सीतामढी
19%
ओडीशा का अंगुल
6%
मध्यप्रदेश का सागर
जीवाश्म क्या होता है?
– जीवाश्म, पौधों और जानवरों के प्राचीन अवशेष होते हैं जो चट्टानों में संरक्षित हो जाते हैं।
– ये आमतौर पर तब बनते हैं जब कोई जीव मर जाता है और जल्दी से तलछट (जैसे कीचड़, रेत, या राख) से ढक जाता है।
– समय के साथ, तलछट कठोर होकर चट्टान बन जाती है, और जीव के अवशेष पत्थर में बदल जाते हैं।
किस तरह का फॉसिल है सोनभद्र में
– सोनभद्र के फॉसिल पार्क में 1.4 बिलियन वर्ष पुराने जीवाश्मों के समृद्ध भंडार है।
– यहां शैवाल और स्ट्रॉमैटोलाइट्स जीवाश्म हैं।
फॉसिल्स पार्क, सोनभद्र के बारे में
– यह फॉसिल्स पार्क सोनभद्र जिले के मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज से लगभग 15 किलोमीटर दूर सलखन गाँव के पास स्थित है।
– लगभग 25 हेक्टेयर में फैला यह पार्क विंध्य पर्वत श्रृंखला के भीतर स्थित है।
– इसकी विशेषता ऊबड़-खाबड़ इलाका, खड़ी ढलानें और एक अद्वितीय भूवैज्ञानिक परिदृश्य है।
– यह पार्क लगभग 1.4 बिलियन वर्ष पुराने जीवाश्मों के समृद्ध भंडार है, जो इसे दुनिया के सबसे पुराने और सबसे अच्छी तरह से संरक्षित जीवाश्म स्थलों में से एक बनाता है।
– यह स्थल कैमूर वन्यजीव अभयारण्य (KWLS) के संरक्षण में आता है।
– अभयारण्य के गुरमा रेंज में स्थित होने के कारण, इसे अपने जीवाश्मों और आस-पास के पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए बहु-स्तरीय कानूनी ढांचे का लाभ मिलता है।
– इस स्थल पर न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप रहा है, जिससे जीवाश्म अपनी प्राकृतिक अवस्था में बने हुए हैं।
Tentative World Heritage Site (संभावित/अस्थाई विश्व धरोहर स्थल)
– ये वे स्थल होते हैं जिन्हें किसी देश की सरकार द्वारा प्रस्तावित किया गया है कि इन्हें भविष्य में UNESCO विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया जाए।
– इन्हें Tentative List में रखा जाता है।
– किसी स्थल को आधिकारिक World Heritage Site बनाने के लिए, पहले Tentative List में होना अनिवार्य है।
– यह एक प्रारंभिक चरण होता है।
UNESCO World Heritage Site (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल)
– ये वे स्थल होते हैं जिन्हें UNESCO द्वारा आधिकारिक रूप से विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गई है।
– ये स्थल असाधारण सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, प्राकृतिक या मिश्रित (both) महत्व के होते हैं।
– इन्हें UNESCO की World Heritage Committee द्वारा चयनित किया जाता है।
इससे पहले मार्च 2025 में 6 स्थलों को विश्व धरोहर की (Tentative) सूची में शामिल किया गया था।
1) कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान (छत्तीसगढ़)
2) मुदुमल मेगालिथिक मेनहिर (तेलंगान)
3) मौर्य मार्गों के साथ अशोक शिलालेख स्थल (बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात)
4) चौसठ योगिनी मंदिरों (मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा)
5) उत्तर भारत में गुप्त मंदिर (मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार)
6) बुंदेलों के महल-किले (मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश {बुंदेलखंड क्षेत्र})
—-
भारत में यूनेस्को अस्थाई (Tentative) वर्ल्ड हेरिटेज साइट: 63
– फॉसिल्स पार्क, सोनभद्र (UP)
– कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान (छत्तीसगढ़)
– मुदुमल मेगालिथिक मेनहिर (तेलंगान)
– मौर्य मार्गों के साथ अशोक शिलालेख स्थल (बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात)
– चौसठ योगिनी मंदिरों (मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा)
– उत्तर भारत में गुप्त मंदिर (मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार)
– बुंदेलों के महल-किले (मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश {बुंदेलखंड क्षेत्र})
– ग्वालियर किला, मध्य प्रदेश
– खूनी भंडारा, बुरहानपुर
– चंबल घाटी के रॉक कला स्थल
– भोजेश्वर महादेव मंदिर, भोजपुर
– रामनगर, मण्डला के गोंड स्मारक
– द हिस्टोरिक एनसेंबल ऑफ धामनार
– कोंकण तट, महाराष्ट्र के साथ तटीय किलेबंदी का क्रमिक नामांकन
– सूर्य मंदिर, मोढेरा और इसके आसपास के स्मारक
– उनाकोटी, उनाकोटी रेंज, उनाकोटी जिले की रॉक-कट मूर्तियां और राहतें
– वडनगर – एक बहुस्तरीय ऐतिहासिक शहर, गुजरात
– भारत के कोंकण क्षेत्र की ज्योग्लिफ्स
– जिंगकिएंग जरी: लिविंग रूट ब्रिज कल्चरल लैंडस्केप्स
– श्री वीरभद्र मंदिर और अखंड बैल (नंदी), लेपाक्षी (विजयनगर – मूर्तिकला और चित्रकारी कला परंपरा)
– वाराणसी के ऐतिहासिक शहर का प्रतिष्ठित रिवरफ्रंट
– कांचीपुरम के मंदिर
– हायर बेंकल, मेगालिथिक साइट
– नर्मदा घाटी में भेड़ाघाट-लमेटाघाट
– सतपुड़ा टाइगर रिजर्व
– महाराष्ट्र में मराठा सैन्य वास्तुकला का क्रमिक नामांकन
– ओरछा की ऐतिहासिक धरोहर
– गारो हिल्स संरक्षण क्षेत्र (GHCA)
– केबुल लामजाओ संरक्षण क्षेत्र
– शीत रेगिस्तान सांस्कृतिक परिदृश्य भारत
– उत्तरापथ, बादशाही सड़क, सड़क-ए-आज़म, ग्रैंड ट्रंक रोड के साथ साइटें
– मंदिर वास्तुकला का विकास – ऐहोल-बादामी-पट्टदकल
– डेक्कन सल्तनत के स्मारक और किले
– सेलुलर जेल, अंडमान द्वीप
– जीवाश्म, पौधों और जानवरों के प्राचीन अवशेष होते हैं जो चट्टानों में संरक्षित हो जाते हैं।
– ये आमतौर पर तब बनते हैं जब कोई जीव मर जाता है और जल्दी से तलछट (जैसे कीचड़, रेत, या राख) से ढक जाता है।
– समय के साथ, तलछट कठोर होकर चट्टान बन जाती है, और जीव के अवशेष पत्थर में बदल जाते हैं।
किस तरह का फॉसिल है सोनभद्र में
– सोनभद्र के फॉसिल पार्क में 1.4 बिलियन वर्ष पुराने जीवाश्मों के समृद्ध भंडार है।
– यहां शैवाल और स्ट्रॉमैटोलाइट्स जीवाश्म हैं।
फॉसिल्स पार्क, सोनभद्र के बारे में
– यह फॉसिल्स पार्क सोनभद्र जिले के मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज से लगभग 15 किलोमीटर दूर सलखन गाँव के पास स्थित है।
– लगभग 25 हेक्टेयर में फैला यह पार्क विंध्य पर्वत श्रृंखला के भीतर स्थित है।
– इसकी विशेषता ऊबड़-खाबड़ इलाका, खड़ी ढलानें और एक अद्वितीय भूवैज्ञानिक परिदृश्य है।
– यह पार्क लगभग 1.4 बिलियन वर्ष पुराने जीवाश्मों के समृद्ध भंडार है, जो इसे दुनिया के सबसे पुराने और सबसे अच्छी तरह से संरक्षित जीवाश्म स्थलों में से एक बनाता है।
– यह स्थल कैमूर वन्यजीव अभयारण्य (KWLS) के संरक्षण में आता है।
– अभयारण्य के गुरमा रेंज में स्थित होने के कारण, इसे अपने जीवाश्मों और आस-पास के पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए बहु-स्तरीय कानूनी ढांचे का लाभ मिलता है।
– इस स्थल पर न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप रहा है, जिससे जीवाश्म अपनी प्राकृतिक अवस्था में बने हुए हैं।
Tentative World Heritage Site (संभावित/अस्थाई विश्व धरोहर स्थल)
– ये वे स्थल होते हैं जिन्हें किसी देश की सरकार द्वारा प्रस्तावित किया गया है कि इन्हें भविष्य में UNESCO विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया जाए।
– इन्हें Tentative List में रखा जाता है।
– किसी स्थल को आधिकारिक World Heritage Site बनाने के लिए, पहले Tentative List में होना अनिवार्य है।
– यह एक प्रारंभिक चरण होता है।
UNESCO World Heritage Site (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल)
– ये वे स्थल होते हैं जिन्हें UNESCO द्वारा आधिकारिक रूप से विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गई है।
– ये स्थल असाधारण सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, प्राकृतिक या मिश्रित (both) महत्व के होते हैं।
– इन्हें UNESCO की World Heritage Committee द्वारा चयनित किया जाता है।
इससे पहले मार्च 2025 में 6 स्थलों को विश्व धरोहर की (Tentative) सूची में शामिल किया गया था।
1) कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान (छत्तीसगढ़)
2) मुदुमल मेगालिथिक मेनहिर (तेलंगान)
3) मौर्य मार्गों के साथ अशोक शिलालेख स्थल (बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात)
4) चौसठ योगिनी मंदिरों (मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा)
5) उत्तर भारत में गुप्त मंदिर (मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार)
6) बुंदेलों के महल-किले (मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश {बुंदेलखंड क्षेत्र})
—-
भारत में यूनेस्को अस्थाई (Tentative) वर्ल्ड हेरिटेज साइट: 63
– फॉसिल्स पार्क, सोनभद्र (UP)
– कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान (छत्तीसगढ़)
– मुदुमल मेगालिथिक मेनहिर (तेलंगान)
– मौर्य मार्गों के साथ अशोक शिलालेख स्थल (बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात)
– चौसठ योगिनी मंदिरों (मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा)
– उत्तर भारत में गुप्त मंदिर (मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार)
– बुंदेलों के महल-किले (मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश {बुंदेलखंड क्षेत्र})
– ग्वालियर किला, मध्य प्रदेश
– खूनी भंडारा, बुरहानपुर
– चंबल घाटी के रॉक कला स्थल
– भोजेश्वर महादेव मंदिर, भोजपुर
– रामनगर, मण्डला के गोंड स्मारक
– द हिस्टोरिक एनसेंबल ऑफ धामनार
– कोंकण तट, महाराष्ट्र के साथ तटीय किलेबंदी का क्रमिक नामांकन
– सूर्य मंदिर, मोढेरा और इसके आसपास के स्मारक
– उनाकोटी, उनाकोटी रेंज, उनाकोटी जिले की रॉक-कट मूर्तियां और राहतें
– वडनगर – एक बहुस्तरीय ऐतिहासिक शहर, गुजरात
– भारत के कोंकण क्षेत्र की ज्योग्लिफ्स
– जिंगकिएंग जरी: लिविंग रूट ब्रिज कल्चरल लैंडस्केप्स
– श्री वीरभद्र मंदिर और अखंड बैल (नंदी), लेपाक्षी (विजयनगर – मूर्तिकला और चित्रकारी कला परंपरा)
– वाराणसी के ऐतिहासिक शहर का प्रतिष्ठित रिवरफ्रंट
– कांचीपुरम के मंदिर
– हायर बेंकल, मेगालिथिक साइट
– नर्मदा घाटी में भेड़ाघाट-लमेटाघाट
– सतपुड़ा टाइगर रिजर्व
– महाराष्ट्र में मराठा सैन्य वास्तुकला का क्रमिक नामांकन
– ओरछा की ऐतिहासिक धरोहर
– गारो हिल्स संरक्षण क्षेत्र (GHCA)
– केबुल लामजाओ संरक्षण क्षेत्र
– शीत रेगिस्तान सांस्कृतिक परिदृश्य भारत
– उत्तरापथ, बादशाही सड़क, सड़क-ए-आज़म, ग्रैंड ट्रंक रोड के साथ साइटें
– मंदिर वास्तुकला का विकास – ऐहोल-बादामी-पट्टदकल
– डेक्कन सल्तनत के स्मारक और किले
– सेलुलर जेल, अंडमान द्वीप
समूह
– भारत के प्रतिष्ठित साड़ी बुनाई समूह
– अपातानी सांस्कृतिक परिदृश्य
– श्री रंगनाथस्वामी मंदिर, श्रीरंगम
– श्रीरंगपटना द्वीप टाउन के स्मारक
– चिल्का झील
– पद्मनाभपुरम पैलेस
– सत्याग्रह के स्थल, भारत का अहिंसक स्वतंत्रता आंदोलन
– थेम्बंग फोर्टिफाइड विलेज
– नारकोंडम द्वीप
– एकाम्र क्षेत्र – मंदिरों का शहर, भुवनेश्वर
– बुर्जहोम की नवपाषाण बस्ती
– हड़प्पा पोर्ट-टाउन, लोथल के पुरातात्विक अवशेष
– माउंटेन रेलवे ऑफ इंडिया (एक्सटेंशन)
– चेट्टीनाड, तमिल व्यापारियों के ग्राम समूह
– नई दिल्ली में बहाई पूजा घर
– दिल्ली – एक विरासत शहर
– कश्मीर में मुगल गार्डन
– हैदराबाद गोलकोंडा किले के कुतुब शाही स्मारक, कुतुब शाही मकबरे, चारमीनार
– भारत में सिल्क रोड साइट्स
– नेओरा घाटी राष्ट्रीय उद्यान
– डेजर्ट नेशनल पार्क
– नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान
– जंगली गधा अभयारण्य, कच्छ का छोटा रण
– असम में ब्रह्मपुत्र नदी के बीच माजुली का नदी द्वीप
– श्री हरिमंदिर साहिब, अमृतसर, पंजाब
– बिष्णुपुर, पश्चिम बंगाल में मंदिर
– मट्टनचेरी पैलेस, एर्नाकुलम, केरल
– मांडू, मध्य प्रदेश में स्मारकों का समूह
– प्राचीन बौद्ध स्थल, सारनाथ, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
—-
यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट: 43
– आगरा का किला
– अजंता की गुफाएँ
– एलोरा की गुफाएँ
– ताज महल
– महाबलीपुरम में स्मारकों का समूह
– सूर्य मंदिर, कोणार्क
– काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान
– केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
– मानस वन्यजीव अभयारण्य
– गोवा के चर्च और कॉन्वेंट
– फतेहपुर सीकरी
– हम्पी में स्मारकों का समूह
– खजुराहो स्मारकों का समूह
– एलिफेंटा गुफाएं
– ग्रेट लिविंग चोल मंदिर
– पट्टडकल में स्मारकों का समूह
– सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान
– नंदा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान
– सांची में बौद्ध स्मारक
– हुमायुं का मकबरा, दिल्ली
– कुतुब मीनार और उसके स्मारक, दिल्ली
– भारत के पर्वतीय रेलवे
– बोधगया में महाबोधि मंदिर परिसर
– भीमबेटका के रॉक शेल्टर
– चंपानेर-पावागढ़ पुरातत्व पार्क
– छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (पूर्व में विक्टोरिया टर्मिनस)
– लाल किला परिसर
– जंतर मंतर, जयपुर
– पश्चिमी घाट
– राजस्थान के पहाड़ी किले
– ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क कंजर्वेशन एरिया
– पाटन, गुजरात में रानी-की-वाव (रानी की बावड़ी)।
– नालंदा, बिहार में नालंदा महाविहार का पुरातत्व स्थल
– खंगचेंदज़ोंगा राष्ट्रीय उद्यान
– ले कोर्बुज़िए का वास्तुशिल्प कार्य, आधुनिक आंदोलन में एक उत्कृष्ट योगदान *
– अहमदाबाद का ऐतिहासिक शहर
– मुंबई के विक्टोरियन गोथिक और आर्ट डेको एन्सेम्बल
– जयपुर शहर, राजस्थान
– धोलावीरा: एक हड़प्पा शहर
– काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर, तेलंगाना
– शांतिनिकेतन, पश्चिम बंगाल
– सेक्रेड एनसेंबल्स ऑफ द होयसला (तीन मदिरों का समूह)
– चराइदेव मोईदाम (अहोम राजवंश की टीला-दफ़नाने की प्रणाली) , असम
UNESCO
मुख्यालय- पेरिस, फ्रांस
स्थापना- वर्ष 1945
डायरेक्टर जनरल- ऑद्रे अजोले
– भारत के प्रतिष्ठित साड़ी बुनाई समूह
– अपातानी सांस्कृतिक परिदृश्य
– श्री रंगनाथस्वामी मंदिर, श्रीरंगम
– श्रीरंगपटना द्वीप टाउन के स्मारक
– चिल्का झील
– पद्मनाभपुरम पैलेस
– सत्याग्रह के स्थल, भारत का अहिंसक स्वतंत्रता आंदोलन
– थेम्बंग फोर्टिफाइड विलेज
– नारकोंडम द्वीप
– एकाम्र क्षेत्र – मंदिरों का शहर, भुवनेश्वर
– बुर्जहोम की नवपाषाण बस्ती
– हड़प्पा पोर्ट-टाउन, लोथल के पुरातात्विक अवशेष
– माउंटेन रेलवे ऑफ इंडिया (एक्सटेंशन)
– चेट्टीनाड, तमिल व्यापारियों के ग्राम समूह
– नई दिल्ली में बहाई पूजा घर
– दिल्ली – एक विरासत शहर
– कश्मीर में मुगल गार्डन
– हैदराबाद गोलकोंडा किले के कुतुब शाही स्मारक, कुतुब शाही मकबरे, चारमीनार
– भारत में सिल्क रोड साइट्स
– नेओरा घाटी राष्ट्रीय उद्यान
– डेजर्ट नेशनल पार्क
– नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान
– जंगली गधा अभयारण्य, कच्छ का छोटा रण
– असम में ब्रह्मपुत्र नदी के बीच माजुली का नदी द्वीप
– श्री हरिमंदिर साहिब, अमृतसर, पंजाब
– बिष्णुपुर, पश्चिम बंगाल में मंदिर
– मट्टनचेरी पैलेस, एर्नाकुलम, केरल
– मांडू, मध्य प्रदेश में स्मारकों का समूह
– प्राचीन बौद्ध स्थल, सारनाथ, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
—-
यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट: 43
– आगरा का किला
– अजंता की गुफाएँ
– एलोरा की गुफाएँ
– ताज महल
– महाबलीपुरम में स्मारकों का समूह
– सूर्य मंदिर, कोणार्क
– काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान
– केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
– मानस वन्यजीव अभयारण्य
– गोवा के चर्च और कॉन्वेंट
– फतेहपुर सीकरी
– हम्पी में स्मारकों का समूह
– खजुराहो स्मारकों का समूह
– एलिफेंटा गुफाएं
– ग्रेट लिविंग चोल मंदिर
– पट्टडकल में स्मारकों का समूह
– सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान
– नंदा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान
– सांची में बौद्ध स्मारक
– हुमायुं का मकबरा, दिल्ली
– कुतुब मीनार और उसके स्मारक, दिल्ली
– भारत के पर्वतीय रेलवे
– बोधगया में महाबोधि मंदिर परिसर
– भीमबेटका के रॉक शेल्टर
– चंपानेर-पावागढ़ पुरातत्व पार्क
– छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (पूर्व में विक्टोरिया टर्मिनस)
– लाल किला परिसर
– जंतर मंतर, जयपुर
– पश्चिमी घाट
– राजस्थान के पहाड़ी किले
– ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क कंजर्वेशन एरिया
– पाटन, गुजरात में रानी-की-वाव (रानी की बावड़ी)।
– नालंदा, बिहार में नालंदा महाविहार का पुरातत्व स्थल
– खंगचेंदज़ोंगा राष्ट्रीय उद्यान
– ले कोर्बुज़िए का वास्तुशिल्प कार्य, आधुनिक आंदोलन में एक उत्कृष्ट योगदान *
– अहमदाबाद का ऐतिहासिक शहर
– मुंबई के विक्टोरियन गोथिक और आर्ट डेको एन्सेम्बल
– जयपुर शहर, राजस्थान
– धोलावीरा: एक हड़प्पा शहर
– काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर, तेलंगाना
– शांतिनिकेतन, पश्चिम बंगाल
– सेक्रेड एनसेंबल्स ऑफ द होयसला (तीन मदिरों का समूह)
– चराइदेव मोईदाम (अहोम राजवंश की टीला-दफ़नाने की प्रणाली) , असम
UNESCO
मुख्यालय- पेरिस, फ्रांस
स्थापना- वर्ष 1945
डायरेक्टर जनरल- ऑद्रे अजोले
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह किस देश में 25 जून 2025 से होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने जाएंगे?
Anonymous Quiz
15%
बेलारूस
27%
रूस
33%
किर्गिस्तान
24%
चीन
– रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 25 से 27 जून तक चीन के किंगदाओ शहर में होने वाली SCO की रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेंगे।
– इस बैठक में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी शामिल होंगे।
– यह किसी भी भारतीय मंत्री का 7 साल बाद चीन का दौरा होगा।
– इससे पहले अप्रैल 2018 में उस समय की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज गई थीं।
– यह दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है जब भारत और चीन के बीच रिश्ते सामान्य करने की कोशिशें चल रही हैं। – व्यापार, यात्रा और संवाद फिर से शुरू हो चुके हैं।
चीनी रक्षा मंत्री से द्विपक्षीय वार्ता होगी
– राजनाथ सिंह की मुलाकात चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून से द्विपक्षीय वार्ता के तौर पर भी होगी।
– दोनों देशों के बीच वीजा नीति, कैलाश यात्रा, जल आंकड़ों का साझा करना और हवाई संपर्क बहाल करने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हो सकती है।
– दोनों नेताओं की पिछली मुलाकात लाओस में ADMM-प्लस (ASEAN Defence Ministers’ Meeting-Plus) शिखर सम्मेलन में हुई थी, जो सीमा विवाद के बाद पहली सीधी बातचीत थी।
भारत-चीन के बीच 2020 से तनाव था
– भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में 2020 से सीमा विवाद को लेकर तनाव था।
– दो साल की लंबी बातचीत के बाद दिसंबर 2024 एक समझौता हुआ है।
– इसमें तय हुआ कि दोनों सेनाएं विवादित पॉइंट्स देपसांग और डेमचोक से पीछे हटेंगी।
शंघाई सहयोग संगठन (SCO)
– SCO एक क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठन है।
– यह चीन और रूस द्वारा स्थापित एक यूरेशियन राजनीतिक,आर्थिक, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा संगठन है।
– यह शंघाई फाइव का विस्तार है, जिसका गठन 1996 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस और ताजिकिस्तान के बीच हुआ था।
– अभी SCO के 10 सदस्य देश हैं।
– यह एक प्रभावशाली आर्थिक और सुरक्षा ब्लॉक तथा सबसे बड़े अंतर-क्षेत्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में से एक के रूप में उभरा है।
सदस्य देश
– चीन
– रूस
– कजाकिस्तान
– किर्गिस्तान
– ताजिकिस्तान
– उज्बेकिस्तान
– भारत
– पाकिस्तान
– ईरान
– बेलारूस
– इस बैठक में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी शामिल होंगे।
– यह किसी भी भारतीय मंत्री का 7 साल बाद चीन का दौरा होगा।
– इससे पहले अप्रैल 2018 में उस समय की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज गई थीं।
– यह दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है जब भारत और चीन के बीच रिश्ते सामान्य करने की कोशिशें चल रही हैं। – व्यापार, यात्रा और संवाद फिर से शुरू हो चुके हैं।
चीनी रक्षा मंत्री से द्विपक्षीय वार्ता होगी
– राजनाथ सिंह की मुलाकात चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून से द्विपक्षीय वार्ता के तौर पर भी होगी।
– दोनों देशों के बीच वीजा नीति, कैलाश यात्रा, जल आंकड़ों का साझा करना और हवाई संपर्क बहाल करने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हो सकती है।
– दोनों नेताओं की पिछली मुलाकात लाओस में ADMM-प्लस (ASEAN Defence Ministers’ Meeting-Plus) शिखर सम्मेलन में हुई थी, जो सीमा विवाद के बाद पहली सीधी बातचीत थी।
भारत-चीन के बीच 2020 से तनाव था
– भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में 2020 से सीमा विवाद को लेकर तनाव था।
– दो साल की लंबी बातचीत के बाद दिसंबर 2024 एक समझौता हुआ है।
– इसमें तय हुआ कि दोनों सेनाएं विवादित पॉइंट्स देपसांग और डेमचोक से पीछे हटेंगी।
शंघाई सहयोग संगठन (SCO)
– SCO एक क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठन है।
– यह चीन और रूस द्वारा स्थापित एक यूरेशियन राजनीतिक,आर्थिक, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा संगठन है।
– यह शंघाई फाइव का विस्तार है, जिसका गठन 1996 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस और ताजिकिस्तान के बीच हुआ था।
– अभी SCO के 10 सदस्य देश हैं।
– यह एक प्रभावशाली आर्थिक और सुरक्षा ब्लॉक तथा सबसे बड़े अंतर-क्षेत्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में से एक के रूप में उभरा है।
सदस्य देश
– चीन
– रूस
– कजाकिस्तान
– किर्गिस्तान
– ताजिकिस्तान
– उज्बेकिस्तान
– भारत
– पाकिस्तान
– ईरान
– बेलारूस
किस देश में स्थित ज्वालामुखी ‘लेवोटोबी लाकी-लाकी’ जून 2025 में फिर से फट गया और इसकी राख 11 किलोमीटर ऊंचाई तक पहुंच गई?
Anonymous Quiz
44%
इंडोनेशिया
44%
संयुक्त राज्य अमेरिका
11%
जापान
1%
रूस
– इंडोनेशिया के माउंट लेवोटोबी लाकी लाकी में मौजूद ज्वालामुखी में 17 जून 2025 को जोरदार विस्फोट हुआ।
– इसके बाद 17 से 18 जून तक कई बार विस्फोट हुए।
– इससे धुआं और राख का गुबार 11 किमी की ऊंचाई तक पहुंच गया।
– यह देखने में मशरूम जैसा लग रहा था। इसे 150 किमी दूर तक देखा जा सकता था।
– यह ज्वालामुखी इंडोनेशिया के फ्लोरेस द्वीप पर स्थित है।
हाई लेवल वॉर्निंग जारी
– विस्फोट की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने सबसे हाई लेवल वॉर्निंग जारी की गई है।
– ज्वालामुखी से 8 किमी दूर तक के इलाके को खतरनाक क्षेत्र घोषित किया गया है।
– इस इलाके में राख और छोटे पत्थर गिर रहे हैं। राख और मलबा खतरनाक क्षेत्र से बाहर के गांवों तक भी गिरा है।
– नुराबेलेन गांव के कुछ निवासी कोंगा में बनाए गए राहत शिविरों में शरण लेने चले गए।
– इस विस्फोट के चलते गांवों से लोगों को निकाला गया और कई फ्लाइटें रद्द करनी पड़ीं।
कब कब हुए विस्फोट
– इस ज्वालामुखी में पहले भी कई बार विस्फोट हो चुके हैं। नवंबर में हुए विस्फोट में 9 लोगों की मौत और दर्जनों घायल हुए थे।
– इससे पहले मार्च 2025 में यह ज्वालामुखी तीन फट गया था।
जुड़वा ज्वालामुखी
– लेवोटोबी लाकी-लाकी एक जुड़वां ज्वालामुखी है।
– ये ज्वालामुखी इंडोनेशिया के फ्लोरेस द्वीप के दक्षिणपूर्वी भाग में स्थित है। यह द्वीप पर्यटकों के लिए काफी लोकप्रिय है।
– ज्वालामुखी 1,584 मीटर (5,197 फीट) ऊंचा है।
सबसे ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखी इंडोनेशिया में
– दुनिया में 1500 एक्टिव यानी सक्रिय ज्वालामुखी है।
– इनमें सबसे ज्यादा 130 सक्रिय ज्वालामुखी इंडोनेशिया में है।
– सात ज्वालामुखियों में दो साल से लगातार विस्फोट हो ही रहा है. ये हैं- क्राकटाउ, मेरापी, लेवोटोलोक, कारांगेटांग, सेमेरू, इबू और डुकोनो।
रिंग ऑफ फायर
– यह देश पैसिफिक रिंग ऑफ फायर (Pacific Ring of Fire) के ऊपर बसा है।
– इस इलाके में सबसे ज्यादा भौगोलिक और भूगर्भीय गतिविधियां होती हैं।
– इंडोनेशिया जिस जगह हैं, वहां पर यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट दक्षिण की ओर खिसक रही हैं।
– इंडियन-ऑस्ट्रेलियन टेक्टोनिक प्लेट उत्तर की ओर खिसक रही है. फिलिपीन्स प्लेटपश्चिम की तरफ जा रही है।
– अब इन तीनों प्लेटों में टकराव या खिसकाव की वजह से ज्वालामुखियों में विस्फोट होता रहता है.
ज्वालामुखी क्या है और कैसे फटता है?
– ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह में एक उद्घाटन या टूटना है, जो मैग्मा – जो गर्म तरल और अर्ध-तरल चट्टान के रूप में निकलता है, ज्वालामुखीय राख और गैसों को बाहर निकालता है।
– अन्य शब्दों में कहें, तो ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह पर उपस्थित ऐसी दरार या छिद्र (वेंट) होता है, जिसके माध्यम से पृथ्वी के आंतरिक भाग से लावा, राख, पिघली चट्टानें और गैसें बाहर निकलती हैं।
– पृथ्वी के मेंटल (पृथ्वी के तीन हिस्सों में से एक) में एक कमजोर क्षेत्र होता है, जिसे एस्थेनोस्फीयर (asthenosphere) कहा जाता है और मैग्मा इसमें मौजूद पदार्थ होता है।
– ज्वालामुखीय हॉटस्पॉट वे स्थान होते हैं, जो ऐसे स्थान पर पाए जाते हैं, जहां पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेट्स आपस में मिलती हैं।
– समुद्र के भीतर अनुमानित एक मिलियन ज्वालामुखी हैं, और उनमें से अधिकांश टेक्टोनिक प्लेटों के पास स्थित हैं।
– जब टेक्टोनिक प्लेट आपस में टकराती हैं, तो इससे तापमान और दबाव बढ़ता जाता है। इसके बाद फिर मैग्मा बनता है, जो कि पृथ्वी की सतह के अंदर पिघला हुआ पदार्थ होता है।
– जब यही मैग्मा पृथ्वी की आंतरिक परत से बाहर आता है, तो उसे लावा कहा जाता है।
ज्वालामुखी विस्फोट के प्रभाव:
1. भूकंपीय गतिविधि (भूकंप):
– ज्वालामुखी के नीचे लावा की हलचल भूकंप को ट्रिगर कर सकती है, जिससे ज़मीन में दरारें पड़ सकती हैं और विनाश हो सकता है, खासकर आबादी वाले इलाकों में।
2. जलवायु प्रभाव:
– ज्वालामुखी विस्फोटों से गैसें निकलती हैं जो मौसम के पैटर्न को बाधित कर सकती हैं, जिससे संभावित रूप से अप्रत्याशित जलवायु परिवर्तन हो सकते हैं।
3. पाइरोक्लास्टिक प्रवाह:
– गैस और मलबे के गर्म, तेज़ गति वाले बादल (पाइरोक्लास्टिक प्रवाह) उच्च गति और तापमान के कारण अपने रास्ते में आने वाली हर चीज़ को नष्ट कर सकते हैं।
4. ज्वालामुखी राख:
– राख के कण साँस के ज़रिए अंदर जाने पर गंभीर श्वसन संबंधी समस्याएँ पैदा कर सकते हैं और उच्च सांद्रता में, वे घातक हो सकते हैं।
5. स्वास्थ्य संबंधी खतरे:
– ज्वालामुखी गैसें और राख फेफड़ों की क्षति और श्वसन संबंधी बीमारियों सहित दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती हैं।
इंडोनेशिया
– राजधानी : जकार्ता
– प्रेसिडेंट : प्रबोवो सुबियांटो
– मुद्रा : इंडोनेशियन रुफिया
– आबादी : 28 करोड़ (2023)
– इसके बाद 17 से 18 जून तक कई बार विस्फोट हुए।
– इससे धुआं और राख का गुबार 11 किमी की ऊंचाई तक पहुंच गया।
– यह देखने में मशरूम जैसा लग रहा था। इसे 150 किमी दूर तक देखा जा सकता था।
– यह ज्वालामुखी इंडोनेशिया के फ्लोरेस द्वीप पर स्थित है।
हाई लेवल वॉर्निंग जारी
– विस्फोट की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने सबसे हाई लेवल वॉर्निंग जारी की गई है।
– ज्वालामुखी से 8 किमी दूर तक के इलाके को खतरनाक क्षेत्र घोषित किया गया है।
– इस इलाके में राख और छोटे पत्थर गिर रहे हैं। राख और मलबा खतरनाक क्षेत्र से बाहर के गांवों तक भी गिरा है।
– नुराबेलेन गांव के कुछ निवासी कोंगा में बनाए गए राहत शिविरों में शरण लेने चले गए।
– इस विस्फोट के चलते गांवों से लोगों को निकाला गया और कई फ्लाइटें रद्द करनी पड़ीं।
कब कब हुए विस्फोट
– इस ज्वालामुखी में पहले भी कई बार विस्फोट हो चुके हैं। नवंबर में हुए विस्फोट में 9 लोगों की मौत और दर्जनों घायल हुए थे।
– इससे पहले मार्च 2025 में यह ज्वालामुखी तीन फट गया था।
जुड़वा ज्वालामुखी
– लेवोटोबी लाकी-लाकी एक जुड़वां ज्वालामुखी है।
– ये ज्वालामुखी इंडोनेशिया के फ्लोरेस द्वीप के दक्षिणपूर्वी भाग में स्थित है। यह द्वीप पर्यटकों के लिए काफी लोकप्रिय है।
– ज्वालामुखी 1,584 मीटर (5,197 फीट) ऊंचा है।
सबसे ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखी इंडोनेशिया में
– दुनिया में 1500 एक्टिव यानी सक्रिय ज्वालामुखी है।
– इनमें सबसे ज्यादा 130 सक्रिय ज्वालामुखी इंडोनेशिया में है।
– सात ज्वालामुखियों में दो साल से लगातार विस्फोट हो ही रहा है. ये हैं- क्राकटाउ, मेरापी, लेवोटोलोक, कारांगेटांग, सेमेरू, इबू और डुकोनो।
रिंग ऑफ फायर
– यह देश पैसिफिक रिंग ऑफ फायर (Pacific Ring of Fire) के ऊपर बसा है।
– इस इलाके में सबसे ज्यादा भौगोलिक और भूगर्भीय गतिविधियां होती हैं।
– इंडोनेशिया जिस जगह हैं, वहां पर यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट दक्षिण की ओर खिसक रही हैं।
– इंडियन-ऑस्ट्रेलियन टेक्टोनिक प्लेट उत्तर की ओर खिसक रही है. फिलिपीन्स प्लेटपश्चिम की तरफ जा रही है।
– अब इन तीनों प्लेटों में टकराव या खिसकाव की वजह से ज्वालामुखियों में विस्फोट होता रहता है.
ज्वालामुखी क्या है और कैसे फटता है?
– ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह में एक उद्घाटन या टूटना है, जो मैग्मा – जो गर्म तरल और अर्ध-तरल चट्टान के रूप में निकलता है, ज्वालामुखीय राख और गैसों को बाहर निकालता है।
– अन्य शब्दों में कहें, तो ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह पर उपस्थित ऐसी दरार या छिद्र (वेंट) होता है, जिसके माध्यम से पृथ्वी के आंतरिक भाग से लावा, राख, पिघली चट्टानें और गैसें बाहर निकलती हैं।
– पृथ्वी के मेंटल (पृथ्वी के तीन हिस्सों में से एक) में एक कमजोर क्षेत्र होता है, जिसे एस्थेनोस्फीयर (asthenosphere) कहा जाता है और मैग्मा इसमें मौजूद पदार्थ होता है।
– ज्वालामुखीय हॉटस्पॉट वे स्थान होते हैं, जो ऐसे स्थान पर पाए जाते हैं, जहां पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेट्स आपस में मिलती हैं।
– समुद्र के भीतर अनुमानित एक मिलियन ज्वालामुखी हैं, और उनमें से अधिकांश टेक्टोनिक प्लेटों के पास स्थित हैं।
– जब टेक्टोनिक प्लेट आपस में टकराती हैं, तो इससे तापमान और दबाव बढ़ता जाता है। इसके बाद फिर मैग्मा बनता है, जो कि पृथ्वी की सतह के अंदर पिघला हुआ पदार्थ होता है।
– जब यही मैग्मा पृथ्वी की आंतरिक परत से बाहर आता है, तो उसे लावा कहा जाता है।
ज्वालामुखी विस्फोट के प्रभाव:
1. भूकंपीय गतिविधि (भूकंप):
– ज्वालामुखी के नीचे लावा की हलचल भूकंप को ट्रिगर कर सकती है, जिससे ज़मीन में दरारें पड़ सकती हैं और विनाश हो सकता है, खासकर आबादी वाले इलाकों में।
2. जलवायु प्रभाव:
– ज्वालामुखी विस्फोटों से गैसें निकलती हैं जो मौसम के पैटर्न को बाधित कर सकती हैं, जिससे संभावित रूप से अप्रत्याशित जलवायु परिवर्तन हो सकते हैं।
3. पाइरोक्लास्टिक प्रवाह:
– गैस और मलबे के गर्म, तेज़ गति वाले बादल (पाइरोक्लास्टिक प्रवाह) उच्च गति और तापमान के कारण अपने रास्ते में आने वाली हर चीज़ को नष्ट कर सकते हैं।
4. ज्वालामुखी राख:
– राख के कण साँस के ज़रिए अंदर जाने पर गंभीर श्वसन संबंधी समस्याएँ पैदा कर सकते हैं और उच्च सांद्रता में, वे घातक हो सकते हैं।
5. स्वास्थ्य संबंधी खतरे:
– ज्वालामुखी गैसें और राख फेफड़ों की क्षति और श्वसन संबंधी बीमारियों सहित दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती हैं।
इंडोनेशिया
– राजधानी : जकार्ता
– प्रेसिडेंट : प्रबोवो सुबियांटो
– मुद्रा : इंडोनेशियन रुफिया
– आबादी : 28 करोड़ (2023)
2025 की थीम
– प्रवासी, आशा के मिशनरी
– Migrants, missionaries of hope
– यह दिवस दुनिया भर में शरणार्थियों की स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है।
– संयुक्त राष्ट्र ने इस दिवस को घोषित किया हुआ है।
दुनिया में शरणार्थियों की स्थिति
– UNHCR (यूनाइटेड नेशंस ह्यूमन राइट्स काउंसिल) का अनुमान है कि 2023 के मध्य तक, दुनिया भर में 110 मिलियन (11 करोड़) से अधिक व्यक्ति जबरन विस्थापित हो गए, जिनमें से 40% बच्चे थे।
– इन विस्थापित व्यक्तियों में से 75% निम्न और मध्यम आय वाले देशों में आश्रय लिए हुए हैं।
– प्रवासी, आशा के मिशनरी
– Migrants, missionaries of hope
– यह दिवस दुनिया भर में शरणार्थियों की स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है।
– संयुक्त राष्ट्र ने इस दिवस को घोषित किया हुआ है।
दुनिया में शरणार्थियों की स्थिति
– UNHCR (यूनाइटेड नेशंस ह्यूमन राइट्स काउंसिल) का अनुमान है कि 2023 के मध्य तक, दुनिया भर में 110 मिलियन (11 करोड़) से अधिक व्यक्ति जबरन विस्थापित हो गए, जिनमें से 40% बच्चे थे।
– इन विस्थापित व्यक्तियों में से 75% निम्न और मध्यम आय वाले देशों में आश्रय लिए हुए हैं।